एक छोटे से शहर से निकल कर आज इस बड़े शहर में आए हुए बहुत साल हो गए लेकिन घर का माहौल वैसा ही जो खानदानी चलता आ रहा है। पापा कुछ नहीं बस एक एटीएम मशीन हैं जो सिर्फ घर पर पैसे खर्च करते हैं। शहर में रहने के बावजूद भी मेरे पापा रिवायती गाॅंव वाले मर्द जैसे हैं वैसे गाॅंव के मर्द तो काम भी नहीं करते फिर भी मर्द तो मर्द होता है। ” यह क्या में उल्टी सीधी बातें सोच रही हूँ।” निशा अपने मन में कहने लगी। अपने आप से ये कहने के बाद वो दुबारा अपने ख्यालों में खो गयी। 2 क्लास में थी में जब इस बड़े शहर में आई थी पर मौरिस पार्क जहीन पर अच्छे-अच्छे शाॅपिगं माल्स और रेस्टोरेंट्स हैं। वो मैंने 11वीं क्लास में देखा था। जब चाचा शादी के बाद यहाॅं घुमने आए थे। उन्हीं के साथ देखा था। क्लास में अक्सर बच्चों को इसके बारे में बात करते सुना था पर जब में वहीं गयी तो मैं बहुत घबरा रही थी। पर फिर थोड़ी देर में मुझे अच्छा लगने लगा बहुत मजा आया सबके साथ घुम कर। सब बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ घुमने जाते हैं। पर मेरे पापा बस अपने दोस्तों के साथ घुमने जाते हैं । जैसे पहले उसे मौरिस पार्क जाने में डर लग रहा था। वैसे ही आज भी लग रहा था क्यूंकि उसकी सहेली निदा अपने साथ उसे लंच पर ले जाना चाहती थी जहीन उसका बायफ्रेंड भी आयेगा। निशा कभी ज्यादा घर से बाहर अकेले नहीं गयी है। इसलिए जब भी कहीं नई जगह जाना होता है या नए लोगों से मिलना होता है तो उसे बहुत डर लगता है। पहली बार वो स्कूल से सीधा घर नहीं रेस्टोरेंट जा रही थी। उसकी सहेली उसे सागर रत्ना जो एक मशहूर साउथ इंडियन फूड वहीं है वहीं ले गयी। थोड़ी देर में उसका बायफ्रेंड और उसके बायफ्रेंड का दोस्त भी आ गए। निशा ऐसे चुपचाप बैठी थी जैसे उसे देखने रिश्ते लेकर लड़के वाले आए हों। नई जगहें और नए लोगों को देखकर वो बहुत घबरा रही थी। थोड़ी बातचीत के बाद खाना आ गया। दोपहर का वक्त था निशा को बहुत भूख लग रही थी। खाना देख कर उसे थोड़ा सुकून मिला। उसने सोचा अब सिर्फ खाना होगा और बातें कम। सब खाना खाने लगे। थोड़ी देर में गरमा गर्म कढ़ाही पनीर आया। उसने जल्दी से पनीर प्लेट में ले कर अपने मुॅंह में निवाला रख लिया और पता चला कि वो बहुत गरम था।
‘‘ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है एक से बढ़ कर एक शर्मिंदगी वाला किस्सा मेरे साथ होता रहा। अब न इस पनीर के निवाले मुंह से बाहर निकल सकती हूॅं। न ही अन्दर ले सकती हूँ। अल्लाह! क्या करूं मैं मुंह से बाहर तो बिल्कुल नहीं निकालूंगी। चाहे मेरी पूरी जीभ क्यों न जल जाये। ”
