दौर बदल रहा है, और इसी बदलते दौर में ना जानें कितनी बीमारियां हमें घेर लेती हैं। देखा जाए तो जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे पैरों में तकलीफ भी बढती है। पैरों में तकलीफ का मुख्य कारण घुटने होते हैं। क्योंकि घुटने की वजह से ही हम आराम से उठ-बैठ और चल-फिर सकते हैं। अगर हमारे घुटने भी बीमार हो जाएंगे तो मानों अपने पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो जाएगा। क्या है ये बिमारी जो घुटनों को नुकसान पहुंचाती है, और कैसे इस बिमारी से लड़कर हम अपने पैरों पर दोबारा खड़े हो सकते हैं, ये सब जानेंगे आज के इस खास लेख में।
ऑस्टियोआर्थराइटिस- घुटने में आम तौर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस यानि की OA एक आम बिमारी है। एक उम्र के पड़व में आने से पहले या कभी कभी कम उम्र के लोगों के घुटने इस बिमारी की वजह से खराब हो जाते हैं। जिससे विकलांगता तक हो जाती है। ये बेहद सीरियस बिमारी है। शोधों की मानें तो घुटने के दर्द और दिल की बिमारी समेत अन्य कारणों के चलते मौत के आंकड़ों की तरफ इशारा करता है।
क्यों बढ़ रहा ऑस्टियोआर्थराइटिस– रोजमर्रा की जीवनशैली में हम खुद को इतना व्यस्त रखते हैं कि हम भूल जाते हैं कि हमें अपने शरीर का भी विशेष ख्याल रखना है। ऑस्टियोआर्थराइटिस आज कल जितनी खतरनाक बिमारी हो गयी है उतनी ही आम भी हो गयी। अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव, मोटापा, खान-पान का ध्यान ना देना इस बिमारी को दवात देता है। शरीर में वजन का बढ़ना आपके पैरों पर बोझ डालता है। क्योंकि हमारे पूरे शरीर का भार घटनों को झेलना पड़ता है। इसलिए समय रहते सबसे पहले अपने वजन को काबू में रखें। ताकि आप ना सिर्फ घुटनों की बिमारी से जूझें बल्कि दिल से जुडी समस्या और अन्य रोगों से भी दूर रहें।
क्या है इलाज– हमने चिकित्सा के क्षेत्र में काफी हद तक कई उपलब्धता हासिल की है। हालांकि ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज भी काफी सालों से किया आता जा रहा है। जो दर्द से राहत पहुंचाता है। फिलहाल कई बड़े बदलाव में डॉक्टर घुटनों की सर्जरी की सलाह देते हैं। जिसे लोग बेहतर विकल्प भी समझते हैं। इससे फायदा भी हुआ है। रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद भी 18 फीसदी से ज्यादा लोगों को दर्द का अनुभव रहता है। इसके अलावा आपके पास एक और विकल्प है और वो है रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन का। इस तकनीक में लोगों को राहत मिलती है। क्या है ये तकनीक आइये समझ लेते हैं।
• रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन आज के समय में एक बेहतरीन विकल्प में से एक है।
• इस प्रक्रिया में घुटनों से लेकर दिमाग तक की सभी नसों को सक्रिय किया जाता है।
• रेडियोफ्रीक्वेंसी मशीन से जुड़ी होती है जो विशेष प्रकार की रेडियो तरंगों का उत्पादन करती है।
• इस प्रक्रिया में घुटनों के आस-पास की नसों को बेहतर तरीके से सक्रिय किया जाता है।
• इस तकनीक से घटनों में अंदर से हुए नसों की वजह से घाव को भी गर्मी देकर ठीक किया जाता है।
वरदान है रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन- रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन घुटनों की बिमारी से ग्रसित लोगों के लिए एक आशा की किरन से कम नहीं है। इस प्रक्रिया से आपको दर्द में राहत मिलने के साथ-साथ अपनी कार्यक्षमता में भी सुधार देखने को मिलेगा। घुटने से कई नसें हमारे दिमाग तक जाती हैं। इस प्रक्रिया में जेनेरिक नर्व को सबसे ज्यादा ध्यान में रखा जाता है। इस प्रक्रिया के बाद आप समान्य गतिविधियां कर सकते हैं। ज्यादातर मामलों में इस थेरेपी के लगभग दो से तीन साल के बाद जरूरत पड़ने पर इसे दोहराया जा सकता है। कई बड़े पेशेवर चिकित्सक आपको इसी की सलाह देंगे। जिससे आप अपने पैरों पर दुबारा खड़े हो सकेंगे।
घुटनों में लगातार दर्द हमारे जीवन को पूरी तरह बेजान बना सकता है। किसी काम को ना कर पाने और चल-फिर न पाने से रोगी खुद को समाज से दूर करने लगता है। जिसका असर कुछ समय के बाद उसके दिमाग पर भी पड़ने लगता है। कभी-कभी डॉक्टर भी सर्जरी की सलाह दे देते हैं। लेकिन यकीन मानिये एक बेहतरीन डॉक्टर अपनों सर्जरी की कभी भी सलाह नहीं देगा। रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन आज के दौर की सबसे बेहतरीन थेरेपी उभरकर सामने आ रही है। जिसकी मदद से आप अपने पैरों पर दोबारा खड़े हो सकते हैं और अपना खोया हुआ आत्मविश्वास भी वापस ला सकते हैं।
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