दरअसल वाराणसी में गंगा आरती का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इसमें सामूहिक शंखनाद का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। यह शंखनाथ तकरीबन10 मिनट के लिए अनवरत किया गया था। इसी कारण श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भी इसी तरह का सामूहिक शंखनाद के आयोजन के निर्देश दिए हैं। इसके लिए ब्रज के सभी प्रमुख मंदिरों के प्रबंधकों से भी बातचीत की जाएगी।
रास लीलाओं का आयोजन
मथुरा और वृंदावन वो स्थान है, जहां भगवान कृष्ण रासलीला किया करते थे। जन्माष्टमी का त्योहार यहां दस दिन पहले ही मनाना शुरू कर दिया जाता है। इस दौरान यहां कृष्ण से जुड़ी रासलीलाएं और महाभारत में भगवान कृष्ण से जुड़े दृश्यों का प्रोफेशनल आर्टिस्ट द्वारा मंचन होता है। मथुरा, वृंदावन और गोकुल में 4 हजार से ज्यादा मंदिर हैं। जन्माष्टमी के दिन इन मंदिरों को बड़ी ही खूबसूरती से सजाया जाता है।
मंदिरों में लगती हैं झाकियां
जन्माष्टमी के दिन मथुरा के मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कई झाकियां बनाई जाती हैं, जिन्हें देखने लाखों की संख्या में श्रद्धालु इन मंदिरों में पहुंचते हैं। इन झाकियों में भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाओं को दिखाया जाता है। कई झांकियों में महाभारत की घटनाओं को दिखाया जाता है।
मंदिरों में होता है मूर्तियों का श्रृंगार
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों का श्रंगार किया जाता है। उन्हें नए कपड़े और गहने पहनाए जाते हैं। मूर्तियों के अलावा पूरे मंदिर को भी बाहर और अंदर से सजाया जाता है। इस दौरान का दृश्य यकीनन आपका मन मोह लेने वाला होगा।
