नवजात शिशु की मालिश एक ऐसा विषय है, जिसपर बहुत से लोगों के अपने अपने तर्क हैं। सदियों से बच्चे की मालिश को खास प्राथमिकता दी जाती है। दरअसल, जन्म के बाद बच्चे के खान पान के अलावा उसे नहलाना और मालिश करना भी बेहद ज़रूरी है। बच्चे की मालिश उसके शरीर को मज़बूती और मां  के स्पर्श का एहसास कराती है, जो बच्चे के मानसिक विकास के लिए बेहद ज़रूरी है।
आप सरसों के तेल, जैतून के तेल या घी से मालिश करती हैं
हालांकि, शिशु की मालिश करने के लिए जैतून के तेलए घी और सरसों के तेल का इस्तेमाल परिवारों द्वारा कई सालों से सुरक्षित तरीके से किया जाता रहा है। शोध दर्शाती है कि इन तेलों में ओलिएक एसिड की मात्रा ज्यादा होती है और यदि इन्हें त्वचा पर लगा छोड़ दिया जाए तो ये त्वचा के बैरियर को क्षति पहुंचा सकते है। यदि आपके शिशु की त्वचा पहले से ही रुखी, संवेदनशील है या उसे एग्जिमा है तो इसकी संभावना और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
शिशु को नहलाने के बाद मालिश करना अच्छा इसलिए है, क्योंकि
यदि आपके शिशु की त्वचा रुखी है
यदि आपके शिशु की त्वचा रुखी है या उसे एग्जिमा है तो डॉक्टर असुगंधित क्रीम या लोशन से शिशु की मालिश करने की सलाह दे सकते हैं। मॉइस्चराइजिंग क्रीम और लोशन त्वचा की उपरी परत में अवशोषित होने के हिसाब से तैयार किए जाते हैं यदि आप उन्हें नहाते वक्त हटा देंगे, तो वे त्वचा को मॉइस्चराइज नहीं कर पाएंगे।
यदि आप शिशु की त्वचा के लिए सौम्य तेल इस्तेमाल कर रही हैं
यदि आप तेल का इस्तेमाल कर रही हैं, तो नहाने के बाद गीली त्वचा पर मालिश करने से नमी अंदर बनी रहेगी और त्वचा में समाहित हो जाएगी। मगर, आपको ऐसे तेल का इस्तेमाल करना चाहिए जो शिशु की त्वचा के लिए उचित हो जैसे कि नारियल का तेल, सूरजमुखी के बीज या शिशुओं के लिए विशेषतौर पर तैयार तेल यानि मिनरल तेल।
मालिश के बाद बच्चे को न नहलाएं
इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आप बच्चे की मालिश करने के बाद कभी भी बच्चे को नहलाने गलती न करें। खासकर ठंडे पानी से तो बिल्कुल नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि मसाज के बाद बच्चे का शरीर गर्म हो जाता है और मालिश के बाद नहलाने से बच्चा बीमार पड़ सकता हैण् आप चाहें तो मालिश के करीब एक घंटे बाद बच्चे को नहला सकते हैं। बच्चे को नहलाने के लिए हमेशा गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल करें।
कमरे का तापमान सामान्य रखें
बच्चे की मालिश करने से पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछा लें और फिर बच्चे की मसाज शुरू करें। बेड पर बैठकर बच्चे की मसाज न करें। इसके अलावा, कमरे का तापमान सामान्य रखेंए जो कि बच्चे के अनूकूल हो और कमरे में सही मात्रा में प्राकृतिक रोशनी व हवा भी आने दें।
हल्के हाथों से मालिश करें
बच्चे की मसाज हमेशा हल्के हाथों से की जाती है। मालिश करते समय बच्चे के शरीर पर ज्यादा दबाव न डालें और न ही रगड़ें। बच्चे का शरीर काफी नाजुक व मुलायम होता है उस पर तनाव न डालें। हमेशा हल्के हाथों से मालिश करें और तेल या लोशन बच्चे की आंख, नाक और मुंह में न जाए इसका भी ध्यान रखें। यदि बच्चे के मुंह में गलती से मसाज ऑयल या लोशन चला जाता है तो उसे उल्टी करवा दें। बच्चे के हाथ.पैरों से लेकर पेट.पीठ और चेहरे की मसाज भी करें।
पेरेंटिंग सम्बन्धी यह आलेख आपको कैसा लगा ?  अपनी प्रतिक्रियाएं जरूर भेजें। प्रतिक्रियाओं के साथ ही पेरेंटिंग से जुड़े सुझाव व लेख भी हमें ई-मेल करें- editor@grehlakshmi.com
ये भी पढ़े