कौन हैं षष्ठी देवी, जिनकी छठ पर्व में होती है पूजा, जानें यह पौराणिक कथा: Shashthi Devi Puja
Shashthi Devi Puja

Shashthi Devi Puja: हर वर्ष कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। छठ पर्व चार दिन तक चलता है। इस बार चार दिवसीय ये पर्व 17 नवंबर से 20 नवंबर तक मनाया जाएगा। छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। छठ पर्व का उत्सव मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में रहता है। इस दौरान षष्ठी देवी की पूजा का विधान है। षष्ठी देवी को छठी मईया भी कहा जाता है।

पंडित दिनेश जोशी के अनुसार, छठ पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन, वैभव, यश की प्राप्ति होती है। इस दिन छठ मैया और भगवान सूर्य देव की उपासना की जाती है। षष्ठी देवी की पूजा से परिवार में सुख—समृद्धि व खुशहाली बनी रहती है और संतान पर छठी देवी की कृपा बनी रहती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं छठ मैया कौन हैं? इनके अवतार का उद्देश्य क्या था? अगर नहीं, तो आज हम आपको बता रहे हैं। तो चलिए छठ पर्व पर आपको बताते हैं छठ मैया से जुड़ी रोचक बातें।

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Shashthi Devi Puja
Shashthi Devi Puja during Chhath Puja

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ मैया यानी षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहते हैं। सृष्‍ट‍ि की अधिष्‍ठात्री प्रकृति देवी के कई अंगों में एक प्रमुख अंश का नाम देवसेना है। जिनको षष्ठी के नाम से जाना जाता है। षष्ठी देवी की पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि जो भी छठ मैया की पूजा करता है उनके बाल बच्चों की मां रक्षा करती हैं।

इसलिए बच्चे के जन्म के छठे दिन षष्ठी देवी की पूजा का महत्व है। छठ पूजा पर्व के पहले दिन नहाय खाय होता है। इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को जल अर्पित करना और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा का व्रत रखने से परिवार में सुख—समृद्धि व शांति बनी रहती है।

Importance of Chhath Puja
Importance of Chhath Puja

पंडित जोशी बताते हैं कि छठ पूजा पर जिनता महत्व सूर्य की पूजा करने का है, उतना ही महत्व छठ मैया की उपासना करने का है। छठ पर्व पर सप्तमी तिथि को भगवान सूर्य की पूजा करने का विधान है। इस दिन सूर्य पूजा के साथ षष्ठी देवी की पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। पुराणों के अनसुार, सूर्य उपासना का महापर्व छठ सबसे कठिन त्योहारों में से एक है। जैसा कि छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इस दिन से घर में शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान मन को शांत रखना चाहिए और मां षष्ठी की सच्ची श्रद्धा से उपासना करनी चाहिए। इससे आपके परिवार में सदैव सुख—समृद्धि व शांति बनी रहेगी और बच्चों पर मां षष्ठी का आशीर्वाद रहेगा।