Fat Burn After 40: उम्र का बढ़ना एक प्राकृतिक और स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसे नियंत्रित करना असंभव है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं, खासकर 40 वर्ष के बाद मेटाबॉलिज्म और हार्मोनल बैलेंस बिगड़ने लगता है, जिस वजह से वजन कम करना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सही डाइट, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल का चुनाव करके भले ही आप बढ़ती उम्र को रोक न पाएं लेकिन होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों को जरूर रोक सकती हैं। 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को हेल्दी वेट लॉस करने और उसे मेंटेन रखने के लिए अपने रुटीन में कई अहम बदलाव करने होंगे। ये बदलाव न केवल आपकी स्किन को सुरक्षा प्रदान करेंगे बल्कि वजन कम करने में भी लाभदायक हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं 40 की उम्र में फैट कम करने के लिए किन तरीकों को अपनाया जा सकता है।
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हाई इंटेनसिटी एक्सरसाइज

फैट बर्न और तेजी से वजन कम करने के लिए हाई इंटेनसिटी एक्सरसाइज एक प्रभावी तरीका हो सकती है। 40 की उम्र में हाई इंटेनसिटी एक्सरसाइज को प्राथमिकता देना आवश्यक होता है। इस वर्कआउट के अंतर्गत इंटेंस एक्सरसाइज के साथ ब्रेक लेकर बॉडी को कूल डाउन किया जाता है, जिससे वर्कआउट पूरा होने के बाद भी कैलोरी बर्न करने में मदद मिल सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार इस वर्कआउट रुटीन को हफ्ते में दो बार किया जा सकता है।
माइंडफुल ईटिंग
उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिसमें मेटाबॉलिज्म का स्लो होना और हार्मोनल परिवर्तन अहम हैं। मेटाबॉलिज्म स्लो होने की वजह से खाना पचाने में समस्या और भूख में बदलाव आ सकता है। इसलिए हम अपनी डाइट में क्या शामिल कर रहे हैं इस बात पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। मिड एज में अपना वजन कम करने के लिए माइंडफुल ईटिंग करनी आवश्यक होती है। यानी हम जो खा रहे हैं उसका पूरा आनंद लें और जरूरत से ज्यादा न खाएं।
स्ट्रैस को करें दूर

स्ट्रैस यानी तनाव वजन बढ़ाने में योगदान दे सकता है। स्ट्रैस से पेट और उसके आसपास फैट जमा होने लगता है जिसे कम करना बेहद मुश्किल होता है। इसलिए 40 की उम्र के बाद महिलाओं को अपने स्ट्रैस को कम करने का प्रयास करना चाहिए। स्ट्रैस कम करने के लिए मेडिटेशन, योगा, प्राणायाम और एक्सरसाइज का सहारा लिया जा सकता है। योग करने से तनाव को कम करने में मदद मिलती है साथ ही शरीर को लचीला बनाया जा सकता है।
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
उम्र बढ़ने के साथ शरीर की मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती हैं, जिससे निपटने के लिए आप अपने फिटनेस रुटीन में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को शामिल कर सकते हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग यानी वेट लिफ्टिंग जैसे- डम्बल उठाना व सर्किट। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से मांसपेशियों की वृद्धि होती है और कमजोर मांसपेशियों को हेल्दी बनाने में मदद मिल सकती है। नियमित रूप से स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से मेटाबॉलिज्म को सुधारा जा सकता है साथ ही हड्डियां को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
