‘‘मेरे डॉक्टर प्रसव शुरू करना चाहते हैं जबकि अभी प्रसव की तिथि निकली नहीं है। मैं तो यही सोचती थी कि प्रसव की तिथि निकलने के बाद ही प्रसव शुरू कराने की जरूरत होती है।”
कभी-कभी कुदरत की भी किसी गर्भवती महिला को माँ बनाने के लिए मदद की जरूरत होती है। तकरीबन 20 प्रतिशत मामलों में ऐसा होता है। यह तब भी जरूरी हो जाता है, जब प्रसव की तिथि निकल जाए। निम्नलिखित मामलों में डॉक्टर को लग सकता है कि हमें कुदरत की मदद करनी होगी।
आपकी झिल्ली फटने के 24 घंटे बाद भी प्रसव पीड़ा शुरू न हुई हो। कई डॉक्टर 24 घंटे तक इंतजार नहीं करते।
टेस्टों से पता चले कि गर्भाशय आपके शिशु के लिए एक सेहतमंद घर नहीं रहा, एम्निओटिक द्रव्य का स्तर घट गया है या फिर ऐसा ही कोई कारण।
अध्ययन से पता चला कि शिशु सामान्य प्रसव के लिए कमजोर है।
आपको प्रीक्लैम्पसिया, गैस्टेशनल मधुमेह या फिर कोई और लंबी बीमारी है,जिसमें गर्भावस्था बनाए रखने में खतरा हो सकता है।
यह डर हो कि आप प्रसव शुरू करने के बाद सही समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पाएँगी या फिर आपका कम समय के प्रसव का रिकॉर्ड रहा हो।
आप चाहें तो डॉक्टर से इस बारे में खुलासा माँग सकती हैं। वैसे आपको इस प्रक्रिया की भी जानकारी होनी चाहिए?
प्रसव आरंभ (लेबर इंडक्शन) कैसे होता है?
‘लेबर इंडक्शन’ एक ऐसी प्रक्रिया है,जिसमें लंबा समय भी लग सकता है।
इस प्रक्रिया में आमतौर पर कई चरण होते हैं, यह जरूरी नहीं कि आपको उन सभी चरणों से गुजरना पड़े।
सबसे पहले, आपके गर्भाशय मुख को नरम करना होगा। अगर यह पहले से तैयार है तो मान लें कि पहला चरण पूरा हो गया यदि उसका फैलाव शुरू नहीं हुआ तो डॉक्टर आपको वैजाइल जैल के रूप प्रोस्टागलैनडिन ई जैल दे सकते हैं, इसकी एक गोली भी आती है। इस दर्दरहित प्रक्रिया में योनि में सीरिंज डालकर सर्विक्स के पास जैल पहुंचाते हैं।कुछेक घंटों में जैल अपना काम शुरू कर देता है, डॉक्टर जांच करते हैं कि जैल का असर हुआ या नहीं। यदि न हुआ हो तो जैल की दूसरी खुराक देनी पड़ती है। अगर गर्भाशय का मुँह तैयार है और संकुचन शुरू नहीं हुआ तो इंडक्शन की प्रक्रिया जारी रहती है। कई डॉक्टर गर्भाशय का मुख तैयार करने के लिए मैकेनिकलएजेंट इस्तेमाल करते हैं; जैसे‒एक गुब्बारे के साथ कैथेटर, डाइलेटर या बोटेनिकल आदि।
अगर एम्निओटिक थैली अभी साथ है तो वे कृत्रिम तरीके से इसे अलग करने की कोशिश करते हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में कभी भी पानी की थैली फट भी जाती है।
अगर अब भी नियमित प्रसव पीड़ा शुरू न हो तो ‘इंट्रावीनस पिटोसिन’ देना पड़ता है। यह हार्मोन गर्भावस्था में शरीर में भी बनता है और काफी खास भूमिका निभाता है। इसके अलावा ‘मीसोप्रोस्टॉल’ नामक दवा भी दी जा सकती है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि इसे देने से आक्सीटोसिन की जरूरत को थोड़ा घटा देती है व प्रसव की अवधि को भी कम करती है।
प्रसव के दौरान आपके शिशु पर लगातार नजर रखी जाती है। आप पर भी ध्यान दिया जाएगा कि कहीं दवा के कारण ज्यादा तेज और शक्तिशाली संकुचन तो नहीं हो रहा। ऐसा होने पर दवा की मात्रा घटा देते हैं या पूरी प्रक्रिया को ही रोक देते हैं। प्रसव आरंभ होने के बाद दवा रोक देते हैं ताकि आगे की प्रक्रिया कुदरतन चल सके।
अगर 8 से 12 घंटे के बाद भी प्रसव शुरू न हो तो डॉक्टर प्रक्रिया को रोक सकते हैं या फिर ऑप्रेशन की सलाह दे सकते हैं।
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