Kiran Mazumdar Shaw
Life story of Kiran Mazumdar Shaw

Kiran Mazumdar Shaw: महिलाओं को मौका मिलता है तो वह आसमान की बुलंदियों को भी छू सकती हैं। केवल उन्हें एक मौके की जरूरत होती है। अब तो महिलाएं खुद अपने लिए मौके बना रही हैं और उन पर चौके लगा रही हैं। यह उन रुढ़िवादी लोगों के मुंह पर एक ईंट का जवाब पत्थर के समान है जो यह सोचते हैं कि महिलाएं कुछ नहीं कर सकती या किसी भी चीज में पुरुषों के मुकाबले कमतर ही होती हैं। इन वाक्यों को पढ़ने के बाद बहुत से लोगों का कहना होगा कि हम ऐसा नहीं सोचते। लेकिन क्या सच में ऐसा है???
बिल्कुल नहीं, गैरबराबरी के सबूत कहीं ना कहीं मिल ही जाते हैं। तभी तो ऑफिस में वेल मैनर्ड लोग भी कई बार मजाक-मजाक में ऐसी बात कह देते हैं जो वहां मौजूद महिलाओं को असहज महसूस करवा सकती हैं। लेकिन उनको इस बात का जरा भी अहसास नहीं होता है कि उन्होंने कुछ गलत कहा है। कुछ ऐसा ही हादसा दुनिया की सबसे सफल उद्यमी बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ के साथ हुआ था। जब उन्हें उनकी एक जॉब में केवल महिला होने के कारण रिजेक्ट कर दिया गया था। आज इन्हीं किरण मजूमदार शॉ के बारे में जानेंगे।

1200 रुपये में शुरू की कंपनी

23 मार्च 1953 को बैंग्लुरू में जन्मी किरण मजूमदार शॉ एक भारतीय बिजनेसवूमेन और बायोकॉन की संस्थापक है। इसके अलावा वे सिनजीन इंटरनेशनल लिमिटेड और क्लिनिजीन इंटरनेशनल लिमिटेड की भी अध्यक्ष हैं। उन्होंने 1968 में बेंगलुरू के ‘बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल’ से अपनी स्कूली एजुकेशन पूरी की है और फिर 1973 में बैंग्लोर विश्वविद्यालय से जंतुविज्ञान में ग्रेजुएशन पूरा किया। बाद में आगे की पढ़ाई के लिए आस्ट्रेलिया चली गईं। वहीं इन्होंने फेडेरेशन यूनिवर्सिटी से बिजनेस की पढ़ाई की। इसी यूनिवर्सिटी से इन्होंने साल 1978 में शराब निर्माण में मास्टर्स किया था।
वापस जब भारत लौटीं और जॉब खोजने लगीं तो कई भारतीय कंपनियों ने उन्हें केवल इसलिए रिजेक्ट कर दिया क्योंकि वे एक महिला थीं। इसकी एक वजह यह भी थी कि उस समय शराब कंपनियों में महिलाओं की नियुक्ति कम ही होती थी। जब कई जगह रिजेक्शन मिल गए तो किरण मजूमदार ने अपनी कंपनी शुरू करने का फैसला किया। फिर क्या था, उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने अपने 1200 रुपये से कंपनी निर्माण कर कारोबार शुरू किया। आज वर्तमान में उनकी कंपनी 37 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की कंपनी बन चुकी है।

