Hindi Kahani: झूठी चकाचौंध गृहलक्ष्मी की कहानियां
Jhoothi Chakachaundh

Hindi Kahani: ओह! चेहरे पर ये निशान अब भी रह गया….मेकअप की परतें भी इसे ढंक न सकीं…..अब क्या होगा…..कुछ ही देर में मेहमान आने शुरू हो जाएंगे….- शिवानी आइने में देखते हुए परेशान हो जाती है।
आज उसके पति की चालीसवें जन्मदिन की पार्टी का शानदार आयोजन था……शहर के रहीसों में गिने जाने वाले नीलेश सक्सेना के जन्मदिन के जश्न में बहुत से नामी गिरामी लोग आने वाले थे।
“सुनो…तुम मार्केट से कुछ खूबसूरत से मास्क मंगवाओ और पार्टी की थीम में ये मास्क पहनना जरूरी है घोषणा करवा दो”- शिवानी ने इवेंट आर्गेनाइजर से कहा।
पार्टी शुरू हो जाती है………काले और सुनहरे रंग की गाउन पहने और आँखों पर सुनहरा मास्क लगाए शिवानी किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। सभी उसकी किस्मत पर रशक खा रहे थे…..
“देखो…… कैसी किस्मत चमकी है शिवानी की….गरीब परिवार में जन्मी लड़की कैसे आज करोड़ों की मालकिन है” यहाँ वहाँ से खुसर फुसर सुनाई दे रही थी। पार्टी पूरे शबाब पर थी…..सारे मेहमान भी आ चुके थे।

केक काटने का समय हुआ….. लेकिन केक किसी कारणवश समय पर नहीं आ पाता है……अपनी आदत से मजबूर नीलेश न माहौल देखता है और न ही जगह….”पागल औरत….गवांर कहीं की…ध्यान कहां रहता है तेरा…आखिर इतनी बड़ी गलती कैसे हो गयी….. कहकर शिवानी के ऊपर गुस्से में हाथ उठा लेता है.
लेकिन इस बार शिवानी चौकन्नी थी…झट से नीलेश का हाथ पकड़ लेती है और चेहरे का मास्क उतार फेंकती है और एक घायल शेरनी की भाँति दहाड़ती है-  “बस…बहुत हुआ..बहुत सहन कर लिया……लेकिन अब और नहीं। अभी तक चुप थी….इस समाज की खातिर…….लेकिन आज तुमने इन सबके सामने मुझपर हाथ उठाकर अपना घिनौना चेहरा खुद ही दिखा दिया….अब मुझे किसी की परवाह नहीं है…..और वैसे भी ये समाज मेरा दर्द नहीं बांटता…जब बदन की एक-एक हड्डी दर्द से चीखती है….ये समाज मेरे आंसू नहीं पोंछता जब रात भर रोती हूँ मैं…..नहीं लगाता मरहम ये समाज मेरे घाव पर जब खून रिस्ता है उनसे…… नहीं चाहिए ऐसी शान और शौकत जिसकी कीमत रोज़ थप्पड़ खाना हो…. मेरा आत्मसम्मान हो….आज से अब न ही मेरे चेहरे पर ये मेकअप रहेगा और न ही ये मास्क”…कहकर उसका हाथ झटक कर चली जाती है।
पूरी महफ़िल में सन्नाटा छा जाता है….सभी मेहमान उसके चेहरे पर लगे पहली रात के मार के निशान भी देख लेते हैं…..और कुछ देर पहले तक शिवानी की चमचमाती किस्मत से रश्क खा रहीं औरतों के भी आँखों पर बंधी झूठी चकाचौंध की पट्टी हट जाती है।

तो दोस्तों…..कई बार जो दिखता है वैसा सच में होता नहीं है…..सच्चाई उससे कोसों दूर होती है।