निशा ने अपने मन में सोचा। उसने बहुत हिम्मत करते हुए इधर उधर देखते हुए अपने आंसू, जो जलन से निकल रहे थे।
साफ करते हुए आखिर पनीर हलक से नीचे उतार ही लिया। चलते वक्त निदा ने निशा से पूछा कि क्या वह घर जाएगी या स्कूल? अभी दो बजने में वक्त है तो मैं स्कूल ही जाउॅंगी, मुझे स्कूल बस मिल जाएगी। निदा ने उसे स्कूल अपने बायफ्रेंड के साथ जाने लिए पूछा पर निशा ने मना कर दिया। ‘‘मैं आॅटो से चली जाउंगी निदा” निशा ने कहा। आॅटो कोई दिख नहीं रहा था तो वह सब अभी खड़े ही थे ।” निशा बाहर सड़क पे मिलेगा आॅटो वहीं चलते हैं। तुम उसके साथ बाइक पर बैठ जाओ हम सब बाहर सड़क पर चलते हैं। ” निदा ने कहा। निशा को इस बार कोई बहाना नहीं मिला और वो भी बैठ गयी। ‘‘कौन सा घरवाले सेटलाइट पर बैठे हैं, एक बार बैठ जाउंगी तो कौन सी कयामत आ जाएगी ‘‘निशा यह सोच कर बाइक पर बैठ गयी । बाहर रोड पर आॅटो मिल गया और निशा उसमें बैठ गयी निदा ने घर जा कर बताने के लिए निशा से कहा। आॅटो वाला स्कूल के कपड़े और नाम सुनकर समझ गया जाना है कुछ देर बाद बोला मेरी बेटी भी तुम्हारे स्कूल में पढ़ती थी। तुम कौन सी क्लास में हो? ” मैं 12 वीं में हूॅं” क्या साइंस है तुम्हारे पास? आॅटो वाले ने पूछा।” नहीं कामर्स है” निशा ने कहा। मेरी बेटी के पास साइंस थी । अब क्या कर रही है आपकी बेटी?।” वो अमेरिका में है काॅलेज कि तरफ से ही वहीं भेजा है उसे। पढ़ाई में बहुत अच्छी है वो, वहीं पी.एच.डी कर रही है। वो। तुम क्या बनना चाहती हो पढ़लिख कर ? ‘‘मैंने सोचा है कि एम. बी. ए कर के किसी बड़ी सी कंपनी में नौकरी करूंगी। ‘‘बस थोड़ा सा पढ़ कर नौकरी। अरे! कुछ काबिल बनो, अपना नाम कमाओ । कुछ नया इजाद करो।” आॅटो वाले ने कहा। मेरी बेटी इतनी लायक है न क्या बताउं। मैंने तो शादी के लिए भी पूछा था की कोई उसे पसंद है तो बताये पर उसने कहा आप जिससे चाहोगी उससे ही कर लुंगी। आंख बंद कर के यकीन है मुझे उस पर। मेरी बेटी पर मुझे बहुत नाज़ है। उसे नौकरी मिल रही थी अच्छी अमेरिका में पर मैंने ही मना कर दिया। पढ़ाई अच्छी की है तो नौकरी तो मिलेगी ही अच्छी पर मैंने कहा बस पढ़ाई करे बस” आॅटो वाले ने कहा।”लगता है फालतू कि लम्बी गप फेंक रहे हैं। आॅटो वाले कि लड़की अमेरिका में कैसे पढ़ सकती है। चलो मान लिया पढ़ रही है पर डाॅलर वाली नौकरी कोई क्यों नहीं करेगा? ये कितना कमा लेते होंगे कि नौकरी के लिए मना कर दिया? निशा मन में सोच रही थी।” बस रिश्ता मिल जाये तो शादी कर दूंगा। मैंने उसके लिए घर भी ले लिया है। वो सामने बिल्डिगं है न उसी में लिया है।
