हमारे देश का सामाजिक ढांचा कुछ ऐसा है कि यहां महिलाओं की ब्रा-पेंटीज़ जैसे इनर-वियर्स यानी लॉन्जरीज़ को एक भड़काऊ और सेक्शुअल डिज़ायर से जुड़ी चीज़ की तरह देखा जाता रहा है। इसके चलते आज भी महिलाएं इनकी शॉपिंग ही नहीं, बल्कि इन्हें धोने-सुखाने से लेकर इस्तेमाल करते समय तक बेहद असहज दिखती हैं।
साइज में छिपी है ‘हैप्पीनेस‘
हालांकि जिन स्टाइलिश और डिज़ाइनर ब्रा को लेकर देश की महिलाओं को कई बार कमेंट्स और ट्रोल का शिकार होना पड़ता है, वही उनकी खुशियों से भी कनेक्टेड दिखती हैं। दरअसल ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च के अंतर्गत करवाए गए सर्वे के अनुसार दावा किया गया है कि जो महिलाएं सी-कप ब्रा पहनती हैं, वे उन महिलाओं से ज़्यादा खुश रहती हैं, जो अन्य साइज़ की ब्रा इस्तेमाल करती हैं। कॉस्मेटिक सर्जरी सॉलिसिटर से आई इस रिसर्च में 39% महिलाओं ने माना कि सी कप साइज़ पहनने के बाद उन्हें अपने ब्रेस्ट्स को लेकर खुशनुमा एहसास हुआ। वहीँ 37% खुश महिलाएं वे हैं, जो डी/डबल डी कप साइज़ ब्रा पहनती हैं। 34 % महिलाओं को ए/डबल ए कप साइज़ की ब्रा पहनकर हैप्पीनेस मिलती है। बाकी 27 व 29% को इ या बी कप साइज़ की ब्रा से संतोष करना पड़ता है।
साइज़, सेहत और सलीका
यह सर्वे इसलिए भी अहम है क्योंकि ज्यादातर महिलाएं अपनी ब्रा के साइज़ को लेकर अवेयर नहीं होती हैं। छोटी साइज़ की ब्रा जहां दिन-भर घुटन का एहसास कराती है, वही अगर साइज़ ज़्यादा बड़ा हो जाए तो शरीर बेडोल लगने लगता है। कई बार महिलाएं फैशन या ब्रांड के चक्कर में पड़कर गलत ब्रा का चुनाव कर लेती हैं, जिसके चलते उन्हें घुटन, सर दर्द, मसल्स पेन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ये शोध महिलाओं के ब्रा पहनने के तरीके, साइज़ का कंफर्ट और फैब्रिक क़्वॉलिटी के आधार पर उनकी हैप्पीनेस का प्रतिशत निकाल कर एक संदेश दे रहे हैं कि इनके चुनाव और खरीद में होशियारी और आत्मविश्वास बरतें।
ब्रा का इंडियन ‘बार-कोड‘
लंदन, अमेरिका समेत दुनिया के अन्य मुल्कों में भले ही ब्रा-पैंटीज़ को खरीदने, पहनने, उनके साइज़ या डिज़ाइन को लेकर खुलकर बात करने में उन्मुक्तता दिखती हो लेकिन भारत में आज भी यह टैबू विषय है। आलम यह है कि देश के ज्यादातर इलाकों में लड़कियों की ब्रा का कुछ हिस्सा भी बाहर दिख जाए तो उस महिला का कैरेक्टर सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
हल्की सी ब्रा स्ट्रिप बाहर निकल आए तो दिल्ली का एक नामी स्कूल नौवीं से बारहवीं क्लास में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए ‘लड़कियां कृपया ‘स्किन कलर‘ की ब्रा पहनें। ब्रा के ऊपर शमीज भी पहनें।‘ जैसा फ़रमान जारी कर देता है। सोचिए. बाकी शहरों और गांवों का क्या हाल होगा। लड़कियां भी अपने इन वियर्स को टॉवल या अन्य कपड़ों के नीचे छिपाकर इस टैबूपन पर मुहर लगा देती हैं। फ़िल्म ‘क्वीन’ में सेंसर बोर्ड ने कंगना रनौत की ब्रा को ब्लर कर दिया था।
स्टाइल और कम्फर्ट का मामला है
जिन ल़ॉन्जरीज़ को हमारा समाज मॉरेलिटी, कैरेक्टर और सेक्स से जोड़ता है, दरअसल वे सिर्फ अन्य कपड़ों की तरह ही सिंपल क्लोद हैं। इसके अलावा तमाम शोधों में यह साबित हो चुका है कि एक महिला की लॉन्जरीज़ से जुड़े कंफर्ट का उसके आत्मविश्वास पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए बिंदास होकर अपनी पसंद की लॉन्जरीज़ खरीदें।
एक्स्ट्रा शॉट्स-
– ब्रा फ़्रेंच शब्द ‘brassiere’ का छोटा रूप है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है, शरीर का ऊपरी हिस्सा।
– दुनिया की पहली ब्रा फ़्रांस में बनी थी।
ये भी पढ़ें-
हैवी हिप्स वाली महिलाएं पहने इस तरह के आउटफिट्स
स्मार्ट लुक के लिए फॉलो करें 6 ट्रेंडी पैंट कलेक्शन
दिखना है स्टाइलिश तो चूज़ करें ये ट्रेंडी टेसल्स
इन 5 कलेक्शंस से अपनी वॉर्डरोब को बनाइए रिच
