यह कहानी है राजस्थान के जोधपुर शहर के प्रतापनगर निवासी विक्रम संचोरा की जो पेशे से ऑटो ड्राईवर हैं। जिसकी मासूम बेटी समृद्धि जन्म के कुछ माह तक स्वस्थ्य रही लेकिन बाद में उसे ल्यूकोसाइट एडिक्शन इफेक्ट रूपी गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया। जन्म लेने के कुछ माह बाद ही नियमित रूप से उसे बुखार और श्वास लेने में दिक्कत होने लगी। दवा भी दी गई किन्तु स्थिति में सुधार नहीं हुआ और धीरे-धीरे स्वास्थ में गिरावट होती रही। दूसरी तरफ सफेद रक्त कोशिकाओं की कमीं के चलते खतरनाक वायरस, बैक्टीरिया और कवक जैसे संक्रमण होने लगे थे जिसके चलते बच्ची एक आंख से देख भी नहीं पा रही थी और 2 महीने के इलाज के बाद आंख ठीक हो गई। चिकित्सकों के अनुसार बोन मेरो ट्रांसप्लांट से ही बच्ची की जान बचाई जा सकती है । जिसका खर्च 22 लाख रूपये बताया। साथ में, डोनर का खर्चा करीब 10 लाख रुपये अलग से था जो इस सामान्य परिवार के लिए जुटाना अकल्पनीय और पहाड़ के समान था। लेकिन पिता विक्रम ने अपने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में प्रयोग करने का फैसला लिया । लेकिन आर्थिक तंगी के कारण बच्ची के परिवारजन इलाज के खर्च की राशि का इंतजाम नही कर पा रहे थे। इसी बीच समृद्धि के पिता विक्रम संचोरा को नारायण सेवा संस्थान का पता चला और मदद का आग्रह किया। नारायण सेवा संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि बच्ची ल्यूकोसाइट एडिक्शन इफेक्ट जैसी भंयकर बीमारी से पीड़ित थी इसीलिए बच्ची की सांसो की डोर को बचाने के लिए अविलम्ब बोनमेरो ट्रांसप्लांट की जरुरत थी जिसके लिए संस्थान के दानदाताओं के माध्यम से सहायता राशि उपलब्ध कराई गई । हमें खुशी है कि ऑपरेशन के बाद समृद्धि अब बेहतर स्थिति में है।हर पल के दर्द से जूझती बच्ची को छुटकारा मिल गया है। अब बच्ची अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना और सपनों को पूरा कर सकती है ।
क्या है (ल्यूकोसाइट) सफेद रक्त कोशिका
इम्यून सिस्टम के प्रमुख घटक के रूप में सफेद रक्त कोशिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये खून में वायरस, बैक्टीरिया, और कवक आदि की खोज करके उन्हें नष्ट कर हमारे शरीर को सुरक्षा प्रदान करती हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं को ल्यूकोसाइट (Leukocytes) भी कहा जाता है।
सफेद रक्त कोशिकाओं के प्रकार
सफेद रक्त कोशिकाओं के अलग-अलग प्रकार होते हैं जैसे –
लिम्फोसाइट्स :- ये एंटीबॉडी बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं जो आंतों के कीड़ें जैसे बड़े परजीवी, बैक्टीरिया, वायरस आदि से शरीर की रक्षा करते हैं।
न्यूट्रोफिल :- ये शक्तिशाली सफेद रक्त कोशिकाएं हैं जो बैक्टीरिया और कवक को नष्ट करती हैं।
बेसोफिल :- ये शरीर को रक्त प्रवाह मे रसायनों को स्राव करके संक्रमण के लिए सतर्क करते हैं, साथ ही एलर्जी से भी लड़ने में मदद करते हैं।
ऐसिनोफिल :- यह परजीवी और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
मोनोसाइट्स :- ये शरीर मे प्रवेश करने वाले रोगाणुओं या जीवाणुओं पर हमला करने और इन्हें नष्ट करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या के कम होने के कारण
सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या के कम होने के निम्न कारण हो सकते हैं जैसे –
- शराब का सेवन
- ऑटोम्यून्यून विकार
- जन्मजात विकार
- विषाणु संक्रमण
- कैंसर
- खराब पोषण
- गंभीर संक्रमण जिन्हें दूर करने के लिए बहुत सारे सफेद कोशिकाओं की खपत हो।
सफेद रक्त कोशिकाओं के कमी के लक्षण
- पेट दर्द
- ठंड लगना, पसीना आना, रात का पसीना (night sweats)
- मुँह के छाले
- सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द होना
- तेज बुखार
- खांसी, गले में खरास
- सूजन और त्वचा के लाल चकते
- वजन कम होना
- बेहोशी
सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने के तरीके
- सनफ्लावर के बीज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, इनमें फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और विटामिन बी-6 शामिल होते हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने और प्रतिरक्षा को मजबूत करने में मदद करता है।
- लहसुन एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है जो खून में हानिकारक कणों के निर्माण को कम करता है।
- विटामिन ए, सी और ई की अच्छी मात्रा पालक में मौजूद रहती है जो कि सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करते हैं। आप पालक को पका कर इसका सेवन कर सकते हैं।
- काली और हरी दोनों प्रकार की चाय में फ्लैवोनोइड्स होते हैं जो एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट होता है। हरी चाय प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में बहुत ही लाभकारी होती है। आप ग्रीन टी का सेवन कर अपने शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं के स्तर को बढ़ा सकते हैं।
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