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Hindi Kahani: सिर पर पंखा तेजी से चल रहा था। अचला के हाथों में तलाक के पन्ने उसी गति से फड़फड़ा रहे थे। वह शून्य सी बैठी हुई थी।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे क्या ना करे।

शर्मिंदगी ऐसी थी कि अपना ही चेहरा देखने में उसे शर्म आ रही थी ।

अन्यमनस्क सी वह कुर्सी पर बैठी शून्य में खोई हुई थी और उसके हाथों में तलाक के ऐसे कागज फड़फड़ा रहे थे  जैसे कि उसके दिल की बढ़ती हुई धड़कन धड़धड़ कर रहे थे।

उसे समझ में नहीं आ रहा था आखिर आरव ने ऐसा कदम क्यों उठाया?

दुनिया क्या सोचेगी उसके माता-पिता ,रिश्तेदार ,आस पड़ोस, दोस्त सब क्या सोचेंगे ?आखिर आरव उससे तलाक क्यों लेना चाहता है?

इतने दिनों का उसका समर्पण उसका प्यार कोई काम नहीं आया उसने एक झटके में तलाक का नोटिस पकड़ा दिया। 

काफी देर तक अचला बाहर देखती रही।उसे ऐसा लग रहा था कि आरव फोन कर उससे माफी मांगेगा और कहेगा  कि वह यह सब झूठ था और वह मजाक कर रहा था।

काफी देर तक वह फोन की ओर देखती रही। मगर फोन भी चुपचाप उसी की तरह बैठा हुआ था।

थके-हारे कदमों से उठकर उसने फ्रिज से पानी का बोतल निकाला और वाश बेसिन पर जाकर ठंडे पानी का छींटा चेहरे पर मारने लगा ताकि थोड़े अवसाद से बाहर निकल आए।

चेहरा पोंछ कर वापस आकर कुर्सी पर बैठ गई ।उसके कानों में अभी भी आरव के शब्द शीशे की तरह चुभ रहे थे।

“ अचला यह लो तलाक के कागज! मैं चाहकर भी तुम्हारे साथ नहीं रह सकता।  तुम्हें मेरे से कोई प्रॉब्लम नहीं है ।तलाक लेते ही हम दोनों अलग हो जाएंगे और तुम जिससे चाहो उससे शादी कर सकती हो!”

अचला के कान बजने लगे थे ।उसके पैर कांपने लगे थे।वह आरव की तरह मॉडर्न नहीं थी।

“प…र!!!!आरव अचानक त…लाक !!”बाकी सब उसके कंठ में ही अटक गए थे। वह फटी आंखों से अपने पति आरव की तरफ देख रही थी।

आरव निर्निमेष दृष्टि से उसकी ओर देखा और कहा”अचला, तुम्हें सबकुछ पता है। तुम्हें इस तरह से बिहेव नहीं करना चाहिए था। वैसे भी हर आदमी को अपनी जिंदगी जीने का हक है! मुझे भी है।”

“मगर आरव, तलाक लेने का मतलब क्या है?हम पति-पत्नी हैं ना जीवन साथी हैं हम। अग्नि के सामने तुमने मेरा हाथ थामा था। अब एक झटके में रिश्ते तोड़ सकते हो तुम?”

“ अचला, तुम्हें भी पता है कि मैं तुम्हारे साथ खुश नहीं हूं और जिस रिश्ते से हम दोनों खुश नहीं है उसे तोड़ देना ही अच्छा होगा। मैं तुम्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता।”

अचला टूट गई। उसका जी चाहा कि वह चीख चीखकर कहे कि यह बात तुम शादी से पहले कर सकते थे!! शादी नहीं करने का अधिकार तुम्हारा था। शादी का प्रस्ताव तुम्हारे घर वालों की तरफ से आया था तो जिम्मेदार तुम ही हो!! मेरी खुशियों का ,मेरे रिश्ते का, मेरे अरमानों का गला तुमने घोंटा है!! जब मन किया रिश्ते बना लिए और जब मन किया रिश्ते तोड़ दिए! ऐसा तो नहीं होता है आरव !!”

