चैत्र नवरात्र 6 अप्रैल से शुरू होकर 14 अप्रैल को खत्म हो रहे हैं। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना से की जाती है। कलश को सुख समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। इस शुभ समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की नेगेटिविटी दूर होती है और घर में सुख शांति तथा समृद्धि आती है लेकिन अगर आप किसी वजह से कलश स्थापना नहीं कर सकती हैं, तो कोई बात नहीं है माँ की विधिवत और पूरी श्रद्धा से पूजा करने से भी पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। आइए, जानें माँ की आराधना की सबसे सरल विधि-
 
कैसे करें मां की साधना-आराधना 
 
आप नवरात्र में माता शक्ति की आराधना करते समय दो बातों का ध्यान रखें। भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रुपिणौ, याभ्यां बिना न पश्यन्ति सिद्धः स्वान्तः थमीस्वरम यानी माता शक्ति या किसी भी भगवान की आराधना के समय श्रद्धा-विश्वास और समर्पण का होना अति आवश्यक है। आप को श्रद्धा नहीं है, तो उस पूजा का कोई लाभ नहीं होगा।
 
शक्ति की साधना की सबसे सरल विधि 
 
  • सामग्री न हो तो केवल हल्दी अक्षत और पुष्प से ही माता की आराधना करें। संभव हो श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरुर चढ़ाएं। एक ही बात का ध्यान रखें माँ शक्ति ही परब्रह्म हैं, उन्हें आप के भाव और भक्ति चाहिए सामग्री नहीं। इसलिए जो भी सामग्री आप के पास उपलब्ध हो वही बिल्कुल भक्ति भाव और समर्पण के साथ माँ को अर्पित करें।
  • माता की आराधना के समय यदि आप को कोई भी मन्त्र नहीं आता हो तो आप केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे से सभी पूजा कर सकते हैं। यही मंत्र पढ़ते हुए सामग्री चढ़ाएं। माता शक्ति का यह अमोघ मन्त्र है। 
  • आप एक ही मंत्र से पूजा और आरती कर सकते हैं। माँ को भोग लगाए। फिर पूजन के बाद झमा-याचना कर प्रसाद सभी में बाटें।
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