Bhangarh Fort Mystery: महलों और उनसे जुड़े रहस्यों के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐेसे महल के बारे में सुना है जहां शाम ढलने के बाद आज भी लोग जाने से डरते हैं। जैसे-जैसे दिन ढलता है, जहां का सन्नाटा और भी गहरा हो जाता है। यहां आना तो दूर लोग इसके पास से गुजरने तक से डरते हैं। माना जाता है यह महल ही नहीं जिस नगर में से बसा है, वो पूरा नगर ही श्रापित है और यहां शाम ढलने के बाद भूतों का साम्राज्य होता है। डर, रहस्यों और कई अनसुलझे सवाल लिए खड़ा ये है राजस्थान का भूतों का भानगढ़ महल।
पैरानॉर्मल एक्टिविटी का केंद्र

भूतों से जुड़ी ढेरों कहानियों और किस्सों के कारण ही इस जगह का नाम भूतों का भानगढ़ पड़ा है। सालों पहले उजड़ चुके इस शहर को पैरानॉर्मल एक्टिविटी का केंद्र माना जाता है। ऐसे में आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने दिन ढलने के बाद यहां जाने पर पाबंदी लगा दी है। यहां सरकार की ओर से बाकायदा इसे लेकर चेतावनी तक लिखी गई है। रात तो दूर लोग यहां शाम पांच बजे के बाद रुकने से ही डरते हैं।
भानगढ़ से जुड़ी है एक गुरु के क्रोध की कहानी

कहा जाता है कि राजा माधो सिंह ने गुरु बालूनाथ की स्वीकृति के बाद भानगढ़ शहर का निर्माण करवाया था। इस शहर को सुव्यवस्थित तरीके से बसाया गया था। चारों की बाजार, घर, बीच में चौड़ी सड़कें, महल, तालाब, मंदिर, झरने एक शहर के लिए जो कुछ भी जरूरी था, उन सभी बातों का ध्यान रखा गया। गुरु बालूनाथ एक तपस्वी थे, जो हमेशा ध्यान में रहते थे। कहा जाता है कि गुरु बालूनाथ ने अपनी स्वीकृति इस शर्त पर दी कि महल की छाया उनके प्रार्थना स्थल पर नहीं पड़नी चाहिए। साथ ही चेतावनी भी दी थी कि अगर ऐसा हुआ तो पूरा महल ही नहीं नगर ही बर्बाद हो जाएगा। लेकिन यहां राजा माधो सिंह चूक गए। महल पूर्ण होने पर उसकी छाया गुरु की प्रार्थना स्थल पर पड़ गई और भानगढ़ उजड़ गया। गुरु के श्राप के कारण यहां कुछ नहीं बचा। गुरु बालूनाथ का तपस्या स्थल यहां आज भी देखा जा सकता है। इस शहर में अब सिर्फ खंडर बचे हैं।
लोग कहते हैं , आती है अजीब आवाजें
वैज्ञानिक भले ही भानगढ़ के उजड़ने की इस कहानी को सिरे से नकारते हैं, लेकिन स्थानीय लोग इस पर पूरा विश्वास करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शाम ढलते ही यहां से अजीब अजीब आवाजें आती हैं। कभी किसी के रोने की आवाज सुनाई देती है, तो कभी किसी के चिल्लाने की। कई बार यहां से संगीत की आवाज भी आती है। लोगों का दावा है कि उन्होंने यहां परछाइयां भी देखी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि श्राप के कारण जिन लोगों की मौत हुई, उन्हें आजतक मुक्ति नहीं मिल पाई है।
ऐसे पहुंच सकते हैं भूतों का यह शहर देखने

भानगढ़ दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर दूर है। वहीं जयपुर से ये करीब 84 किलोमीटर की दूर पर है। अलवर से इसकी दूरी 90 किलोमीटर है। आप नई दिल्ली से अलवर के लिए ट्रेन ले सकते हैं और उसके बाद आप भानगढ़ के लिए कैब या टैक्सी कर सकते हैं। ध्यान रखें यहां शाम 6 बजे बाद प्रवेश निषेध है, इसलिए अपना प्रोग्राम उसी के अनुसार प्लान करें।
