‘‘मैं टॉयलेट इस्तेमाल कर रही थी तभी पोंछते समय मुझे खून का हल्का सा धब्बा दिखा, क्या मेरा मिसकैरेज हो गया है।”

गर्भावस्था में इस तरह खून का धब्बा दिखना, काफी डरा देने वाला होता है।लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि आपके साथ कुछ गलत ही हुआ होगा। 5 में से 1 गर्भवती महिला को अक्सर इसी तरह के हल्के रक्स्राव (ब्लीडिंग) का अनुभव होता है और वे स्वस्थ शिशु को जन्म देती हैं। हो सकता है कि यह हल्का धब्बा पीरियड के शुरूआत या आखिर का संकेत हो। दिल थाम कर आगे लिखी बातें पढ़ें। इस हल्के से धब्बे के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।

युटेराइन वॉल में एम्ब्रिओ का पनपना :- 20 से 30 प्रतिशत महिलाओं को इस स्पॉटिंग यानी‘इंप्लान्टेशन ब्लीडिंग’ की शिकायत होती है।गर्भधारण के पांच से दस दिन के बाद, जब आपके पीरियड आने वाले होते हैं, तब ऐसा हो सकता है। यह आपकी माहवारी से काफी कम,कुछ घंटों से कुछ दिनों की हो सकती है। यह हल्के गुलाबी या भूरे रंग की ब्लीडिंग होती है।यह तब होता है जब कोशिकाओं की छोटी गेंद,गर्भाशय की दीवार से अपना रास्ता बनाती है।‘इंप्लान्टेशन ब्लीडिंग’ का यह मतलब कतई नहीं है कि कुछ गलत हो रहा है।

इंटरकोर्स (सहवास) या भीतरी पेल्विकजांच या पैम स्मीयर :- गर्भावस्था में सर्विक्स पहले से काफी नाजुक हो जाती है और रक्त नलिकाएं उभर आती हैं, वे इंटरकोर्स की भीतरी जांच की वजह से हल्की ब्लीडिंग की वजह बन सकती है। ऐसी ब्लीडिंग गर्भावस्था में किसी भी समय हो सकती है। यह आमतौर पर किसी समस्या का संकेत नहीं होती लेकिन आप अपनी तसल्ली के लिए डॉक्टर से चेकअप करवा सकती हैं।

वैजाइना (योनि) या सर्विक्स संक्रमण :- इन दोनों के संक्रमण की वजह से भी हल्का रक्तस्राव (ब्लीडिंग) हो सकता है।

गर्भावस्था में हल्की ब्लीडिंग सामान्य है

 

सबकॉरिओनिक ब्लीडिंग :- ऐसी ब्लीडिंग तब होती है, जब कोरियन (प्लेसेंटा के साथ बाहरी फैटल मैम्ब्रेन) या गर्भाशय व प्लेसेंटा के बीच रक्त इकट्ठा हो जाता है। इसकी वजह से हल्की या भारी ब्लीडिंग हो सकती है जो आमतौर पर सामान्य अल्ट्रासाउंड की पकड़ में नहीं आती। यह ब्लीडिंग स्वयं ही ठीक हो जाती है और इसकी वजह से कोई समस्या पैदा नहीं होती।

गर्भावस्था के बाकी लक्षणों की तरह हल्की ब्लीडिंग भी सामान्य लक्षण है। कई महिलाओं को पूरी गर्भावस्था के दौरान ऐसी ब्लीडिंग होती रहती है। कुछ महिलाओं को सिर्फ एक या दो दिन के लिए होती है। कुछ महिलाओं को म्यूकस के साथ भूरी या गुलाबी रंग की ब्लीडिंग होती है तो कुछ को लाल कतरों में….इन सबमें सबसे सामान्य बात यह है कि उनकी गर्भावस्था पूरी तरह सुरक्षित रहती है और वे स्वस्थ शिशुओं को जन्म देती हैं। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है लेकिन इस ओर से बिल्कुल लापरवाही भी ठीक नहीं है।

यदि हल्की ऐंठन के साथ लाल खून के धब्बे दिखें (जिनसे पूरा पैड भर जाए)तो आपको डॉक्टर से जरूर पूछ लेना चाहिए।वे अल्ट्रासाउंड की राय दे सकते हैं। यदि 6 सप्ताह बीत गए हैं तो आप शिशु के दिल की धड़कन भी सुन सकती हैं, जिससे आपको पता चल जाएगा कि सब ठीक-ठाक है। यदि ये हल्के धब्बे भारी ब्लीडिंग में बदल जाएं तो आपको उसी समय डॉक्टर से मिलना होगा। हालांकि तब भी मिसकैरेज का ख्याल मन में न लाएं। कई गर्भवती महिलाओं को बिना किसी कारण से भी भारी ब्लीडिंग होती है और बाद में जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहते हैं।

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