Utpanna Ekadashi: मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहकर पुकारा जाता है। दरअसल, इस दिन उत्पन्ना देवी का जन्म हुआ था और ये एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यताओं के हिसाब से जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा भावना से इस दिन पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उत्पन्ना एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी का व्रत 20 नवंबर को रखा जाएगा। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 19 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी और 20 नवंबर को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का महत्व और पूजा विधि।
उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा

मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि से कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु और मुर नाम के असुर के मध्य युद्ध छिड़ गया। युद्ध के दौरान जब भगवान विष्णु थक गए, तो वे बद्रिकाश्रम गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। अब असुर उनका पीछा करता हुआ गुफा तक पहुंच गया और उन पर हमला करने लगा। वहीं भगवान विष्णु विश्राम मुद्रा में थे। जैसे ही असुर ने विष्णु जी पर प्रहार करने के लिए शस्त्र उठाया, उसी क्षण भगवान विष्णु के शरीर में से एक देवी का उत्पन्न हुई, जिसने उस राक्षस का संहार कर दिया। देवी के इस कार्य से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न हो गए और उन्होंने देवी को वरदान दिया। उन्होंने कहा कि मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन को उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाया जाएगा और तुम्हारी इस विशेष दिन पूजा अर्चना होगी। भगवान विष्णु ने कहा कि जो भी जातक इस दिन व्रत रखेंगे उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होगा।
उत्पन्ना एकादशी पूजन विधि
- उत्पन्ना एकादशी के दिन प्रात स्नान के पश्चात विष्णु भगवान का गंगाजल से अभिषेक करें
- उन्हें स्वच्छ फूल के साथ तुलसी चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु को तुलसी सहित मिष्ठान अर्पित करें।
- इसके लिए एक दिन पहले ही तुलसी के कुछ पत्ते एकत्रित कर लें।
- उत्पन्ना एकादशी पर तुलसी के पत्ते को तोड़ना वर्जित माना जाता है।
- इस दिन विष्णु जी की अराधना करने से भक्तों को सुख समृद्धि और एश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- ऐसा माना जाता है कि यह व्रत मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
खुशहाल जीवन के लिए इस दिन करें कुछ खास उपाय
- यदि व्यवसाय या नौकरी में बार बार अड़चन आ रही है, तो ”ऊँ गोविंदाय नमः” का 108 बार जाप करें।
- इस दिन विष्णु जी को पीले मिष्ठान का अवश्य भोग लगवाएं।
- घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करते समय दस मुखी रुद्राक्ष की भी पूजा करें।
