thaanedaar saahab
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Hindi Story: थानेदार साहब ने अपनी मूंछों को ताव देते हुए थाने के एक सिपाही को राशन की लंबी-सी लिस्ट पकड़ाते हुए कहा कि कल मेरी माताजी की तेरहवीं है, तुम बाकी के सभी काम छोड़ कर पहले बाजार से जरा यह सारा खाने-पीने का सामान ले आओ। सिपाही थानेदार साहब को सलाम करके बरसों पुरानी खड़कती हुई जीप में बैठ कर इलाके की सबसे बड़ी राशन की दुकान पर जा पहुंचा। सिपाही के हाथ में राशन की लंबी-सी लिस्ट को देखते ही दुकान के लाला जी की सांस उखड़ने लगी।

सिपाही ने लाला को लिस्ट थमाते हुए कहा कि सारा राशन बहुत बढ़िया किस्म का होना चाहिये क्योंकि तुम तो जानते हो कि थानेदार साहब की मां मर गई है और कल उनकी तेरहवीं है। इस मौके पर इलाके के सभी नामी लोगों ने थानेदार साहब के यहां ही खाना खाना है, इसलिये किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहनी चाहिये। लाला जी ने जैसे ही दाल-चावल, तेल, घी के साथ चायपत्ती और शक्कर की लिस्ट देखी तो उनके मन से यही टीस उठी कि मुझे लग रहा है कि आज थानेदार साहब की नहीं मेरी मां मर गई है।

थाने का सिपाही जैसे ही राशन की लिस्ट लेकर बाजार की ओर गया तो थानेदार साहब की पत्नी ने कहा कि आप आये दिन हर किसी का छोटा-बड़ा काम करने पर रिश्वत लेते हो। घर का खाने-पीने से लेकर बाकी का सारा सामान भी आप सरकारी डंडे के जोर पर ले आते हो। कम से कम आज अपनी मां के क्रियाकर्म पर तो अपनी कमाई में से कुछ खर्च कर देते ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सकती। आपके थाने में तो कोई बेचारा चोरी-डकैती की रिपोर्ट दर्ज करवाने आ जाये उसका सामान वापिस दिलवाना तो दूर आप लोग उससे भी रिश्वत लिये बिना नहीं छोड़ते।

क्या आपने कभी सोचा है कि लोग तुम्हारे से डर कर तुम्हारे मुंह पर भले ही कुछ न बोले लेकिन आपकी पीठ पीछे आपको हर समय गालियां देते हैं। आप जैसे लोगों की हरकतों ने सारे पुलिस विभाग की मिट्टी खराब की हुई है। जैसे ही थानेदार साहब कुछ बोलने लगे तो उनकी बीवी ने कहा कि यह आपका थाना नहीं हमारा घर है, इसलिये मुझसे जरा आराम से बात करो। मुझे एक बात समझ नहीं आती कि इतना पढ़े-लिखे होने के बावजूद भी आप इतना नहीं जानते कि जब भी कोई इंसान क्रोध करता हैं तो उससे सिर्फ उसका स्वभाव ही नहीं बिगड़ता, बल्कि और भी बहुत कुछ बिगड़ जाता है। सारी दुनिया आप लोगों को समझा-समझा कर थक गई है, लेकिन न जाने वो दिन कब आयेगा जब आप रिश्वत लेना छोड़ोगे? थानेदार की पत्नी ने कहा कि मुझे इस बात पर भी हैरानगी होती है कि तुम्हारे अफसर भी इस बारे में तुम्हें कभी कुछ नहीं कहते।

