अजय ऑफिस से घर पहुंचा और ड्राइंगरूम के सोफे पर पंखे को फुलस्पीड पर चलाकर पसर गया। उसकी नवब्याहता बीवी रश्मि झट किचन में जाकर गरमा-गरम चाय बनाकर ले आई। ‘मुझे चाय नहीं पीनी, जा जल्दी कड़क कॉफी ले आ। अजय ने बड़े रौब से कहा। रश्मि ने चाय की प्याली वापस रख दी और कॉफी ले आई।
‘लीजिए आपकी मनपसंद कॉफी। रश्मि ने बड़े प्यार से कॉफी का मग पति के सामने रख दिया। ‘कितनी फूहड़ हो तुम। इतनी भी तमीज नहीं कि कॉफी के साथ पकौड़े भी बनाकर लाने चाहिए। अब जल्दी प्याज के पकौड़े तल कर ले आ। अजय फट पड़ा।
रश्मि प्लेट भर पकौड़े ले आई। उन्हें खाते हुए अजय ने पत्नी को जूते-जुराब खोलने का हुक्म सुना दिया और साथ में रात के खाने का हुक्म दे मीनू बताने लगा। रश्मि चुपचाप ‘जी कह सिर हिलाती रही। न जाने क्यूं अजय को उस पर हुक्म का कोड़ा बरसाने में सुख मिलता था। इसकी एक वजह शायद यह भी थी कि सीधी-सादी रश्मि चुपचाप सहन करते हुए हर समय उसका आदेश मानने को तैयार रहती थी। समय के साथ उनके बच्चे हुए। पहले पूजा के रूप में बिटिया का जन्म हुआ और बाद में रोहन आया। बच्चे थोड़े बड़े हुए, स्कूल भी जाने लगे।
स्वाभाविक रूप से अजय अपनी बिटिया पूजा पर जान छिड़कता था, उसे बहुत प्यार करता था। वहीं रोहन अपनी मम्मी रश्मि की आंखों का तारा था।
एक रोज दोनों बच्चे आंगन में खेल रहे थे। अजय कोई पत्रिका पढ़ रहा था। तभी बिटिया रोती हुई उसके पास आई। ‘पापा, रोहन ने मुझे बुरी तरह डांटा और मारा भी।
पूजा ने रोते हुए बताया तो अजय अपनी लाड़ली के आंसू देखकर उबल पड़ा। ‘रोहन, तूने पूजा को क्यूं डांटा? उसे क्यूं मारा? बेटे को बुला कर अजय ने तेज आवाज में पूछा।
‘पापा, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। हम दोनों हसबैंड-वाइफ खेल रहे थे। मैं हसबैंड बना हुआ था और पूजा मेरी वाइफ। मैंने इस पर हुक्म चलाते हुए किसी काम को कहा तो इसने मेरा आदेश नहीं माना। तब मैंने इसे कसकर डांटा और चांटा भी मारा। आप बताओ गलत कौन था यह या मैं? रोहन बोला।
‘बेटा, पूजा तुझसे बड़ी है। तू उससे छोटा है,
तुझे नहीं डांटना चाहिए था। रश्मि ने बात संभालने की कोशिश की।
‘मम्मी पूजा बड़ी हुई तो क्या हुआ? खेल में तो यह मेरी वाइफ थी। उसे डांटने-पीटने का हसबैंड होने के नाते मेरा राइट बनता है ना पापा? रोहन ने तर्क दिया तो अजय बगलें झांकने को मजबूर हो गया। उसे लगा जैसे उसके बेटे ने सरेआम उसे नंगा कर दिया है।
 

 ये भी पढ़ें-