गणेश जी के मंदिर सिद्धिविनायक की खूब महिमा आपने देखी होगी। हो सकता है कि आपने मुंबई वाले सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश भगवान के दर्शन भी किए होंगे। ये मंदिर है ही इतना खास कि इसे देखने तो लोग विदेशों से भी आते हैं। लेकिन कभी आपने गणेश भगवान के इस रूप के बारे में जाना है। क्या आप जानती हैं कि भगवान गणेश का सिद्धिविनायक रूप कैसे दूसरों से अलग है। कैसे भगवान गणेश का ये रूप भक्तों का मन मोह लेता है। भगवान गणेश के भक्तों में खुद को भी शामिल मानती हैं तो इनके दर्शन के लिए खुद को हमेशा तैयार रहती होंगी। लेकिन क्या इनके रूपों खासतौर पर सिद्धिविनायक रूप के बारे में जानती हैं? भगवान गणेश के सिद्धिविनायक रूप में क्या खासियत हैं ये जानना जरूरी है। अब मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में बड़े-बड़े फिल्मी सितारे और सेलेब्रिटी यूंही तो नहीं जाते हैं न-

सबसे लोकप्रिय रूप

सिद्धिविनायक गणेश भ्ग्व्वन का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला रूप है। भक्त इनके दर्शन करके खुद को धन्य मानते हैं। 

मूर्ति की खासियत

गणेश जी की सिद्धिविनायक मूर्ति का रूप भी कुछ अलग होता है। इसको एक बात पहचान लेने के बाद आप इनकी भक्ति में लीन होने से खुद को रोक बिलकुल नहीं पाएंगी। गणेश जी की प्रतिमा की सूंड़ बाकी मूर्तियों से कुछ अलग होती है। सिद्धिविनायक की प्रतिमाँ की सूंड़ दाईं ओर मुड़ी होती है। इन प्रतिमाओं वाले मंदिरों को सिद्धिविनायक मन्दिर कहा जाता है। 

चतुर्भुजी विग्रह वाले सिद्धिविनायक

सिद्धिविनायक गणेश की प्रतिमा में और भी कई खासियतें होती हैं। इन्के दाएं हाथ में कमल होता है तो बाएं हाथ में अंकुश। इतना ही नहीं नीचे वाले दाएं हाथ में मोतियों की माला है तो बाएं हाथ में मोदक का कटोरा। 

धन और ऐश्वर्य

गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप में प्रतिमा के दोनों ओर रिद्धी और सिद्धि, दोनों पत्नियां भी विराजती हैं। ये धन और ऐश्वर्या का प्रतीक माना जाता है। 

तीसरे नेत्र वाले गणेश

गणेश भगवान का ये रूप उनके पिता से मिलता-जुलता है। उनके मस्तक पर तीसरा नेत्र है तो गले में सांप भी है। 

अनोखा रूप

सिद्धिविनायक के इस रूप को अनोखा माना जाता है और इस रूप को खास इसलिए बोलते हैं। इसको चतुर्भुज विग्रह कहा आता है। 

गणेश भगवान के 8 रूप

भगवान गणेश के 8 रूपों के बारे में आमतौर पर बात की जाती है। गणेश पुराण, मुद्गल पुराण, गणेश अंक में इन रूपों के बारे में बताया गया है। इसके नामों को पहचान लीजिए।  वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लंबोदर, विकट, विघ्नराज, और धूम्रवर्ण, नामों को गणेश भगवान के रूप में पहचान मिली हुई है। 

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