Foods to Avoid In Sawan: सनातन धर्म में कई सारी मान्यताएं हैं जो काफी ज्यादा प्रचलित है। इस धर्म को मानने वाले लोग इसके नियमों का काफी अच्छे से पालन करते हैं। दरअसल खास त्यौहार और पर्व के साथ-साथ व्रतों के दौरान सनातन धर्म में लहसुन प्याज और मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं किया जाता है। इसके सेवन की मनाही रहती है और इसका पालन लोग अच्छे से करते हैं। लेकिन कई लोगों के मन में अक्सर यह सवाल जरूर आता है कि आखिर पूजा-पाठ और व्रत के दौरान लहसुन प्याज का सेवन क्यों नहीं किया जाता है? अगर आपके मन में भी ऐसा सवाल आता है तो आज हम आपको इसके पीछे की मान्यता बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों लहसुन और प्याज का सेवन पूजा-पाठ और व्रत के दौरान नहीं किया जाता है। चलिए जानते हैं –
ये है लहसुन-प्याज नहीं खाने की मान्यता

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब श्रीहीन हो चुके स्वर्ग को उसकी वैभव और संपदा की प्राप्ति करवाने के लिए देव और असुरों ने समुंद्र किया था तब एक अमृत का कलश निकला था। ऐसे में उसके बाद देव और असुरों के बीच काफी ज्यादा युद्ध होने लगा। युद्ध को देख भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और सभी को अमृत बाटने लगे। ऐसे में अमृत बाटने की बरी पहले देवताओं की थी। इसलिए मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने पहले सभी देवताओं को अमृत दिया। ऐसे में एक राक्षस ने देवताओं के बीच देवता रूप धारण कर उस अमृत को ले लिया।
जिसके बाद सूर्य और चंद्र देव उसे पहचान लिया। इस दौरान भगवान विष्णु ने अपने चक्र से राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन उससे पहले ही राक्षस ने अमृत ले लिया था। सिर काटने के बाद अमृत की कुछ बूंदें राक्षस के मुंह से जमीन पर गिर गई। जिसके बाद लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। बड़ी बात ये है कि जिस राक्षस का सिर भगवान विष्णु ने काटा था उसकी पहचान सिर राहु और धड़ केतु के रूप में होने लगी। राक्षस की अंश से ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई थी। इसी वजह से सनातन धर्म में पूजा पाठ और व्रत के दौरान इसके सेवन की मनाही रहती हैं।