Overview:नमी के मौसम में दमा रोगी अपनी सेहत की सुरक्षा कैसे करें
दमा एक गंभीर लेकिन कंट्रोल में रखा जा सकने वाला रोग है, बशर्ते कि मरीज सावधानी से जीवनशैली को अपनाएं। मानसून में अपनी सेहत को नजरअंदाज करना महंगा पड़ सकता है, इसलिए बताए गए सुझावों को अपनाकर आप इस मौसम को सुरक्षित और सुकून भरा बना सकते हैं।
Asthma Care in Monsoon: मानसून का मौसम जहां सभी के लिए राहत लेकर आता है, वहीं दमा (अस्थमा) के मरीजों के लिए यह मौसम कई तरह की चुनौतियाँ खड़ी कर देता है। वातावरण में बढ़ी हुई नमी, फफूंदी, और तापमान में उतार-चढ़ाव से सांस की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि दमा के रोगी खास सावधानी बरतें और अपनी दिनचर्या में कुछ जरूरी बदलाव करें। यहां दिए गए उपाय आपकी इस नाज़ुक समय में मदद कर सकते हैं।
नमी से बचाव करें
बारिश के दौरान वातावरण में नमी बहुत अधिक बढ़ जाती है, जो फेफड़ों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। घर के अंदर भी नमी रहने से फफूंद और धूल के कण बढ़ जाते हैं, जो दमा को ट्रिगर कर सकते हैं। घर को सूखा, साफ़ और हवादार रखने की कोशिश करें। डिह्यूमिडिफ़ायर का इस्तेमाल करें या पंखों और एग्जॉस्ट का सहारा लें।
इनडोर सफाई का रखें विशेष ध्यान
मानसून में घर में सीलन, धूल और फंगल संक्रमण बढ़ सकते हैं। इसलिए फर्श, परदे, कालीन और बिस्तर को समय-समय पर साफ़ करें। एयर प्यूरीफायर का प्रयोग भी फायदेमंद हो सकता है। पुराने तकिए या गद्दों में जमी धूल भी अस्थमा को बढ़ा सकती है, इसलिए उन्हें बदलने पर विचार करें।
सर्द-गर्म चीजों से बचें
बारिश में भीगना, ठंडा पानी पीना या ठंडी चीजें खाना अस्थमा को बढ़ा सकता है। शरीर को सूखा और गर्म रखें। बाहर से आते ही कपड़े बदलें और गीले बालों को सुखाएं। गर्म पानी से नहाएं और सूप जैसी गर्म चीजों का सेवन करें जो सांस की नली को आराम दे सकती हैं।
इंफेक्शन से रहें सावधान
मानसून में वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह दमा रोगियों के लिए और भी परेशानी का कारण बन सकता है। हाथ धोते रहना, मास्क पहनना, भीड़भाड़ वाले इलाकों से बचना और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं समय पर लेना जरूरी है।
दवाओं को न भूलें और इन्हें पास रखें
इन्हेलर या नेब्युलाइज़र जैसी दवाएं हमेशा पास रखें। अक्सर मौसम के बदलाव में अचानक सांस फूल सकती है, ऐसे में दवा तुरंत लेना जरूरी हो जाता है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवा की खुराक न छोड़ें और नियमित चेकअप कराते रहें।
योग और सांस संबंधी व्यायाम करें
प्राणायाम, भ्रामरी और अनुलोम-विलोम जैसे योगाभ्यास दमा रोगियों के लिए काफी लाभदायक होते हैं। यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाते हैं और तनाव भी कम करते हैं, जो अस्थमा को नियंत्रित रखने में मददगार है।
धूप मिलते ही सनबाथ लें
मानसून में विटामिन डी की कमी हो सकती है, जो इम्युनिटी को प्रभावित करती है। जब भी धूप निकले, थोड़ी देर बाहर बैठें। इससे शरीर को गर्माहट मिलेगी और दमा के लक्षण कुछ हद तक कम हो सकते हैं।
खानपान पर दें विशेष ध्यान
मौसमी फल-सब्जियों का सेवन करें, लेकिन ऐसी चीजों से बचें जो बलगम बढ़ा सकती हैं, जैसे केला, दही या ज्यादा तले-भुने खाद्य पदार्थ। हल्दी वाला दूध, तुलसी-शहद का काढ़ा या अदरक वाली चाय लेना फायदेमंद हो सकता है।
