माता-पिता बनना जीवन का वह दौर है, जिसमें सीखने के अवसर सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं होते बल्कि अभिभावकों के लिए भी होते हैं, जिन्हें इस दौरान अभिभावकों के तौर पर प्रशिक्षण मिलता है! पैरेंटिंग कितनी महत्वपूर्ण होती है इसे बयां नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसका बच्चे के संपूर्ण विकास पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। अभिभावक के तौर पर हम सभी अपने बच्चों को किसी भी परिस्थिति में सबसे बेहतर लालनपालन देने की कोशिश करते हैं। यह बात ध्यान रखने वाली है कि परफेक्ट पैरेंटिंग का कोई एक नियम नहीं होता। इस दौरान अभिभावक का कुछ व्यवहार और कुछ आदतों से दूर रहना जरूरी हो जाता है। ऐसा ही एक व्यवहार है ‘हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग।
क्या है ‘हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग
जैसा कि काफी हद तक नाम से ही स्पष्ट है कि इस प्रकार की पैरेंटिंग में अभिभावक आमतौर पर दिनभर बच्चे के आसपास ही मंडराते रहते हैं, जैसे कोई हेलीकॉप्टर। ऐसे अभिभावक बच्चों के लालन-पालन यानी पैरेंटिंग में जरूरत से ज्यादा शामिल और अतिसतर्क रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में अभिभावक अपने बच्चों के जीवन और अनुभवों की जिम्मेदारी खुद उठा लेते हैं, जिससे वे बच्चों पर ज्यादा निगरानी रखने, बच्चों के कामों में हिस्सा लेने, निर्देश देने और अत्यधिक सलाह देने लगते हैं। इस तरह का पैरेंटिंग स्टाइल आमतौर पर युवा और किशोरावस्था में ज्यादा दिखता है।
हेलीकॉप्टर पैरेंट के लक्षण बच्चे पर नजर रखने की इच्छा
बच्चे के जीवन के हर पहलू में जरूरत से अधिक शामिल होने वाले अभिभावकों को हमेशा बच्चे के साथ रहने की जरूरत महसूस होती है। अगर उनके लिए व्यक्तिगत तौर पर ऐसा करना मुमकिन नहीं, तो वे अप्रत्यक्ष तौर पर भी बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और फीडबैक लेते रहते हैं।
गतिविधियों में बच्चे की मदद
होमवर्क हो या खेलना, बोतल खोलने की कोशिश या कोई पहेली सुलझाने की बात हो, हेलीकॉप्टर पैरेंट हमेशा अपने बच्चे के आसपास रहना चाहेगा, जिससे उसे जब भी मदद की जरूरत पड़े, वह उसकी मदद कर सके। यह दखलंदाजी इतनी ज्यादा होती है कि अक्सर बच्चे को जीवन की छोटी-छोटी मुश्किलों को सुलझाने के लिए संभावनाएं तलाशने का भी अवसर नहीं मिलता।
बच्चे के सामने न होने पर असहज
हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग, पैरेंटिंग का वह स्टाइल है, जिसमें अगर बच्चा या किशोर पैरेंट की नजरों के सामने नहीं हो, तो उनके लिए सहज रहना मुश्किल हो जाता है।
झगड़ा सुलझाने के लिए हस्तक्षेप
ऐसे अभिभावक बच्चों में किसी भी प्रकार का विवाद होने पर खुद बीच में कूद पड़ते हैं, जिससे बच्चे में अपने स्तर पर ऐसी परिस्थितियों से निपटने का कौशल विकसित नहीं हो पाता है।
छोटे-छोटे फैसले स्वयं करना
हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग के मामलों में आमतौर पर बच्चे को अपने बारे में फैसले लेने की आजादी नहीं दी जाती फिर चाहे बात भोजन की हो, खेल की हो या फिर दोस्त बनाने की। ऐसे मामलों में पैरेंटिंग चौबीसों घंटे की जिम्मेदारी बन जाती है और अभिभावकों को अपने लिए समय ही नहीं मिल पाता। बच्चे को भी अपने लिए कोई पर्सनल स्पेस नहीं मिलता। यह सुनिश्चित करना कि बच्चा कभी असफल नहीं हो। सबसे बड़ी बात हेलीकॉप्टर पैरेंट अपने बच्चे की परवरिश में इस कदर डूब जाता है कि वह बच्चे को असफल होने का अवसर ही नहीं देता। पहला कदम उठाते हुए बच्चे का लडखड़ाना बहुत जरूरी है। बच्चों को सीखने का अवसर देना भी जरूरी है विशेष तौर पर जब वह अनुभव उनके विकास के लिए आवश्यक हो।

हेलीकॉप्टर पैरेंट अपने बच्चे की परवरिश में इस कदर डूब जाता है कि वह बच्चे को असफल होने का अवसर ही नहीं देता। पहला कदम उठाते हुए बच्चे का लडखड़ाना बहुत जरूरी है। बच्चों को सीखने का अवसर देना भी जरूरी है विशेष तौर पर जब वह अनुभव उनके विकास के लिए आवश्यक हो।वरिष्ठ मनोचिकित्सक
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