‘‘आप इतना कमा लेते हो कि आपने फ्लैट भी ले लिया। मेरा मतलब आप आॅटो चलाते हो तो इसलिए पूछ रही हूं।” तुमने आॅटो चलाते हुए और मेरे और भी बहुत से काम हैं। पैसा तो बहुत है बस असली काम यह है तो आदत है इसी कि” आॅटो वाले कहा । जब भी तुम्हारे स्कूल के बच्चे आते हैं मुझे बहुत खुशी होती होती है। मेरी बेटी इसी स्कूल में पढ़ी थी इसलिए। ” अगर इतनी खुशी होती है तो पैसे भी मत लिया करो” निशा दुबारा मन में सोचने लगी।
इतने में स्कूल आया और निशा आॅटो वाले को पैसे देने लगी आॅटो वाले ने कहा” ठीक है बेटा खूब पढो और काबिल बनो ‘यह कह कर वो चले गए। बस में बैठी निशा के दिमाग में आॅटो वाला कहना क्या चा रहा था। वो क्यों कह रहे थे कि बस इतना ही पढ़ोगी। पढ़ तो मैं भी रही हूं अब हर कोई तो उसकी बेटी कि तरह नहीं पढ़ सकता पढ़ाई होती किसलिए है जिससे बड़े हो कर कुछ बन सकें। सिर्फ पढ़ते रहना और काम न करना तो मेेरे समझ नहीं आता है। जो भी हो उनका मकसद पर उनकी बेटी कितनी किस्मत वाली है के उसके वालिद उससे खुश हैं। अगर मेरे पापा आॅटो वाले की बात सुन लेते तो मुझे भी स्कालरशिप लेकर बाहर पढ़ने का लेक्चर मिल जाता। उन्हें तो वैसे भी मौका चाहिए औरों के बच्चों की तारीफ करने का। मैं तो बस गालिब का वो शेर याद कर के सब्र कर लेती हूॅं कि ‘‘कभी किसी को मुकम्मल जहाॅं नहीं मिलता”, कभी ज़मीन तो कभी आसमान नहीं मिलता।”। मैं अच्छी फैमिली से हूँ, फिर भी अपनी जगह अपने वालिदों और दुनिया की नज़रों में अभी तक नहीं बना पाई और वो आॅटो वाली की लड़की हो कर भी अपने वालिद की नज़रों में उसका कितना आला मक़ाम है। मैं घर से बाहर निकलती हूं तो मुझे डर लगता है और वो आॅटो वाले की बेटी हो कर भी हिम्मत के साथ वहीं रह रही है उसके पापा को भी फ़िक्र नहीं वो कैसे रह रही है क्या कर रही है क्यूकिं उन्हें उस पर पूरा यक़ीन है। काश! मैं भी कभी अपनी जगह अपने माॅं बाप और दुनिया कि नज़रों में बना सकूं।
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स्कूल से घर आने पर मम्मी ने बताया शाम में पापा के दोस्त के घर रात में जाना है, उन्होंने दावत पर बुलाया है। पहली बार मैं अपने वालिदों के साथ जब अंकल जमील के घर गयी तो आंखें खुली कि खुली रह गयी। उनका घर रोशनी से जगमगा रहा था। खुबसूरत फर्नीचर उनका हमारे दो कमरों के बराबर हाॅल को और भी ज्यादा खुबसूरत बना रहा था। सजावट का सामान ऐसा था जो मैंने पहले कभी नहीं देखा था। उनका घर किसी 5 स्टार होटल से कम नहीं लग रहा था। मेरे मम्मी पापा अंकल आंटी से बात करने में मसरूफ थे। मुझे उनकी बेटी ने अपने पास बुलाया जो सौफे से थोड़ी दूर बेड पर बैठी थी। उसका नाम आमना था वो मेरी हम उम्र थी।