वैसे तो हर साल चंद्रग्रहण लगता है लेकिन इस साल का चंद्रग्रहण बहुत खास है। 35 सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब ब्लू मून, ब्लड मून और सुपर मून एक साथ दिखेगा। नेहरू तारामंडल की निदेशक डॉ. एन रत्नाश्री ने बताया कि इस दिन चंद्रमा के तीनों ही कलेवर सुपर मून, ब्लू मून और ब्लड मून एक साथ दिखाई देंगे। ऐसी घटना 35 वर्षों के बाद हो रही है। इससे पहले एशिया में वर्ष 1982 में यह घटना देखने के लिए मिली थी। 31 जनवरी को शाम करीब 5:18 बजे से यह घटना देश के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिलेगी। नई दिल्ली में करीब छह बजे आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान चांद निकलेगा और तकरीबन आठ बजे तक यह नजारा देखा जा सकेगा। 

ध्यान रहे कि इस समय कुछ कार्य नहीं करने चाहिए। जैसे कि भगवान की मूर्ति को छूना, किसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल करना, भोजन करना, प्रेग्नेंट महिलाओं का बाहर निकलना आदि शामिल हैं। 

 

चंद्र ग्रहण प्रारंभ – 5 बजकर 18 मिनट 
चंद्र ग्रहण समाप्त – रात्रि 8 बजकर 53 मिनट
खग्रास प्रारंभ – शाम 6 बजकर 22 मिनट
खग्रास समाप्ति – रात 7 बजकर 38 मिनट 
ग्रहण अवधि – 3 घंटे 24 मिनट    

 

शहरों का स्थान और चन्द्रोदय
 
नीचे कुछ मुख्य शहरों का चन्द्रोदय दिया जा रहा है उसके अनुसार अपने-अपने शहरों का ग्रहण के पुण्यकाल का जानकर अवश्य लाभ लें ।
 
कलकत्ता- शाम 5 बजकर 16 मिनट
दिल्ली- शाम 5 बजकर 53 मिनट
मुंबई- शाम 6 बजकर 27 मिनट
चैन्नई- शाम 6 बजकर 04 मिनट
हैदराबाद- शाम 5 बजकर 18 मिनट
पुणे- शाम 6 बजकर 27 मिनट
बैंग्लोर- शाम 4 बजकर 21 मिनट
अहमदाबाद- शाम 6 बजकर 21 मिनट
लखनऊ – शाम 5 बजकर 41 मिनट
कानपुर – शाम 5बजकर 44 मिनट
 
क्या है सुपर ब्लू ब्लड मून
 
आम तौर पर दो पूर्णिमा के बीच 29 दिन का फर्क होता है, ऐसे में एक ही माह में दो पूर्णिमा होना दुर्लभ है, लेकिन ऐसा होने की स्थिति को ही ब्लू मून कहते हैं। 2 जनवरी को भी पूर्णिमा थी। चंद्रग्रहण के दौरान जब चंद्रमा सूर्य की रोशनी से दूर होते हुए पृथ्वी की छाया में होता है तो इसका रंग लाल हो जाता है। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान यह रक्तिम लाल होता है। इस दौरान इस पर पृथ्वी की छाया से होते हुए कम ही सौर रौशनी पहुंचती है और वायुमंडल के बीच धूल के परत के कारण यह लाल नजर आता है। इसे ही ब्लड मून कहते हैं। और चंद्रमा का अपने सामान्य आकार से अधिक बड़ा दिखाई देना सुपर मून कहलाता है। 
 
जानिए क्या होता है ग्रहण 
 
परंतु ग्रहण के विषय में कुछ वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय जानकारी सब को होनी चाहिए। सूर्य व चंद्र ग्रहण खगोलविदों, वैज्ञानिकों , ज्योतिषियों तथा एक आम आदमी के लिए भी उत्सुकता का विषय सदियों से रहे हैं। भारत की गलियों में तो ग्रहण के समय ही मांगने वाले ‘ ग्रहण का दान दो जी’ की आवाजें लगाने लगते हैं जो एक आम आदमी के ग्रहण ज्ञान का सबूत है। वैज्ञानिक इसे एक अन्वेषण व अनुसंधान के तौर पर देखते हैं और ज्योतिषी इससेे आम लोगों के जीवन पर होने वाले प्रभावों को रेखांकित करता है। ज्योतिष शास्त्र भी खगोलीय घटनाओं की व्याख्या करता है।
 
जब आकाश में सूर्य और चंदमा अपनी अपनी गति से घूमते रहते हैं तो कई बार दोनों धरती की एक सीध में पड़ जाते हैं जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य का वह भाग धरती वासियों को काला सा दिखने लगता है और इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसा केवल अमावस्या के दिन ही संभव हो सकता है और चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा पर ही लग सकता है।