Kiran Mazumdar Shaw
Company started in Rs 1200

नौकरी करने स्कॉटलैंड गईं

भारत में जॉब के रिजेक्शन पाकर उन्होंने अपनी कंपनी शुरू करने का फैसला कर तो लिया था। लेकिन शराब से जुड़ी कंपनी के बारे में उन्हें इसका कोई अनुभव नहीं था। इस तरह की कंपनी के बारे में जानने और अनुभव प्राप्त करने के लिए वह स्कॉटलैंड चली गईं। स्कॉटलैंड की शराब पूरी दुनिया में मशहूर है और वहीं दुनिया की कई मशहूर शराब कंपनियां हैं। वहां उन्होंने ब्रूवर कपंनी में नौकरी शुरू की। कुछ साल नौकरी करने के बाद जब उन्हें लगा कि वे अपनी कंपनी शुरू कर सकती हैं तो वह वापस भारत आईं और बायोकॉन की स्थापना की।
इस काम में उनकी मदद आयरलैंड के कारोबारी लेस्ली ऑचिनक्लॉस ने की। इनसे इनकी मुलाकात स्कॉटलैंड में काम करने के दौरान हुई थी। लेस्ली भारत में फार्मा के क्षेत्र में कंपनी खोलना चाहते थे। किरण ने जब उन्हें अपनी कंपनी खोलने के आइडिया के बारे में बताया तो लेस्ली ने भी हां कह दी और उनके साझीदार बन गए। किरण ने उनके साथ मिलकर बायोकॉन लिमिटेड की शुरुआत की।

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Kiran Mazumdar

घर के गैरेज से शुरू हुई कंपनी

बैंग्लुरू में अपने घर के गैरेज से शुरू हुई कपंनी में किरण ने एंजाइम बनाने का कारोबार शरू किया। एक इंटरव्यू में मजूमदार ने कहा कि अगर आप ब्रूइंग के बारे में सोचते हैं तो यह बायोटेक्नोलॉजी है। उन्होंने कहा कि बीयर हो या एंजाइम बनाना, दोनों की तकनीक एक ही है।
इस कंपनी को किरण ने शुरू कर तो दिया था लेकिन उनकी महिला होने की मुसीबत अब भी दूर नहीं हुई थी। क्योंकि कोई भी एक महिला के साथ काम करना नहीं चाहता था। उन्होंने बताया, पुरुषों की तो छोड़िए, महिलाएं भी मेरे साथ काम नहीं करना चाहती थीं। जब वे गैरेज में इंटरव्यू देने आतीं तो उन्हें लगता मैं सेक्रेटरी हूं। 40 कैंडीडेट्स से मिलने के बाद उन्हें अपना पहला कर्मचारी मिला और वह भी एक रिटायर गैरेज मैकेनिक था।

बैंक नहीं दे रहे थे लोन

कंपनी शुरू करने के बाद कंपनी चलाने के लिए पैसे की जरूरत थी जिसके लिए किरण ने कई बैंकों मे लोन के लिए आवेदन किए। लेकिन सारे आवेदन रिजेक्ट हो गए क्योंकि मैं एक 25 साल की लड़की थी जिसे कोई अनुभव भी नहीं था। बहुत मुश्किलों के बाद कंपनी स्थापित करने के बाद एक कंपनी ने 1979 में लोन की मंजूरी दी।
इसके बाद तो सब इतिहास है। आज किरण मजूमदार पूरी दुनिया में जाना पहचाना नाम है।

Kiran Mazumdar Shaw
After setting up the company, a company approved the loan in 1979

फोर्ब्स लिस्ट में हो चुकी हैं शामिल

किरण को फोर्ब्स अपनी 100 शक्तिशाली पावरफुल वूमेन की लिस्ट में भी शामलि कर चुकी हैं। उनकी कामयाबी और काबिलियत को देखते हुए ऑस्ट्रेलियाई सरकार उन्हें सर्वोच्च नागरिकता अवॉर्ड से सम्मानित कर चुकी है। ऑस्ट्रेलिया सरकार का मानना है कि किरण मजूमदार शॉ ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते को पहले से और अधिक बेहतर करने में अहम भूमिका निभाई है।
इन्हें, ईवाई (EY) वर्ल्ड आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ईयर 2020 पुरस्कार भी मिल चुका है। कोरोना का समय होने के कारण यह पुरस्कार उन्हें एक वर्चुअल इवेंट में दिया गया। इस मौके पर किरण मजूमदार शॉ ने कहा था कि ईवाई (EY) वर्ल्ड आंत्रप्रेन्योर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए किया जाना चाहिए। यह पुरस्कार जीतने वाली किरण भारत की तीसरी नागरिक हैं। इससे पहले यह पुरस्कार कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक और इन्फोसिस टेक्नालॉजीज के नारायणमूर्ति को यह पुरस्कार मिल चुका है।
तो यह कहानी है किरण मजूमदार शॉ की जिन्होंने अपने रिजेक्शन को एक कंपनी में बदल दिया।

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