यह विषय मेरे दिल के सबसे करीब है। वो पुरुष या महिलाएं जिन्होंने जीवनभर एक ही महिला से प्रेम किया है, उनको यह आर्टिकल अवश्य पढऩा चाहिए। मैं आज इस अवसर का फायदा उठाकर, लोगों के मन में बैठे ‘सुपर वुमन के विषय को लेकर जो भी मिथक हैं, उन्हें मिटाना चाहूंगी। आखिर सुपर या वंडर वुमन होती क्या है? सुपर वुमन कौन है और महिलाएं सुपर वुमन बनती कैसे हैं? तो चलिए हम एक-एक करके इन सभी सवालों का जवाब देते हैं।
सुपर वुमन क्या है?
एक व्यक्ति जो असंभव कार्य कर सकता हो वो सुपर ह्यूमन होता है। अगर साधारण रूप से बात करें तो आप सोचेंगे कि इसका अर्थ है कि अपनी छोटी उंगली पर पहाड़ उठाना या जो व्यक्ति दुनिया को किसी तबाही से बचा सके। लेकिन जब महिलाओं की बात आती है तो इसकी परिभाषा बिलकुल बदल जाती है। 21वीं सदी में सुपर वुमन वो ही होती है, जो असम्भव चीजों को सम्भव कर सके। उस छोटी सी बच्ची को ऐसा बनाया जाता है जहां उसे दूसरों के लिए त्याग करना सिखाया जाता है। उसके बाद वह एक नए जीवन को इस दुनिया में लाती है और उसे पाल पोसकर बड़ा करने की जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेती है। आपको इस बात का ख्याल रखना होगा कि ऐसा करने से वो अपनी पहचान नहीं खोती, बल्कि अपने पैरों पर खड़े होकर वे खुद को सशक्त बनाती है। एक महिला सुपर वुमन इसलिए होती है क्योकि वे हर रोज जीवन की अनिश्चितताओं और समस्याओं को कम करने में जुटी रहती है। वो नौकरी भी करती है और साथ ही एक मां, एक पत्नी, एक गृहणी, एक शिक्षिका, एक समाजवादी, एक कार्यकर्ता की भूमिका भी निभाती है और खुद का ख्याल भी रखती है। इन सबके बावजूद भी उसे लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं तब भी उसकी हिम्मत पूरी टलती नहीं है। जिन्दगी उसके सामने ऐसी मांगे रखती हैं, जिनको पूरा करना लगभग असंभव होता है, फिर भी वो उनका सामना करती है और खुद को और भी मजबूत बनाती है।
सुपर वुमन कौन होती है?
आप ही सुपर वुमन हैं और आपको इस बात से कभी इंकार नहीं करना चाहिए। अगर आप खुद को सुपर वुमन समझती हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। खुद को सुपर कहने से आपको कभी भी हिचकिचाना नहीं चाहिए। आपकी जिन्दगी का हर पहलू आपके लिए एक चुनौती था और इन चुनौतियों से लडऩे के बाद ही आप सुपर वुमन बन सकी हैं। चाहे वो महिला किसी गांव से हो या शहर में रहती हो, वो ऐसे हर काम करती है, जो पुरुष नहीं कर सकते। लेकिन सबके बीच आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि दूसरों के लिए त्याग करते-करते आपको अपनी अस्मिता और आत्मसम्मान नहीं खोना चाहिए। अगर आप एक ऐसी महिला हैं, जो अपने प्रयासों की इज्जत करती हैं तो आपको खुद को थोड़ा श्रेय भी देना चाहिए और अपने हक के लिए भी खड़ा होना चाहिए। आपको अपने प्रयासों की हिम्मत समझनी चाहिए, चाहे वे पैसे से हो या किसी और रूप में। आपको यह सोचना चाहिए कि आपके यह छोटे- छोटे प्रयास किस तरह लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर डाल रहे हैं। अगर आप अपनी रचना को एक अद्भुत रूप लेते देख पा रही हैं तो आप सुपर वुमन हैं।
आप सुपर वुमन कैसे बन सकती हैं?
सुपर वुमन बनने के लिए आपको पहले से कुछ अधिक करने की आवश्यकता नहीं है या पहले से बेहतर दिखने की जरूरत नहीं हैं। खुद के आत्मसम्मान को बढ़ावा देने के लिए और दूसरोंको खुश करने के लिए कुछ भी नया करने की जरूरत नहीं है। अत: वंडर वुमन बनने के लिए आपको किसी प्रकार के बाहरी बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि अपने अंतर्मन में बदलाव करने होंगे। आपको अंदर से खुश महसूस करना होगा कि आप इतने लोगों के जीवन में बदलाव ला रही हैं। आपको कभी-कभी खुद की तारीफ करनी चाहिए कि आप जीवन में इतने त्याग कर रही हैं और कुछ दिन अपने लिए भी निकालने चाहिए। थोड़ा ठहरें और रिलैक्स करें, खुद को रेजुविनेट करें और ताजा महसूस करें। जब तक कुंआ भरा नहीं होगा तब तक वो प्यासों को पानी नहीं पिला सकेगा, तो उसी तरह आपको भी खुद को पूरी तरह चार्ज करके रखना होगा। खुद को इतना खुश रखें कि आपका अपना कुंआ भर सके और तभी आप दूसरों को भी खुशी दे पाएंगी। कभी-कभी खुद को दूसरों से पहले रखना सीखें। दूसरों को रिलैक्स करने के लिए पहले खुद रिलैक्स हों, दूसरों को खुश करने के लिए पहले खुद खुश रहें, दूसरों को संतुष्ट महसूस करवाने के लिए पहले खुद संतुष्ट हों। अपनी हॉबी फॉलो करें या कोई ऐसा काम करें, जिससे आपके दिल को खुशी मिलती हो या आप चाहे तो आप कुछ भी ना करें और खुद को थोड़ा खाली समय दें। मैं चाह कर भी शब्दों में खुद को खास महसूस करवाने के महत्व को बयान नहीं कर सकती। जब तक आप खुद में खास महसूस नहीं करेंगी तब तक आप बाहर से और दूसरों को भी खास नहीं दिखेंगी। सबसे पहले खुद से प्यार करें तो आप दूसरों से भी बहुत आसानी से प्यार कर पायेंगी।