-‘‘कितने भाई बहन हो तुम?” थोड़ी देर बाद अमन ने पूछा। ‘‘हम दो बहनें हैं बस और आप?” मैंने कहा। ‘‘हम दो भाई और एक मैं” अमन ने कहा। आपकी बहन क्यों नहीं आई हैं। ‘‘उनका कल पेपर है।” निशा ने कहा।” क्या नाम है उनका और कौन सी क्लास में हैं वो?” आमना ने पूछा। उनका नाम जे़ेबा है वो काॅलेज में पढ़ती हैं । ” अगले साल तो हमारा भी काॅलेज स्टार्ट हो जायेगा मैं तो बहुत एक्साइटेड हूूं।” अमन ने कहा। विंटर वेकेशन में तुम लोग किधर जा रहे हो निशा हम तो राजस्थान जा रहे हैं घूमने। नहीं हम लोग तो नहीं जा रहे हैं इतनी ठण्ड है घर पर ही रहना सही है। ‘‘तुम कितनी सीधी सादी हो निशा। तुम टी.वी देखती हो?” आमना ने पूछा। हैं पर ज्यादा नहीं स्कूल ट्यूशन कि वजह से बहुत कम टाइम मिलता है । टी. वी. के लिए।
खाना खाने के बाद हम लोग उनके घर से जाने लगे। उनके घर के गेट पर खड़े हम सब बात कर रहे थे।” मुझे तुम से मिलकर बहुत अच्छा लगा। घर आ जाया करो पास में ही तो रहती हो।’ आमना ने कहा। ‘‘हम्म आउंगी पर अब तुम्हें पहले हमारे घर आना होगा” निशा ने कहा। ‘‘देखा हम दोस्त बन गए अब आप से तुम पर आ गए”, आमना ने हॅंसते हुए कहा।
घर जाते ही मैंने अपनी बहन से कहा की उन्हें भी साथ चलना चाहिए था।” इतना खुबसूरत घर मैंने आज तक नहीं देखा तुम्हें भी साथ चलना चाहिए था। मैं तो देखती रह गयी उनका घर और लोग भी बहुत अच्छे हैं। इनकी बेटी से मेरी दोस्ती भी हो गई है।” निशा ने अपनी बहन नबा से कहा। दोनों मिलकर बेड पर मच्छर दानी लगा रही थी। ‘‘पेपर कि इतनी टेंशन है न मुझे कि मैं कहीं जाने के बारें में सोच ही नहीं सकती थी। ” नबा ने कहा।
स्कूल और फिर दावत पुरे दिन कि थकान होने के बाद भी मुझे नींद नहीं आ रही थी। उनका घर मेरे ख्यालों से निकल ही नहीं रहा था। इतना अच्छा घर और इतना पैसा अल्लाह ने आमना को हर चीज़ से नवाज़ा है। ख्वाहिशें क्या होती हैं इसका उसे मतलब भी नहीं पता होगा। सब कुछ तो है उसके पास। हमें तो सोने से पहले खुद ही मच्छरदानी लगानी पड़ती है। उसके घर में तो मच्छर, कीड़े मकोड़ों का नाम आॅ निशान तक नहीं होगा। सिंगापुर, दुबई और आधा इंडिया देख रखा है आमना ने। मैंने तो एयरोप्लेन भी सिर्फ आसमान में उड़ते हुए देखा है। पता नहीं कभी बैठ भी पाउंगी या नहीं उसमें। कितनी अजीब बात है कुछ चीजें जो किसी के लिए मामूली होती हैं किसी और के लिए वो ही चीज़ कीमती होती हैं। कीमती भी नहीं अजूबा होती हैं।
