गर्भावस्था के दौरान सिगरेट पीना गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होता है क्योंकि धूम्रपान करने वाली महिलाओं को न केवल प्रसव के दौरान दिक्कत होती है बल्कि बच्चे में कई प्रकार की विकृतियां हो सकती हैं।
इसके बड़े खतरनाक नतीजे हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान भी कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जिनमें इक्टोपिक प्रेगनेंसी,एबनॉर्मल प्लेसेंटल डिटैेचमेंट, प्रीमेच्योर रप्चरऑफ मैम्ब्रेन , वगैरह भी शामिल हैं। यहां तक कि समय से पूर्व प्रसव भी हो सकता है।प्रमाण मिले हैं कि धूम्रपान से शिशु का विकास बुरी तरह प्रभावित होता है। सबसे ज्यादा खतरा तो यह होता है कि जन्म लेने वाले शिशुओं का वजन काफी कम होता है, लंबाई कम होती है और सिर का घेरा भी कम होता है। इसी वजह से शिशु प्रसव के दौरान बीमार हो जाते हैं या उनकी मृत्यु तक हो जाती है।
धूम्रपान करने वाली महिलाओं के शिशुओं में सिडस सिंड्रोम पाया जाता है वे उन शिशुओं जैसे सेहतमंद नहीं होते, जो महिलाएं धूम्रपान नहीं करती। इन शिशुओं में शारीरिक व बौद्धिक कमी भी पाई जाती है, अगर माता-पिता उनके आसपास धूम्रपान करते रहते हैं तो यह खतरा और भी बढ़ सकता है। उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, श्वास तंत्र में खराबी होती है,कानों में संक्रमण शीघ्र हो जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे बच्चों में आमतौर पर व्यवहार से जुड़ी समस्याएं भी पाई जाती हैं। वे उन बच्चों की तुलना में, जन्म के पहले वर्ष में अधिक बीमार पड़ते हैं, जो धूम्रपान नहीं करतीं। बड़े होकर वे भी आसानी से धूम्रपान करने वालों में शामिल हो जाते हैं।
तम्बाकू का भी बुरा असर पड़ता है। पूरे दिन में एक पैकेट सिगरेट पीने वाली महिलाओं के शिशुओं का वजन, जन्म से ही काफी कम होता है। आप अगर सिगरेट पीती हैं तो गहरे कश लगाने और अधिक सिगरेट पीने का मोह छोड़ना होगा। कम निकोटीन वाली सिगरेट पीने से खतरा नहीं घटेगा। आपको इसे पूरी तरह छोड़ना होगा।
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कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि जो गर्भवती महिलाएं गर्भ के पहले तीन माह में ही धूम्रपान छोड़ देती हैं, उनके लिए खतरा काफी घट जाता है। कई बार जो महिलाएं आरंभ में निकोटीन नहीं छोड़ पातीं, वे बाद में अपने भीतर की पुकार सुनकर सिगरेट पीना छोड़ देती हैं। यदि पहले छोड़ दें तो बेहतर है लेकिन बाद में भी छोड़ देंगी तो शिशु के लिए ऑक्सीज़न का प्रवाह नियमित हो जाएगा।
अगर आपको लगता है कि धूम्रपान छोड़ने से वजन बढ़ जाएगा तो ध्यान रखें कि अभी तक इस बात के कोई प्रभाव नहीं मिले हैं। कई धूम्रपान करने वाले भी मोटे होते हैं हालांकि छोड़ने की प्रक्रिया में वजन थोड़ा बढ़ सकता है, बाद में वह वजन आसानी से घटाया जा सकता है। इस प्रक्रिया के दौरान डायटिंग का विचार मन से निकाल दें। वैसे भी यह आपके और शिशु की सेहत के लिए ठीक नहीं है।
कई लोगों में सिगरेट छोड़ने के बाद कई तरह के लक्षण भी उभरते हैं, जो अलग-अलग लोगों में अलग-अलग हो सकते हैं। बेचैनी,उत्तेजना, तनाव, जकड़न, शरीर सुन्न पड़ना,हाथ-पांव कांपना, सिर चकराना, थकान, नींद व गैस की परेशानियां सामान्य लक्षण हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इससे मानसिक व शारीरिक प्रदर्शन भी प्रभावित होता है।अधिकतर लोगों को कफ की शिकायत हो जाती है।
निकोटीन का असर घटाना चाहते हैं, तो कैफीन लेना छोड़ें। थकान से बचाव के लिए कसरत करें व भरपूर आराम करें। ज्यादा दिमागी थकान वाले काम करने की बजाय हल्के-फुल्के काम करें। यदि अवसाद बहुत बढ़ जाए तो डॉक्टर से राय लेने में देर न करें।
ये प्रभाव कुछ दिनों से कुछ सप्ताह तक चल सकते हैं लेकिन इसका लाभ तो आजीवन मिलेगा न!
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