लेकिन अचला कुछ भी बोल नहीं पाई। वह फटी निगाहों से उसकी तरफ  देखती रही।

आरव ने उसके गाल थपथपाया और अपना बैग उठा कर चला गया। वह आज नागपुर से बाहर जा रहा था। उसकी कंपनी की मीटिंग थी ।‌ आरव चला गया उसे अकेला छोड़कर। 

पानी का घूंट पीकर अचला कुर्सी पर सिर टिकाकर बैठ गई । उसके दिमाग में पुरानी बातें घूमने लगी थी ।

लगभग डेढ़ साल पहले की बात थी । एक दिन उसके पापा ने आते ही खुशी से यह खबर सुनते हुए कहा था “ज्योत्सना, हमारी अचला की शादी तय हो गई है ।”

“अरे ऐसे कैसे ?”उसकी मां ज्योत्स्ना आश्चर्य से बोली ।

“अरे बहुत ही अच्छा लड़का है !राज करेगी हमारी अचला।”पापा खुशी से हंसते हुए बोले।

“ऐसे कोई शादी कैसे कर लेता है! कौन है लड़का? क्या करता है? परिवार क्या है?”

“ बताता हूं ,बताता हूं! पहले मिठाई खाओ!” अचला के पिता राजहंस जी ने मिठाई का डिब्बा खोलकर ड्राइंग रूम के टेबल पर रखा और उसकी मां का हाथ पकड़ कर अपने बगल में बैठा लिया।

फिर मोबाइल खोलकर उन्होंने आरव का फोटो दिखाया और कहा ” बहुत ही अच्छा लड़का है। तुम तो इसे जानती हो।जब मैं  पूर्णिया में पोस्टेड था, वहां घनश्याम मेरे कॉलीग थे। तुम्हें तो याद ही होगा ?”

“हां …! शायद।” ज्योत्स्ना जी ने अपने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा।

“उनके दो बच्चे थे ।बड़े की शादी हो गई है। अब उन्होंने खुद ही आकर हमसे अपने छोटे बेटे के लिए हाथ मांगा है। उन्हें अचला बहुत पसंद है।”

“मगर!! मां ने एक नजर अचला की ओर डालते हुए कहा “पहले हम अचला से भी तो पूछ सकते हैं। ऐसे कैसे उसकी शादी कर सकते हैं।”

“बिल्कुल पूछ सकते हैं लेकिन अचला तो उसके साथ खेल कूद कर बड़ी हुई है। अगर हमारा ट्रांसफर नहीं हुआ होता तो हम अभी भी वही रहते।”

कोने में खड़ी अचला ने अपने दिमाग पर जोर डाला।उसे याद आया आरव उसके पड़ोस में ही रहता था।उसके भी पापा बैंक में अफसर थे। दोनों परिवारों का एक दूसरे के यहां आना जाना था।

आरव बहुत ही खूबसूरत नवयुवक था। जितना सुंदर था उतना ही मेधावी।

“संयोग से ऐसा घर परिवार मिलता है ज्योत्स्ना! पापा मां को समझा रहे थे।

आरव एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी कर रहा है।परिवार भी अच्छा, देखा भाला और छोटा है। 

कोई चिक-चिक नहीं और तो और यह रिश्ता भी उनके ही तरफ से आया है। इसलिए मुझे लगता है कि हमें इस रिश्ते को हाथ से नहीं निकलने देना चाहिए।”

ज्योत्स्ना जी को भी यह बात जंच रही थी। 

उन्होंने भी हामी भर दी। थोड़ी बहुत बातचीत की बात राजहंस जी ने बात पक्की कर दी। लड़के वालों की तरफ से कोई खास डिमांड नहीं था।

शादी के दौरान अचला ने महसूस किया  आरव थोड़ा उखड़ा उखड़ा सा है। उसका मन वहां नहीं है। जितनी खुश अचला थी उतना वह नहीं था।

और इसका जवाब उसे शादी की पहली रात में ही मिल गया था। जब अचला अपने आंखों में सात सपने लेकर आरव के बिस्तर पर बैठी उसका इंतजार कर रही थी, तब आरव ने आकर उसे सारी बातें बता दिया। 

वह जिस कंपनी में जॉब करता था वहीं उसकी पहचान रूबी से हुई थी जिससे वह शादी करना चाहता था मगर उसके पिता घनश्याम जी को यह रिश्ता बिल्कुल ही पसंद नहीं था।

उन्होंने साफ-साफ कह दिया था अगर वह रुबी से शादी करता है तो वह उसे अपनी सारी जायदाद से बेदखल कर देंगे।

अपने माता-पिता के दबाव पर ही आरव ने अचला से शादी कर लिया था।वह उसे धोखे में नहीं रखना चाहता था। इसलिए उसने सच्चाई बता दिया था। 

पहली रात में अचला को अपने गले से लगाकर फूटकर रो पड़ा और सारी बातें बताते हुए कहा “मां ने कसम दिया है कि मैं अपनी मर्जी से शादी नहीं कर सकता।इसलिए मुझे तुमसे शादी करना पड़ा अगर तुम चाहो तो अलग हो सकती हो।”

अचला के हाथों से तोते उड़ गए। वह कुछ भी नहीं कर सकती थी। उसके माता-पिता ने बड़े ही धूमधाम से और खर्च कर  उसकी शादी करवाया था । अब वह किस मुंह से वापस अपने घर जाती और फिर क्या कहती!

