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जी हां, वैसे तो कान्हा के भक्तों के लिए हर दिन उनकी पूजा और स्मरण के लिए होता है, पर जन्माष्टमी का त्यौहार उनके भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। जैसा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु ने द्वापर युग में भाद्रपद की अष्टमी तिथि पर श्री कृष्ण के रूप में धरती पर अवतरण किया था। ऐसे में हर वर् इस तिथि पर जन्माष्टमी के रूप में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जब भक्तजन पूरी विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हैं… और इस बार की जन्माष्टमी तो धर्म और ज्योतिष दोनो ही दृष्टिकोण से विशेष शुभकारी है। चलिए आपको इसके बारे में जरा विस्तार से बताते हैं कि आखिर ये जन्माष्टमी कैसे भक्तजनो के लिए विशेष मंगलकारी होने वाली है।
जन्माष्टमी की तिथि और ज्योतिषीय गणना
सबसे पहले तो आपको बता दें कि इस बार भी बीते वर्षों की तरह जन्माष्टमी की तिथि को लेकर काफी संशय की स्थिति बनी हुई है। मान्यता यह है कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, ऐसे में अगर अष्टमी तिथि के अनुसार देखा जाए तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी होनी चाहिए, पर वहीं अगर रोहिणी नक्षत्र का हिसाब माने तो फिर जन्माष्टमी 24 अगस्त को होनी चाहिए। वैसे 24 अगस्त को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा, ऐसे में ज्योतिषचार्यों की माने तो 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा और इसी खास दिन वो ठीक वैसा ही शुभ संयोग बन रहा है जैसा कि द्वापर में श्री कृष्ण के जन्म के समय पर था।
सालों बाद बना है ये शुभ संयोग
ज्योतिषचार्यों के अनुसार इस जन्माष्टमी (24 अगस्त) पर ठीक वैसा ही शुभ संयोग बन रहा है, जैसा कि द्वापर में श्री कृष्ण के जन्म के समय पर था। दरअसल, ज्योतिष गणना के अनुसार जिस तरह द्वापर युग में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में विराजमान थे, ठीक उसी तरह इस साल जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र में ये अद्भुत संयोग बन रहा है।
ये महासंयोग है विशेष मगंलकारी
दरअसल, रोहिणी नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा दोनों का उच्च राशि में रहना बेहद शुभ संयोग हैं, जो कि बहुत ही मंगलकारी होता है। ऐसे में इस दिन की गई पूजा-अर्चना भी काफी फलदायी साबित हो सकती है। इसलिए इस जन्माष्टमी आप भी कान्हा की पूजा कर इस विशेष मौके का लाभ उठाना ना भूलें।