Jagannath Rath Yatra
Jagannath Rath Yatra

Overview: क्या रथ यात्रा अधूरी छोड़ने से होता है कोई दोष?

जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है, जिसे हर वर्ष ओडिशा के पुरी में भव्य रूप से मनाया जाता है। लेकिन अगर कोई श्रद्धालु यह यात्रा अधूरी छोड़ दे, तो क्या उसे कोई दोष लगता है? आइए जानते हैं विस्तार से

Jagannath Rath Yatra: भारतवर्ष में ऐसे अनेक पर्व हैं जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होते हैं, बल्कि समाज को आध्यात्मिक ऊर्जा से भी जोड़ते हैं। इन्हीं में से एक है जगन्नाथ रथ यात्रा, जिसे हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और भव्य त्योहारों में गिना जाता है। यह अद्भुत पर्व हर वर्ष ओडिशा के पुरी में आयोजित होता है और देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेने आते हैं। हालांकि यह यात्रा पुरी की पहचान है, लेकिन इसकी झलक अब भारत के कई अन्य राज्यों के शहरों में भी दिखाई देती है, जहां श्रद्धालु रथ यात्रा का आयोजन करते हैं।

जगन्नाथ रथ यात्रा

जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान श्रीजगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस यात्रा का आरंभ उनके मुख्य मंदिर से होता है और वे कुछ दूरी पर स्थित गुंडिचा मंदिर जाते हैं, जिसे उनकी मौसी का घर कहा जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ इस रथ यात्रा में भाग लेते हैं, उनके जीवन की कठिनाइयाँ धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं और उन्हें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिल जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान स्वयं भक्तों के बीच आकर उन्हें अपने दर्शन का लाभ देते हैं, जिससे उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

इस वर्ष 27 जून से प्रारंभ हो रही हैं जगन्नाथ रथ यात्रा

वर्ष 2025 में यह भव्य रथ यात्रा 27 जून से प्रारंभ हो रही है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने विशाल रथों में सवार होकर पुरी के मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। यह यात्रा लगभग 10 दिनों तक चलेगी। इस दौरान रथों को भक्तगण रस्सियों से खींचते हैं और “जय जगन्नाथ” के जयघोष से वातावरण गूंज उठता है। 5 जुलाई को तीनों देवता पुनः अपने मंदिर लौटते हैं, जिसे ‘बहुदा यात्रा’ कहा जाता है।

क्या रथ यात्रा अधूरी छोड़ने से होता है कोई दोष?

अक्सर भक्तों के मन में यह शंका होती है कि यदि वे किसी कारणवश रथ यात्रा को पूरा नहीं कर पाते या उसे बीच में ही छोड़ना पड़ता है, तो क्या उन्हें कोई पाप लगेगा? इस संदर्भ में धार्मिक मान्यताएँ अत्यंत सरल और संवेदनशील हैं। कहा गया है कि भगवान जगन्नाथ भावना के भूखे हैं, न कि मात्र परंपरा के। यदि कोई भक्त सच्चे हृदय से रथ यात्रा में सम्मिलित होना चाहता है लेकिन परिस्थितिवश पूरी यात्रा नहीं कर पाता, तो भगवान उसकी भक्ति और भावना को स्वीकार करते हैं। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार का दोष नहीं लगता।

क्या जगन्नाथ की मूर्ति घर में रखी जा सकती है?

जगन्नाथ जी के प्रति श्रद्धा रखने वाले कई भक्त उनके विग्रह को अपने घर लाना चाहते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से यह पूर्णतः उचित है, परंतु कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि मूर्ति को घर में किसी पवित्र, शांत और केंद्रीकृत स्थान पर ही रखें। पूजा कक्ष इसके लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है। मूर्ति को कभी भी कोनों, रसोई या शयनकक्ष जैसे स्थानों में नहीं रखना चाहिए।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...