अपने माता-पिता के दबाव में आकर आरव अचला के साथ रह तो रहा था लेकिन उसने अचला पर दबाव बनाया था कि उसे अभी फैमिली नहीं चाहिए।

अचला भी इस बात के लिए तैयार नहीं थी। लेकिन साल बीतते ही आरव का यह नया रूप देखकर अचला दंग रह गई।

उसकी सासू मां ने उसे पहले ही दिन समझा दिया था की आरव का चक्कर किसी और लड़की से था मगर तुम अपने बलबूते पर आरव को बदल सकती हो।

उसने इस बात को गांठ भी बांध लिया था और आरव के साथ रह रही थी ।ऐसा भी नहीं था कि आरव उसकी देखभाल नहीं करता था, या उसकी उपेक्षा करता था। लेकिन अचला को यह उम्मीद थी कि उसके प्यार और समर्पण से आरव बदल जाएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ।

आरव उसके साथ रहकर भी नहीं रह रहा था। उसका होकर भी उसका नहीं था!

शर्मिंदगी और अपमान से अचला का चेहरा लाल हो गया था। काफी देर तक सोच विचार करने के बाद आखिरकार उसने तलाक के कागज पर दस्तखत कर दिया और अपने सामान समेटकर घर से बाहर निकल आई ।

उसने अपने मम्मी पापा को फोन कर कहा “पापा मैं आपके घर आ सकती हूं?”

“ कैसी बातें कर रही हो बेटा?”

“ नहीं पापा अब हमेशा के लिए आपके घर आ रही हूं। डेढ़ दो साल आरव के साथ रहने के बाद भी वह मेरा नहीं हो पाया। उसने सबकुछ पहले ही बता दिया था। लेकिन मुझे लगता था कि वह हमारे रिश्ते का सम्मान करेगा लेकिन यह मेरी भूल थी। वह तो कभी भी मेरा नहीं था। 

अपने माता-पिता के जायदाद के लोभ में मुझसे शादी किया था। और तो और घनश्याम अंकल ने हम लोगों को कितना अंधेरे में रखा!”

“ कोई बात नहीं बेटा ,तू घर आजा ।हम तुम्हारे साथ अभी भी हैं।” 

अचला अपने पापा के घर पहुंची ।उसके मां  पापा दोनों उसका इंतजार कर रहे थे।

उसकी मां ने उसे देखते गले से लगा लिया और कहा ”बेटा हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई ।हमारी गलती की सजा तुम्हें भुगतना पड़ा।”

“नहीं मां गलती आपसे नहीं हुई है। गलती किसी से भी नहीं हुई है। अग्नि के सामने सप्तवेदी के वचन निभाने के बाद भी  आरव ने इस रिश्ते को महत्व नहीं दिया। वह तो मेरा कभी भी नहीं था फिर मैं उसके पीछे-पीछे उसकी संगिनी बनकर क्यों चलूं?

मैंने उसे छोड़ दिया। अब मुझे भी तलाक चाहिए। मैं अपनी जिंदगी फिर से शुरू करूंगी।”

“ हां बेटा अब तुम्हें एक नई जिंदगी शुरू करने की सोचनी चाहिए। हमने गलती कर दिया‌। इतने अच्छे परिवार से रिश्ता आया हमने बिना सोचे समझे शादी  कर दिया।

इसका फल हमें ही मिल गया।अब हम तुम्हें नहीं रोकेंगे। तुम जो चाहे वह कर सकती हो।”

“मां अपनी जिंदगी फिर से जीने की कोशिश करूंगी।” अचला की आंखों में आंसू थे।

कहीं दूर से गाना बज रहा था

 ” सातों फेरे लेकर हाथों में हाथ…!जीवन साथी हम दिया और बाती हम!!”

अचला ने अपने आंसू पोंछे और अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।