हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में 12 महीने होते हैं, जिसमें कार्तिक मास बेहद ही शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु, शिव, कार्तिकेय और तुलसी जी की पूजा अर्चना करना विशेष फलदायी होता है। वहीं इस महीने में करवाचौथ, धनतेरस, नरक चतुर्दशी , दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं। इस तरह ये पूरा माह ही धर्म-कर्म और अध्यात्म के कर्मों में बितता है और इसलिए ये माह सबसे पवित्र माह माना जाता है। ऐसे में इस महीने में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है, क्योंकि आपकी की गई जरा सी भी गलती से आपके पूजा कर्म निष्फल हो सकते हैं। आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं कि कार्तिक माह में किस तरह के कार्यों को निषेध माना गया है।
मांस- मछली का सेवन ना करें

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में मांस-मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपके पूजा-अचर्ना और दान आदी का फल नहीं मिलता।
ब्रह्मचर्य का पालन करें

वहीं कार्तिक के महीने में ब्रह्मचर्य का पालन करना भी जरूरी बताया गया है। यानि कि इस माह स्त्री-पुरूष को शारीरिक और प्रणय सम्बंधों से दूर रहना चाहिए।
शरीर पर तेल ना लगाएं

वहीं कार्तिक मास में शरीर में तेल लगाना भी वर्जित माना गया है। सिर्फ एक दिन यानी नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगा सकते हैं।
गर्म तासीर वाले भोजन से परहेज
वहीं कार्तिक महीने में गर्म तासीर वाले भोजन से भी परहेज करने को कहा गया है। जैसे कि उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई जैसे खाद्य पदार्थ इस महीने नहीं खाने चाहिए।
पलंग या बिस्तर पर ना सोएं
वहीं जो लोग इस महीने में धर्म और व्रत का पालन करते हैं, वो इस महीने पलंग या बिस्तर पर सोना भी छोड़ देते हैं।
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