सासू बनी मां-पूज्यनीय सास
Saasu Bani Maa

Hindi Kahani: घर परिवार में जब भी विवाह की बात मन में एक अनजाना सा भय उत्तपन्न हो जाता। सास की चाहे कितनी  भी दिल से सेवा कर लो वह बहू को कभी बेटी का दर्जा नहीं देती है। ऐसी आशंकाओं में लिपटी में ससुराल के देहरी पर आ खड़ी हुई। पहली रात कटी तो सुबह धड़कते दिल के साथ रसोई में व्यस्त सासू मां के पास पहुंची। उन्होंने बहुत प्यार से मुझे आर्शीवाद दिया। मैं काम में हाथ बंटाने लगी तो तुरंत मुझे मना कर दिया और बोली तुम इतनी जल्दी उठकर क्यों आ गई, वो सो रहा है तो तुम भी आराम से उठती।”

मैं हैरानी से उनका चेहरा देखने लगी। वो फिर बोली कि, ”देखो बेटा, विवाह आपस में परस्पर विश्वास, संयम, समझदारी, प्रेम और सबसे बढ़कर बराबरी का रिश्ता है जो तुम दोनों को मिलकर निभाना है इसलिए ये कभी मन में मत लाना कि मैं केवल तुम्हारे पति की मां हूं, मैं तुम्हारी भी मां हूं। मैं तुम दोनों के साथ समान बर्ताव कर सकूं
दोनों को एक जैसा ही प्यार दूंगी। उनकी बातें मुझे अंदर तक भिगो गई। अब मेरे सामने सासू मां नहीं बल्कि मेरी मां भी खड़ी थी। जिन्होंने आज तक मुझे बेटी से कम नहीं समझी। सही मायनों में वो मेरे लिए पूज्यनीय सास हैं।

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