Overview: श्रीहरि को प्रिय हैं ये 8 दिव्य पुष्प
भगवान विष्णु को कमल, तुलसी और पीले पुष्प सबसे अधिक प्रिय हैं। इनसे पूजा करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। अगर आप चाहें, तो मैं इसे एक अनुच्छेद या श्लोक-सहित विस्तृत रूप में भी दे सकता हूँ।
Favorite Flower of Lord Vishnu: सनातन धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से श्रीहरि विष्णु की पूजा करता है, उसे न केवल इस जन्म में सुख और शांति प्राप्त होती है, बल्कि उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। विशेष रूप से गुरुवार और एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
गुरुवार और एकादशी के दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और श्रीहरि को भोग लगाते हैं, सुंदर वस्त्र पहनाते हैं, आभूषणों से सजाते हैं और रंग-बिरंगे फूल अर्पित करते हैं। हालांकि, शास्त्रों में यह स्पष्ट कहा गया है कि भगवान भौतिक वस्तुओं से अधिक भावना के भूखे होते हैं। यदि कोई उन्हें सच्चे हृदय से अर्पण करता है, तो वे केवल फूल ही नहीं, भावनाओं की महक को भी स्वीकार करते हैं।
श्रीहरि को प्रिय हैं ये 8 फूल
भगवान विष्णु को वास्तव में कौन से फूल अर्पित करने चाहिए, इसका उत्तर एक सुंदर और सारगर्भित श्लोक में मिलता है, जो पीढ़ियों से गुरुकुल परंपरा में चला आ रहा है। यह श्लोक न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि जीवन के मूल्यों और आदर्शों को भी उजागर करता है।
“अहिंसा प्रथमं पुष्पं, पुष्पं इन्द्रियनिग्रहम।
सर्वभूत दया पुष्पं, क्षमा पुष्पं विशेषतः।।
ध्यानं पुष्पं, दानं पुष्पं, योग पुष्पं तथैव च।
सत्यं अष्टविधं पुष्पं, विष्णोः प्रीतिकरं भवेत।।”
इस श्लोक में बताया गया है कि भगवान विष्णु को वास्तव में आठ प्रकार के विशेष पुष्प प्रिय हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से मानवीय गुणों और जीवन के सच्चे आदर्शों को दर्शाते हैं। आइए इन दिव्य पुष्पों को विस्तार से समझते हैं:
अहिंसा रूपी पुष्प : श्रीहरि कहते हैं कि सबसे पहले उन्हें अहिंसा का फूल अर्पित किया जाए। यानी किसी भी प्राणी के प्रति हिंसा का भाव न रखें। मन, वाणी और कर्म से किसी को भी पीड़ा न पहुंचाएं।
इंद्रियनिग्रह रूपी पुष्प : अपने मन और इंद्रियों को वश में रखना बहुत जरूरी है। काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे विकारों पर नियंत्रण ही सच्चा पुष्प है।
सर्वभूत दया रूपी पुष्प : सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव रखें। पशु-पक्षियों से लेकर मनुष्यों तक, हर जीव में परमात्मा का अंश मानें और उनसे दया का व्यवहार करें।
क्षमा रूपी पुष्प : कोई व्यक्ति यदि जानबूझकर या अनजाने में आपका अहित कर दे, तो उसे क्षमा कर दें। क्षमा करना न केवल दूसरे को राहत देता है, बल्कि स्वयं को भी आत्मिक शांति प्रदान करता है।
दान रूपी पुष्प : यदि आपके पास साधन-संपत्ति है, तो उसे ज़रूरतमंदों के साथ साझा करें। अन्न, वस्त्र, जल, धन आदि का दान करने से न केवल पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि समाज में भी पॉजिटिव एनर्जी फैलती है।
ध्यान रूपी पुष्प : भगवान विष्णु को समर्पित ध्यान भी एक पवित्र पुष्प है। उनका स्मरण, ध्यान और भक्ति से जुड़ाव आत्मा को पवित्र करता है और परमात्मा से जोड़ता है।
योग रूपी पुष्प : नियमित योगाभ्यास द्वारा शरीर और मन दोनों को स्वस्थ और संयमित रखना भी ईश्वर की आराधना का एक सुंदर माध्यम है। यह आत्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।
सत्य रूपी पुष्प : अंत में, जीवन में सदैव सत्य का साथ देना चाहिए। झूठ, छल और कपट भगवान को अप्रिय हैं। जो व्यक्ति सत्य बोलता है, वही वास्तव में श्रीहरि का प्रिय होता है।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए केवल सुंदर फूलों की नहीं, बल्कि सच्चे भाव, चरित्र और जीवन मूल्यों की आवश्यकता है। जो व्यक्ति इन आठ पुष्पों को अपने जीवन में उतारकर ईश्वर को अर्पित करता है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा सदा बनी रहती है और वह अंततः मोक्ष प्राप्त करता है।
