pet ke alsar

कहते हैं पेट हमारे शरीर का वह हिस्सा होता है जहां से हमारे पूरे शरीर को पोषण पहुंचता है परंतु यह तभी संभव है जब हमारे पेट में किसी तरह का कोई विकार न हो लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में अधिकतर लोग पेट के किसी न किसी विकार से परेशान हैं। उन्हीं में से एक है अल्सर। जिसे पेप्टिक अल्सर या अमाशय का छाला भी कहा जाता है जो सीने व पेट में जलन से शुरू होता है और धीरे-धीरे अल्सर का रूप ले लेता है।

यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को, किसी भी उम्र में हो सकती है तथा यह बीमारी मर्दों की अपेक्षा औरतों को जल्दी होती है। इसका पता चलते ही जल्द से जल्द इसका उपचार शुरू करना चाहिए अन्यथा यह जान लेवा भी हो सकती है।

क्या होता है अल्सर? 

जब हमारे खान-पान में गड़बड़ी के कारण अम्लस्राव की मात्रा अधिक हो जाती है तो उदर की दिवारों पर घाव हो जाते हैं इसे पेट का अल्सर व अमाशय का छाला भी कहते हैं। अमेरिका कि एक रिसर्च के अनुसार 10 में से 1 इंसान अल्सर की बीमारी से परेशान है। चिकित्सकों का मानना है कि अम्लस्राव नाशक एसिड से बचाने के लिए हमारे पेट में कफ की एक परत होती है जो आंत और पेट को ढक लेती है, पर जब अम्लस्राव अधिक होने के कारण ये एसिड आंतों के पास जाता है तो वहां घाव व छाले हो जाते हैं।

लक्षण- पेट के ऊपरी हिस्से व सीने में जलन, खट्टी डकारें आती हैं, कुछ भी खाने का मन नहीं होता व पेट भरा-भरा रहता है, कब्ज की शिकायत हो जाती है व उल्टी भी हो सकती है, शरीर में कमजोरी महसूस होती है व पेट में असहनीय दर्द भी हो सकता है।

कारण- तला हुआ अधिक मसालेदार भोजन खाने से, नशीले पदार्थों व ड्रग्स का अधिक सेवन करने से, खाने की अनियमितता से, चाय व कॉफी का अत्यधिक सेवन करने से व अत्यधिक मीठा और खट्टा खाने से इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

क्या करें?

  • अल्सर के रोगी को हर दो घंटे के अन्तर पर केला, चीकू, शरीफा, उबला हुआ सेब व ठंडा दूध लेना चाहिए।
  • चपाती, पका चावल व सब्जियां डालकर पका हुआ दलिया अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।
  • अल्सर में आराम मिलने पर दूध, सब्जियों का सूप कस्टर्ड व दलिया आदि लेना चाहिए।
  • रेशे वाले पदार्थों का सेवन करने से अल्सर से उत्पन्न पेट की जलन शान्त होती है।

क्या न करें?

  • मैदे से बने पदार्थ, केक, पेस्ट्री, जैम व जैली का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • कच्ची, पत्तेदार सब्जियां व अंकुरित दाल नहीं खानी चाहिए।
  • अधिक मीठे व खट्ïटे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • चाय, कॉफी, शराब और धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
  • अल्सर के रोगी को तला हुआ मसालेदार व मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए।
  • अधिक शारीरिक व मानसिक कार्य से बचना चाहिए ताकि पेट में बल या सिकुड़न कम हो।

 

घरेलू उपचार

1. पान- पान के हरे पत्ते का आधा 

चम्मच रस प्रतिदिन पीने से, घाव व दर्द शान्त होता है।

2. संतरा- भोजन करने के बाद दो चम्मच संतरे का रस प्रतिदिन पीने से घाव में फायदा करता है।

3. आंवला- एक चम्मच शहद के साथ एक चम्मच आंवले का रस मिलाकर पीने से उत्पन्न अल्सर ठीक होता है।

4. मूली- मूली का 100 मिलीलीटर रस दिन में दो तीन बार लेने से अल्सर ठीक होता है।

5. केला व दूध- अल्सर की बीमारी में दूध केला एक साथ खाने से लाभ होता है।

6. नारियल- नारियल खाने से छाले के कीटाणु नष्टï होते हैं, नारियल का दूध व नारियल का पानी भी अल्सर में फायदा करते हैं।

7. शहद- रोज सुबह खाली पेट दो टी स्पून शहद का सेवन करने से पेट की परत मजबूत होती है व अल्सर में आराम पड़ता है।

8. केला- अल्सर के उपचार में आप प्रतिदिन दो-तीन केले का सेवन करें, आप इसका मिल्कशेक बना कर भी ले सकते हैं। कच्चे केले को उबालकर, पका कर या सेक कर खाने से भी अल्सर में लाभ होता है।

9. लहसुन- कहा जाता है कि लहसुन की एक कच्ची फांक हमें प्रतिदिन खानी चाहिए क्योंकि यह पेट की सफाई करता है, सूजन व जलन भी कम करता है।

10. पिसा हुआ जीरा- अगर हम ताजा दही के साथ पिसा हुआ जीरा छिड़क कर खाते हैं तो यह भी पेट के विकारों में काफी लाभदायक साबित होता है।

11. भिण्डी- शोधकर्ताओं के मुताबिक चूर्ण की हुई सूखी भिण्डी शीघ्र-अतिशीघ्र दर्द से राहत दिलाती है। भिण्डी का सूखा चूर्ण उदर में संवेदनशील सतहों की सुरक्षा करता है।

12. पालक का रस- पालक का रस भी अल्सर में काफी फायदेमंद साबित होता है।

13. अनार का छिलका- अनार का फल तो फायदेमंद होता ही है साथ ही अगर इसके छिलके को पीस लिया जाए तो इसका जोशांदा अल्सर के लिए अच्छा साबित होता है।

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