निशा के बोर्ड एक्ज़ाम का रिजल्ट आ गया पर उसे किसी भी काॅलेज में एडमिशन नहीं मिला बाद में उसने एक प्राइवेट युनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। निशा कि बहन नबा कि काॅलेज खत्म होते ही शादी हो गयी और आमना का रिश्ता पक्का हो गया। निशा अपने मम्मी पापा के साथ आमना के घर जाती है। मुबारक हो आमना शादी कब है तुम्हारी। शादी फाइनल ईयर के पेपर्स के बाद होगी। तुमने बात कि अपने मंगेतर से कैसे लगे तुम्हें। ‘‘अच्छे हैं पता नहीं।” आमना ने थोड़ी बे दिली से कहा। तुम खुश नहीं हो शादी से। ‘‘मुझे अभी शादी नहीं करनी थी थोड़ा और पढ़ना था अभी। इतनी जल्दी पता नहीं किस बात की है।’ आमना ने कहा। ‘‘रिश्ता अच्छा मिल गया तो शायद इसलिए वो तुम्हारी शादी कर रहे हैं। कभी न कभी तो करनी ही है।”
निशा नेे कहा।
तुम तो आज़ाद हो आमना मेरी किस्मत तुम्हारी जैसी क्यों नहीं है। ‘‘कैसी बात कर रही हो मेरी जैसी किस्मत क्यों चाहिए तुम्हें। सब कुछ तो है तुम्हारे पास। अभी तो मेरी बहन कि ही शादी हुई है तो मेरी में वक्त़ है।” निशा ने कहा । तुम आजाद हो आमना देखो तुम पेपर के बाद जाॅब करना। अपनी लाइफ एन्जाॅय करना।” कैसी बात कर रही हो तुम जाॅब तो करने कि इजाज़त नहीं है, आगे पढूंगी जरूर। सपने तो सारे एडमिशन न मिलने की वजह से टूट गए। सोचा था जिस यूनिवर्सिटी में तुम हो वहीं से पढूंगी पर ऐसा हो नहीं सका। मैं सोचती थी बी.काॅम करके एम.बी.ए करूंगी। फिर एक अच्छी नौकरी और मेरा भी तुम्हारे जैसा बड़ा घर होगा, सपने देखती थी। यह सब बहुत मुश्किल है अब अच्छी यूनिवर्सिटी से न पढ़ने की वजह से मुझे एहसास ए कमतरी भी बहुत हो गयी है। मुझे लगता है कि मैं जिन्दगी में कुछ नहीं कर पाउंगी। यह कह कर निशा रोने लगी। ‘‘अरे! तुम इतनी सी बात पे रो रही हो कितनी डरपोक हो तुम । मेरी तो शादी हो रही है फिर भी देखो मैं कोई रो रही हूं। जरूरी नहीं जिन्दगीं में जो चाहो मिल जाये। अगर तुम्हारा सपना ऐसा घर है तो मेहनत करोगी तो मिल जायेगा। अभी तो पूरी जिन्दगी तुम्हारे आगे पड़ी है। मैं तो शादी के बाद भी पढ़ाई करूंगी। ‘‘क्यों क्या जरूरत है सब कुछ तो है तुम्हारे पास । तुम पढ़कर क्या करोगी।” निशा ने कहा। कैसी बच्चों जैसी बात कर रही हो निशा सिर्फ घर और पैसे के लिए नहीं काबलियत के लिए पढ़ाई होती है। पढ़ाई इसलिए होती है कि अगर हम किसी जगह अकेले भी हो जायें तो हिम्मत से आगे बढ़ सकें। तुम्हें किसी ने बताया नहीं यह।’ अमन ने कहा।‘‘हाॅं, एक बार एक आॅटो वाले ने कहा था उसकी बेटी अमेरिका में पढ़ती थी मुझे यह ही कह रहे थे क़ाबिलियत के लिए पढ़ो। अब समझी उनका मतलब क्या था।
अगले दिन निशा ने पापा से सिविल सर्विस कि कोंचिग के लिए एडमिशन लेने के लिए कहा। उसके पापा बहुत खुश हुए कि आखिर में उसने छोटी मोटी आॅफिस कि नौकरी के बारें में ना सोचकर सिविल सर्विस के लिए सोचा। उस दिन उसके वालिद कि नज़रों में आमना को अपनी बहुत अच्छी जगह नज़र आई।
