आज की व्यस्त दिनचर्या के चलते काम का बोझ इतना बढ़ गया है कि चाहे महिला हो या पुरुष, उनका मल्टीटास्किंग के बिना कोई काम आगे नहीं बढ़ पाता। इसका अर्थ है एक साथ कई काम करना और यह हरेक के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। जितना सुनने में यह आसान लगता है, वास्तव में यह उतना ही कठिन है क्योंकि आपका ध्यान एकसाथ कई कामों पर केंद्रित रहता है। आप किसी भी काम को उतने अच्छे से नहीं कर पाते जितना कि आप कर सकते हैं। आपका काम तो पूरा हो जाता है लेकिन मन में कहीं एक बात रह जाती है कि इसे और अच्छे से किया जा सकता था। मल्टीटास्किंग करते समय तनाव के कारण नियमित समय पर काम पूरा करने का आप पर एक दबाव सा बना रहता है जिसके कारण छोटी-छोटी गलतियां होना भी स्वाभाविक है । इसका बुरा असर आपकी सोच पर भी पड़ता है क्योंकि उस वक्त काम की अधिकता के कारण आप अपनी क्रिएटिविटी नहीं दिखा पाते हैं।
इंसान एक साथ कई कामों को करने की जिम्मेदारी तो ले लेता है पर एक साथ कई कामों को याद रख पाना मुश्किल भी हो जाता है। ऐसे में वह तनाव और कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिर सकता है। स्वभाव में चिड़चिड़ापन या गुस्से का असर उसके पारिवारिक रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए ज़रूरी है समय का सदुपयोग। समय-सारणी बनाकर काम को बांट लें, अगर आपकी टीम में अन्य सदस्य भी हैं तो उनकी मदद भी ली जा सकती है। हर रोज़ मैडिटेशन या योग करके खुद को ऊर्जावान बनाये रखें ताकि काम पर आपका फोकस बरकरार रहे और कार्य की गुणवत्ता भी कायम रहे। अपनी झूठी प्रशंसा पाने की लालसा में ज़्यादा काम का प्रेशर ना लें। हां, अगर सामने वाला आपकी मदद चाहता है तो उससे स्पष्ट बात करके उसकी सहायता करने में कभी भी झिझक न महसूस करें क्योंकि कल को आपको भी किसी की भी मदद की ज़रूरत पड़ सकती है।

अधिक कार्य के चलते यह मत भूलें कि आपका एक परिवार भी है, जिसके लिए वक्त निकालना अनिवार्य है। उनके लिए भी वक्त निकालें क्योंकि ये लम्हें सबसे अधिक खुशी देने वाले होते हैं, जो आपकी मल्टीटास्किंग में आपको प्रोत्साहित करते हैं। एक समय था जब हमारे बड़े-बुज़ुर्ग एक वक्त पर एक काम करने की नसीहत दिया करते थे, जिस पर वे आज भी कायम हैं, लेकिन आज का युग मल्टीटास्किंग का युग है। तभी तो युवा होते बच्चों के दिमाग में मल्टीटास्किंग जैसे गुण छोटी आयु से ही विकसित होने लगते हैं और वे इन कामों को आसानी से कर भी पा रहे हैं। बदलते व$क्त के साथ समाज की धारणा भी बदलती रहती है, जिसे लोग स्वीकार कर चुके हैं। अत: आवश्यक है कि आप अपने सभी कामों को योजनाओं के अनुसार पूरा करने का यथासम्भव प्रयास करें।
