ससुराल, एक ऐसी जगह, जहां लड़कियां जाने को बेताब होती हैं लेकिन शादी के बाद यही बेताबी उदासी में भी बदलती है। वजह नए घर के नए नियम-कायदे और रहन-सहन होते हैं, जिनके साथ निभाना आसान नहीं होता है। सालों तक जिस तरह से रहे, उसे बदलना आसान नहीं होता। नए कलेवर में रंगना इतना आसान हो भी नहीं सकता है। मगर यकीन मानिए इनको थोड़ी समझदारी से आसान बनाया जा सकता है। वो समझदारी, जो नई बहू के साथ बाकी परिवार को भी दिखानी होगी। ताकि नए परिवार में बहू को अच्छा लगे और पूरा जीवन वो खुशी-खुशी उन लोगों के साथ बिता सके। इस तरह से पूरे परिवार को भी नए सदस्य के साथ मेल-मिलाप करने में आसानी रहेगी। बहू जब नई-नई आए घर तो कैसा हो सबका रवैय्या ताकि एडजस्टमेंट हो आसान, चलिए जान लें-
हर परिवार अलग-अलग-
ये तो बात सबको माननी ही पड़ेगी, हर परिवार का रख रखाव अलग-अलग होता है। सबकी लाइफस्टाइल भी जुदा होती है। कहीं चावल खाना बहुत पसंद किया जाता है तो कहीं रोटी। कहीं रात का खाना जल्दी खा लिया जाता है तो कहीं नाश्ते में सिर्फ पराठे खाना ही पसंद किया जाता है। ऐसे ही कई और बदलाव भी होते हैं। जो दो परिवारों को अलग बनाते हैं। ऐसे में परिवार की बहू से ये अपेक्षा कि वो आते ही नए परिवार में जुड़ जाए, गलत होती है, यही अपेक्षा, उसके लिए परिवार के साथ जुड़ाव नहीं होने देता है और नई जिंदगी परेशानियों से भर जाती है। इस वक्त आपको बहू की गलतियों को हौले से संभालना होगा। आपको कहना होगा कि कोई बात नहीं धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
बहू की सोच-
इस वक्त अगर परिवार आपका साथ नहीं दे रहा है तो आपको भी कुछ कदम उठा लेने चाहिए। ये कदम सहयोग के होने चाहिए, जैसे अगर परिवार आपके एडजस्टमेंट की कोशिशों को नहीं समझ पा रहा है तो आप आगे आकर बात करें। उन्हें बताएं कि आप लगातार कोशिश कर रही हैं। लेकिन गलतियों में सुधार भी धीरे-धीरे होता है और आप करके रहेंगी। बस मुझे थोड़ा सहयोग कीजिए।
बहू का भी परिवार-
कई परिवार ऐसे होते हैं जहां बहू के मायके के बारे में बहुत बुरा भला कहा जाता है। ऐसा सीधे तौर पर न सही तो किसी बात के सहारे या हंसी-मजाक के मौकों पर भी किया जाता है। ताकि बात भी उस तक पहुंच जाए और लोगों ये भी न लगे कि बुराई की गई है। ये बहुत गलत नजरिया होता है। इस तरह से बहू कभी भी नए परिवार को अपना नहीं मान पाती है। बल्कि उसे परिवार से खास तरह की दूरी महसूस होने लगती है। वो ससुराल को परिवार की तरह मान ही नहीं पाती है।
अगर हो जाए बहस तो-
बहस हो जाना आम बात है। लेकिन इस दौरान किसी एक पक्ष का पीछे हटना ही सही तरीका होता है। बाद में शांत मन होने पर इस बारे में बात की जानी चाहिए।
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