यों आज सुबह से ही एक के बाद एक ऐसे किस्से सामने आ रहे थे, जिनसे ‘प्रभात समाचार’ के संवाददाता देबू सरकार का दिमाग उड़ सा रहा था।
कहानी में सस्पेंस हर घड़ी बढ़ता जा रहा था।…
अब तक तो उन्होंने चोरी की घटनाओं को केवल चोरी समझकर ही लिख दिया था, और कुछ चुटीले ढंग से खबरें छाप दी थीं। पर अब लग रहा था, मामला तो कुछ और है।…
कहानी बेहद रोमांचक हो गई थी और देबू सरकार निक्का से बात करते समय अपने मन की उत्सुकता को रोक नहीं पा रहे थे।
कल के अखबार में इस घटना को पूरे पेज की स्टोरी बनाने का उनका प्लान था। लिहाजा उस सुपर चोर की अजबोगरीब चोरियों के जो अजीबोगरीब किस्से उन्होंने अलग-अलग लोगों से सुने थे, उनके बारे में उन्होंने निक्का को बताया। फिर पूछा, “देखो निक्का, सच्ची कहना, ऐसे विकट चोर से तुम्हें डर नहीं लगा?”
पर निक्का उन किस्सों के बारे में पहले से ही जानता था। हँसकर बोला, “आप भूल रहे हैं अंकल, निक्का भी कम उस्ताद नहीं है। अभी मैंने अपनी जासूसी का पूरा किस्सा आपको सुनाया कहाँ है। लीजिए सुनिए…!”
कहकर निक्का ने फिर से अपना किस्सा छेड़ दिया। कई मोड़ों, रहस्यों और अजीब से उतार-चढ़ाव वाला किस्सा…
जी, बिल्कुल…! आपने बिल्कुल ठीक ही सुना है अंकल। मुझे भी इनमें से बहुत-सी बातें पता चलीं। कुछ का तो मम्मी-पापा ने ही बताया था। तो एक के बाद एक जब ऐसी कई घटनाओं के बारे में मैंने पढ़ा या सुना, तो मुझे लगा कि बात कुछ गहरी है। चोर चोर तो है, मगर दूसरे हजारों चोरों से अलग है। चोर चोर तो है, मगर बड़ा शरीफ है। बड़ा सभ्य और कायदे वाला है! ऐसा शालीन चोर कि जिसे चोर कहने से पहले दस दफा सोचना पड़ता है।…मगर वह असाधारण हाईटेक चोर शालीन चाहे कितना ही हो, मगर उसकी मार इतनी गहरी है और निशाना इतना अचूक कि जहाँ उसने हाथ लगाया, वहाँ उसे कामयाबी मिली और वह माल लेकर गया। जो सोचा, जो चाहा, वह लेकर गया।
मजे की बात यह कि ऐसी एक भी घटना मैंने नहीं पढ़ी कि उस चोर को कहीं असफलता मिली हो, या कि जो काम वह सोचकर आया हो, वह किसी वजह से न हो पाया हो और उसे खाली हाथ लौटना पड़ा हो।…
तो अंकल, पहले तो मुझे यही लगा कि यह हिप्नोटिज्म का चक्कर है, पर फिर लगा कि नहीं, मामला हिप्नोटिज्म का नहीं है। हिप्नोटिज्म यानी सम्मोहन करने वाले जिस तरह आँख में आँख डालकर अपना प्रभाव डालते हैं, वैसा यह बंदा कतई नहीं करता। बल्कि उसके पास कोई ऐसा छोटा-सा लेकिन अनोखा यंत्र है, जो अपने प्रभाव में अचूक है और जिसके जरिए, जो वह चाहता है, तुरत-फुरत हासिल कर लेता है। अब सवाल यह है कि वह अनोखा यंत्र क्या है और कैसे उसके जरिए वह ऐसे बड़े-बड़े कारनामे कर पा रहा है?…तो मैंने इसके बारे में लोगों से पूछताछ करनी शुरू की कि वह चोर इस अनोखे यंत्र का करता क्या है। यानी कैसे उसका इस्तेमाल करता है? तब मुझे एक महत्त्वपूर्ण सुराग हाथ लगा।…
तभी यूनियन बैंक के मैनेजर मि. घोषाल से मेरी बात हुई।…वही मि. घोषाल, जिनके देखते-देखते बैंक से वह 50 लाख की चोरी करके ले गया था। उन्होंने मुझे बताया कि उस शरीफ चोर के हाथ में घड़ी की जगह छोटा-सा कंप्यूटर बँधा था, जिसे वह दूसरे हाथ की उँगलियों से घुमाता था और ठीक से सेट करता था! बस, फिर कोई मुश्किल नहीं थी और जो वह चाहता था, जैसा वह चाहता था, वह खुद ब-खुद होता चला जाता था।…
तब अंकल, मुझे पहली दफा लगा कि हो सकता है कि वह कंप्यूटर कोई ऐसा सुपर कंप्यूटर हो, जो मन की तरंगों तक पहुँच जाता हो और सामने वाले आदमी के मन को अपनी इच्छा से चलाता हो! अगले ही क्षण जैसे मुझे इल्जाम-सा हुआ, “ओह, तो कहीं ये माइंड कंट्रोलर तो नहीं? कंप्यूटर की एक अत्यंत विकसित प्रणाली, जिसके बारे में कोई साल-दो साल पहले एक विदेशी विज्ञान पत्रिका में पढ़ा था।…हाँ-हाँ, जरूर यह वही है! यह बेशक माइंड कंट्रोलर ही है, जो घड़ी की तरह उसकी कलाई पर बँधा रहता है।”
एकाएक मेरे मन में यह विचार कौंधा, और उसी समय से अंकल, मेरे भीतर बड़ी उथल-पुथल शुरू हो गई। जैसे सिर से पैर तक मैं किसी भँवर में हूँ और मुझे इससे बाहर निकलना है। उस शरीफ हाईटेक चोर का पता लगाना है और उसे पकड़ना है। जैसे भी हो, पकड़ना है!…मैंने अपने मन में उसी वक्त यह ठान लिया था।
बस, समझिए कि मैंने यह प्रतिज्ञा ही कर ली कि या तो उस शरीफ बदमाश चोर को पकड़ना है और अगर पकड़ नहीं पाया, तो हर घड़ी उसे पकड़ने की कोशिश करता रहूँगा। फिर चाहे जो हो जाए। देखूँगा कि होता क्या है, देखूँगा…!
और यह सोचते ही लगा, जैसे सफलता मेरी मुट्ठी में है और वह सुपर चोर मेरे जाल में!
ये उपन्यास ‘बच्चों के 7 रोचक उपन्यास’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Bachchon Ke Saat Rochak Upanyaas (बच्चों के 7 रोचक उपन्यास)
