श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को अत्यंत प्रिय है, इसी कारण से श्रावण माह शिव शम्भू को समर्पित है। शिव नित्य और अजन्मे हैं, इनका न आदि है न अंत इस कारण से देवादि देव शिव शंभू अनादी और अनंत हैं। यह सभी अपवित्र करने वाले पदार्थों को भी पवित्र करने वाले हैं। साथ ही कलियुग में सर्वाधिक पूजे जाने वाले देव माने गए हैं। भगवान पूजे जाने वाले देव माने गए हैं। भगवान शिव का नाम प्रत्येक हिन्दू परिवार में श्रद्धा और निष्ठा से लिया जाता है। कोई विरला ही होगा जो उनके नाम और महिमा से परिचित न होगा।
कहा जाता है फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी को शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इस दिन शिव पूजन और व्रत का बहुत महत्व है। भोले नाथ की पूजा स्वयं श्री राम ने भी रामेश्वरम् नाम के शिवलिंग की स्थापना करके की थी, लंका पर आक्रमण करने से पहले। शिव रूद्र भी हैं, कल्याणकारी भी इसलिए भगवान भोले नाथ की पूजा आराधना इस पूरे मास में आस्था श्रद्धा भाव से की जाती है।
सावन की शिवरात्रि
शिव निरंकारी भी हैं और साकार भी यह भी एक कारण है जो श्रावण माह शिव को साकार भक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह माह कामनाओं के अनुरूप फल देने वाला है। जो लोग इस मास में सोमवार का व्रत (उपवास) कर शिव का भक्ति भाव से पूजन करते हैं। उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। और इस का फल एक वर्ष के शिव पूजन व सोमवार के व्रत रखने के सामान माना जाता है। शिवरात्रि को लेकर कई किवदंतियां जुड़ी हैं। पुराणों के अनुसार यह दिन शिव पार्वती के विवाह का दिन माना जाता है। भगवान शिव हमारे रक्षक हैं। इसलिए भी शिवरात्रि मनाई जाती है। एक दूसरी मान्यता के अनुसार जब सारी दुनिया प्रलय व विनाश का सामना कर रही थी तब मां पार्वती जी ने धरती को बचाने के लिए शिव की उपासना की थी वह पूरे दिन रात भगवान की अराधना करती रहीं इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने सब कुछ स्थिर कर दिया। तब से वह रात शिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है।
ऐसे करें शिव की अराधना
इस दिन महिलाएं चाहे विवाहित हों या अविवाहित हर कोई पूरी श्रद्धा, विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना करती हैं। भोले नाथ की पूजा वेसे तो समस्त पारकर के पुष्पों व पत्रों के द्वारा की जाती हैं। परन्तु कुछ फूल ऐसे हैं जो शिव जी को अत्यंत प्रिय हैं-भांग, आक, कनेर, नीलकमल गुलर, शंखपुष्पी और पलाश आदि। कहा जाता है तुलसी दल व मंजरी से पूजा करने पर भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। कल्याणकारी शिव का पूजन चावल से करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम गणेश, गोरी स्मरण, नन्दीश्वर, कार्तिकेय का पूजन भी करना चाहिए पूरे माह सोमवार, त्रियोदशी, चतुर्थी जैसा भी हो संभवतया आप जो सरलता पूर्वक कर सकें। शिव का ध्यान और स्मरण उपवास करते हुए रखना चाहिए।
हर-हर महादेव की गूँज
भोले भंडारी का तन, मन से जल अभिषेक कर भावपूर्ण अर्चना करने से दयालु शिव अपने भक्तों का सदा कल्याण करते हैं और उनके सभी मनोरथों को पूर्ण करते हैं। सावन में ‘बम भोले बम भोले’ की आवाज से वातावरण गुंजाएमान रहता है। मंदिरों में भक्तों की भीड़ और सैंकड़ों, हजारों कांवड़ियों का आना जाना लगा रहता है। जैसे सब कुछ शिवमय हो गया हो। कहने का तात्पर्य यही है कि शिव शंकर देवादि देव को आप और हम सब जहां जिस रूप में ध्यायें वह कल्याणकारी शिव शम्भू सबका उद्धार करते हैं। हर रूप में इनका नाम सुख देने वाला ही है।
(साभार-साधना पथ)
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