अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर की खासियत जानिए
हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएँगे जिसे विश्व का सबसे बड़ा मंदिर कहा जाता है। तमिलनाडु राज्य के तिरुवनमलाई जनपद में स्थित इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया था।
Bholenath Cursed Brahma Ji: भगवान शिव को देवों का देव कहा जाता है। जनमानस में इनके प्रति जो आस्था देखने को मिलती है। यही वजह है कि हमारे देश में शिव मंदिरों की भरमार है। यह मंदिर काफी प्रसिद्ध और चमत्कारी भी हैं। हर मंदिर से जुड़ा कोई ना कोई रहस्य और कहानी भी है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएँगे जिसे विश्व का सबसे बड़ा मंदिर कहा जाता है। तमिलनाडु राज्य के तिरुवनमलाई जनपद में स्थित इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया था। ऐसा माना जाता है कि मंदिर दर्शन और परिक्रमा से शिव भगवान ख़ुश होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं।
शिव मंदिर के प्रति लोक आस्था

यह मंदिर पूरी दुनिया में अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर के नाम से लोकप्रिय है। अन्नामलाई पर्वत पर स्थित इस मंदिर की छटा बहुत ही निराली है। मानसून के आते ही चारों तरफ़ हरियाली फैल जाती है। सावन पर तो इस जगह पर भक्तों का जमकर भक्ति भाव देखने को मिलता है और भारी भीड़ उमड़ती है। इस जगह पर दूर-दूर से भक्त आते हैं और इस मंदिर में शिव भगवान का जलाभिषेक करते हैं। इस मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले मेले में भी ख़ूब भीड़ होती है। इस मंदिर की वास्तुकला बेमिशाल है, ऐसा कहा जाता है कि यह विश्व में शिव भगवान का सबसे बड़ा मंदिर है।
अग्नि रूप में भगवान शिव की पूजा

इस मंदिर को लेकर तरह तरह की मान्यताएँ जुड़ी हुईं हैं। एक मान्यता यह भी है कि इसी जगह पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर ब्रह्माजी को श्राप दिया था, जिस पर बाद में अरुणाचलेश्वर मंदिर का निर्माण हुआ है। अन्नामलाई पर्वत की तराई में स्थित यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि पूरा अन्नामलाई पर्वत ही भगवान शिव का प्रतीक है। इस मंदिर में लिंगोत्भव नाम से स्थापित मूर्ति में भगवान शिवजी को अग्नि रूप में जहां दिखाया गया है। भगवान विष्णु और ब्रह्माजी को वराह और हंस के रूप बताया गया है।
स्थापित हैं आठ शिवलिंग

इस मंदिर तक पहुंचने और भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए काफ़ी पैदल चलना पड़ता है। अन्नामलाई पर्वत तक के पहुंचने के रास्ते में कुल आठ शिवलिंग आते हैं। इस मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्त रास्ते में इंद्र, कुबेर अग्निदेव, निरूति, यम देव, वरुण, वायु और ईशान देव की पूजा करते हैं। एक मान्यता यह भी है की इस मंदिर में नंगे पाँव जाने से भगवान प्रश्न होते हैं और अपने भक्तों को उनके किए पापों से मुक्ति दिलाते हैं।
भगवान शिव की परिक्रमा

हर मंदिर से कोई ना कोई आस्था जुड़ी हुई है। इस आस्था को प्रदर्शित करने के लिए भक्त तरह तरह के प्रयास करते हैं। अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर से भी इसी तरह से लोगों की बहुत ही गहरी आस्था जुड़ी हुई है। इस जगह पर आने वाले भक्त अपनी तरह तरह की मनोकामना लेकर आते हैं, उनका विश्वास है कि इस जगह पर आने मात्र से भगवान उनकी हर इच्छा को पूरी कर देते हैं। कुछ लोग अन्नामलाई पर्वत की भी परिक्रमा करते हैं। यह पूरा सर्किट लगभग 14 किलोमीटर लंबा है।
कार्तिक पूर्णिमा पर मेला

कार्तिक पूर्णिमा के समय इस जगह पर भक्तों की जो भीड़ देखने को मिलती है वह कभी और नहीं देखने को मिलती है। इस जगह पर इस दौरान एक बहुत ही भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें देश के कोने कोने से शिव भक्त आकर शामिल होते हैं। इस मेले को कार्तिक दीपम के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। कार्तिक दीपम के अवसर पर एक भव्य दीपक का दान करने की परंपरा है। इस मेले में आकर मन शिव की भक्ति भाव से भर उठता है।