थानेदार ने अपनी टोपी सीधी करते हुए कहा कि हमारे अफसर हम से क्या कहेंगे क्योंकि रिश्वत लेना उनकी भी मजबूरी है, वो भी अच्छे मलाईदार थाने में नौकरी पाने के लिये मोटी रिश्वत देकर आते हैं। हां यह बात जरूर है कि कभी-कभार उनकी मर्जी मुताबिक काम न होने पर उनका उलाहना जरूर मिल जाता है। वैसे तुम मुझे मेरी पत्नी कम और मीडिया वालों की जासूस अधिक लगती हो। न जाने तुम मेरे साथ किस जन्म की दुश्मनी निकाल रही हो कि तुम्हें हर समय मीडिया वालों की तरह पुलिस में कमियां ही कमियां दिखाई देती है। थानेदार साहब की पत्नी ने भी हार न मानते हुए कहा कि आप लोग अगर थोड़ा-बहुत किसी से डरते हो तो वो सिर्फ मीडिया वालों से, अब आम आदमी तो बेचारा आपके आगे बोल नहीं सकता। थानेदार ने पत्नी को घूर कर देखते हुए कहा कि इस गलतफहमी में मत रहना कि हम मीडिया वालों से डरते हैं। हम तो सिर्फ उनकी खबरों से डरते हैं जो सुबह से देर रात तक उस समय तक बार-बार टीवी में चलती रहती है जब तक की पुलिस अफसर निलंबित न हो जाये। बाकी रही रिश्वत की बात तो यह सब कुछ मैं अपने लिये नहीं तुम्हारी खुशी और सुख के लिये करता हूं।

अब तुम ही बताओ की आजकल घर का खर्च चलाना कितना कठिन है। जो तनख्वाह हमें मिलती है उससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तो दूर दो वक्त दाल-रोटी भी ठीक से नहीं खा सकते। थानेदार की बीवी ने कहा कि यह तो आप लोगों ने सिर्फ रिश्वत लेने का एक बहाना बना रखा है। यह सच है कि महंगाई बहुत बढ़ गई है, लेकिन इसी के साथ सरकार ने आप लोगों की तनख्वाहें भी तो बढ़ा दी है। थानेदार साहब ने किसी तरह अपने गुस्से को काबू में रखते हुए कहा-‘ओये बात सुन, पहले चीनी होती थी 10-12 रुपये किलो, आजकल चीनी का भाव हो गया है 50-60 रुपये किलो। अब तुम क्या चाहती हो कि हम लोग चाय भी फीकी पीये और सरकार की नौकरी भी फीकी करे। सरकार चीनी और खाने-पीने की चीजों के हिसाब से ही हमारा वेतन बढ़ा दे तो हमें भी रिश्वत लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।’ थानेदार साहब ने अपनी पुलिसिया भाषा में अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा कि सबसे आसान है बोलना और शिकायतें करना, सबसे कठिन है कुछ काम करके दिखाना। क्या कभी तुम ने यह सोचा है कि हम लोग किस तरह 20-20 घंटे की नौकरी बिना कुछ खाये-पीये करते हैं। दिन हो या रात अपनी जान हथेली पर रख कर हम पुलिस वालों को किस तरह हर प्रकार के खतरनाक मुजरिमों से दो-दो हाथ होना पड़ता है।

थानेदार की पत्नी ने अपने तर्क को लगाम लगाते हुए कहा कि थानेदार साहब दूसरों को बदलने का प्रयत्न करने के बजाए स्वयं को बदल लेना कहीं अधिक अच्छा होता है। वैसे भी आप काफी समझदार और पढ़े-लिखे हो, इसलिये इतना तो आप भी जानते होंगे कि ज्यादा इच्छा रखने वाले को कभी सुख नहीं मिलता। सच्चा धनवान वही व्यक्ति होता है जो अपनी इच्छाओं पर काबू रख सके, इसलिये यदि आप चाहते हैं कि आपके परिवार और बच्चों के पांव जमीन पर ही रहें तो उनको रिश्वत की कमाई से पालने की बजाए उनके कंधों पर कुछ जिम्मेदारी डालने का प्रयास करो। एक बात तो हर कोई जानता है कि खल्ली जैसे विश्व प्रसिद्ध पहलवान में भी इतनी हिम्मत नहीं है कि थानेदार साहब को कोई सुझाव दे सके, लेकिन जौली अंकल सरकारी डंडे से डरते-डरते दबी हुई आवाज में थानेदार साहब को इतना जरूर कहना चाहते हैं कि हर समय पैसे की लालसा रखने वाले को जीवन में कभी चैन नहीं मिलता क्योंकि यदि धन और बल के जोर पर सारे सुख मिल सकते तो शायद इस दुनिया में हर इंसान सारे कामकाज छोड़ कर किसी न किसी थाने में थानेदार होता। इंसान जीवन में सब कुछ सीख लेता है सिवाए इसके कि जिया कैसे जाये।

ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं

Kahaniyan Jo Raah Dikhaye : (कहानियां जो राह दिखाएं)