Yoga Posture of Shiva
Yoga Posture of Shiva

Yoga Posture of Shiva: महाशिवरात्रि के अवसर पर देशभर के मंदिरों और शिवालयों में भगवान शिव के जयकारे गूंजते हैं, और उनके विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव को योग का आदि गुरु माना जाता है, जिन्होंने सृष्टि को योग का ज्ञान दिया। आज वही योग पूरी दुनिया में एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है। शिव से प्रेरित योगासन और मुद्राओं का नियमित अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर, हम आपको ऐसे ही कुछ योगासनों और मुद्राओं के बारे में बता रहे हैं, जो निरोगी और स्वस्थ जीवन पाने में मदद कर सकते हैं।

नटराजासन

भगवान शिव की मुद्राओं पर आधारित योगासनों की बात करें तो नटराजासन का नाम सबसे पहले लिया जाता है। यह योगासन भगवान शिव के नटराज रूप से प्रेरित है, जो सृष्टि के सृजन और विनाश के प्रतीक हैं। नटराज, शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह एक बेहतरीन संतुलन आसन है, जो शरीर में लचीलापन, संतुलन और समन्वय को सुधारने में मदद करता है।

वीरभद्रासन

भगवान शिव के स्वरूप से प्रेरित दूसरा महत्वपूर्ण योगासन वीरभद्रासन है, जो उनके उग्र रूप वीरभद्र से जुड़ा हुआ है। यह आसन उस मुद्रा से प्रेरित है जब देवी सती की मृत्यु के शोक में शिव क्रोधित हुए, और उनके पसीने से भयंकर वीरभद्र का जन्म हुआ। इस आसन का अभ्यास करने से व्यक्ति में शक्ति, निडरता और साहस का विकास होता है।

हनुमानासन

भगवान हनुमान को महादेव का 11वां अवतार माना जाता है, और उनके भव्य स्वरूप से प्रेरित एक उन्नत योगासन है हनुमानासन। यह आसन विशेष रूप से पैरों की स्ट्रेचिंग के लिए प्रभावी माना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से हैमस्ट्रिंग, पिंडली की मांसपेशियों, कमर और कूल्हों के लचीलेपन में सुधार होता है।

ध्यान मुद्रा

आज पूरी दुनिया में प्रसिद्ध मेडिटेशन वास्तव में भगवान शिव की ध्यान मुद्रा की ही देन है, जिसके माध्यम से कई मानसिक समस्याओं का समाधान किया जाता है। ध्यान मुद्रा में भगवान शिव दोनों हाथों को गोद में रखते हैं, जिसमें हथेलियां ऊपर की ओर रहती हैं। यह मुद्रा आंतरिक शांति का प्रतीक मानी जाती है। इसके नियमित अभ्यास से मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव व अवसाद जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

लिंग मुद्रा

लिंग मुद्रा, शिव लिंग से प्रेरित एक हस्त मुद्रा है, जिसका अभ्यास करने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है। इसके नियमित अभ्यास से सर्दी-जुकाम, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और साइनस जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। इस मुद्रा को ध्यान अवस्था में बैठकर या स्थिर खड़े रहकर किया जा सकता है। अभ्यास के दौरान, दोनों हथेलियों को आपस में जोड़कर, एक हाथ के अंगूठे को सीधा ऊपर रखना होता है।

शांभवी मुद्रा

शांभवी मुद्रा को भगवान शिव से प्रेरित माना जाता है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने यह मुद्रा देवी पार्वती को सिखाई थी, जिससे स्त्री शक्ति सक्रिय होती है। इस मुद्रा का अभ्यास करने के लिए किसी शांत स्थान पर बैठकर दोनों भौहों के बीच ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह एकाग्रता बढ़ाने और मन को शांत रखने में सहायक होती है। साथ ही, इसके नियमित अभ्यास से आंखों की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।

मेरा नाम श्वेता गोयल है। मैंने वाणिज्य (Commerce) में स्नातक किया है और पिछले तीन वर्षों से गृहलक्ष्मी डिजिटल प्लेटफॉर्म से बतौर कंटेंट राइटर जुड़ी हूं। यहां मैं महिलाओं से जुड़े विषयों जैसे गृहस्थ जीवन, फैमिली वेलनेस, किचन से लेकर करियर...