rahul cricket aur khel ka maza
rahul cricket aur khel ka maza

Hindi Motivational Story: राहुल देखने में बहुत प्यारा था। उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उसे ऑटिज्म की बीमारी होगी। उसका दिमाग कुछ अलग तरीके से काम करता था। पर उसकी माँ ने उसे कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी। राहुल को क्रिकेट पसंद था। इसलिए माँ रोज उसे पास के स्टेडियम में ले जाती थी। स्टेडियम के सभी लड़के राहुल को जानने लगे थे। राहुल की माँ सोचती थी कि अगर राहुल ठीक होता, तो वह भी उन्हीं की तरह टीम में होता। प्रदेश का सबसे बड़ा स्टेडियम होने की वजह से सभी इंटर-स्टेट मैच उसी स्टेडियम में होते थे। कई बार तो स्थानीय टीम के कोच राहुल को क्रिकेट खेलना सिखाते थे।

एक दिन राहुल का मूड बहुत ख़राब था, क्योंकि स्कूल में उसका झगड़ा हो गया था। उस दिन स्थानीय टीम का बाहर की एक टीम से मैच था। राहुल जि़द करने लगा कि उसे भी खेलना है। आख़िरी बॉल बची थी और स्थानीय टीम को जीतने के लिए तीन रन चाहिए थे। कोच ने तय किया कि आख़िरी खिलाड़ी के तौर पर राहुल को भेजा जाए। राहुल की माँ का ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था। राहुल जैसे ही मैदान में पहुँचा, स्थानीय टीम के सारे खिलाड़ी उसे चीयर अप करने लगे। सामने वाली टीम के कप्तान ने आख़िरी बॉल से पहले टीम को कुछ कहने को बुलाया। दो मिनट बाद गेंदबाज ने एक लंबे रनअप की तैयारी की। उसने ऐसी गेंद डाली, जो सीधे राहुल की बल्ले पर आई और थोड़ी तेज़ होने के कारण दूर जाकर गिरी। स्थानीय टीम के सारी खिलाड़ी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे, राहुल रन राहुल रन। राहुल ने एक रन लिया फिर दूसरा। इधर फिल्डर को गेंद मिल गई। लेकिन उसने जान बूझकर गेंद और आगे फेंक दी। इस बार मैदान में मौजूद सभी खिलाड़ी चिल्लाए राहुल रन। दौड़ते हुए राहुल की साँस फूलने लगी, लेकिन उसने अपनी टीम को जिता दिया।

किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने से मिली ख़ुशी का कोई मोल नहीं।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)