अमरूद मधुर ग्राही, कच्चेपन में कसैला, पकने पर मीठा व स्वादिष्ट, शीतल, वातवर्द्धक, त्रिदोष तथा जलन नाशक और क्षुधावर्द्धक है। विविध तरीकों से इसके बीज, पत्ते, जड़ और फल का उपयोग कर विभिन्न रोगों की चिकित्सा की जा सकती है। भोजन के बाद इसे खाने से कब्ज, अफारा, मंदाग्नि आदि की शिकायत नहीं होती। इसे सामान्यत: सुबह निराहार नाश्ते में खाना अधिक गुणकारी होता है। बच्चों के लिए यह  बहुत उपयोगी और पौष्टिक होता है, अत: बच्चों को अमरूद अवश्य खिलाना चाहिए। यह हृदय, मस्तिष्क, स्नायु-मंडल और पाचन-संस्थान को बल देता है।

रासायनिक विश्लेषण

अमरूद में प्रोटीन 1.5, वसा 0.2, खनिज  तत्त्व 0.9, कार्बोहाइड्रेड 14.5, कैल्शियम 1.01, फास्फोरस 0.44, लोहा 1.0 मिली. प्रतिग्राम, विटामिन ‘बी’ 0.2 तथा विटामिन ‘सीÓ 2.95 मिलीग्राम पाए जाते हैं।

घरेलू इलाज मानसिक विकार

इलाहाबादी अमरूद पाव भर सुबह भोजन के बाद तथा इतनी ही मात्रा में सायं 5 बजे रोजाना 6 सप्ताह तक खाने से मस्तिष्क की मांसपेशियों को शक्ति प्राप्त होती है तथा मस्तिष्क की गरमी शांत होती है।

सर्दी-जुकाम

जुकाम होने पर बिना बीज एक अमरूद का गूदा खाकर एक गिलास पानी पी लें। ऐसा दिन में 2-3 बार करें। पानी पीते समय नाक से सांस न लें और न छोड़ें। नाक बंद करके पानी पीएं और मुंह से ही सांस बाहर छोड़ें। इससे जुकाम बहने लगेगा जुकाम बहना शुरू होते ही अमरूद खाना बंद कर दें। 1-2 दिन में जुकाम से राहत लगे तब रात को सोते समय 50 ग्राम गुड़ खाकर बिना पानी पीए, सिर्फ कुल्ला करके सो जाएं। जुकाम ठीक हो जाएगा।

खांसी

एक पूरा साबूत अमरूद आग की गरम राख में दबा कर सेंक लें। इसे 2-3 दिन  तक (प्रतिदिन एक अमरूद) खाने से कफ ढीला होकर निकल जाता है और खांसी में आराम हो जाता है। चाय की पत्ती की जगह अमरूद के पत्ते धोकर-साफ कर पानी में उबाल कर, दूध-शक्कर डालकर, चाय की तरह बनाकर, छान कर पीने से भी खांसी में लाभ होता है। इसके बीजों को बिहीदाना कहते हैं। इन बीजों को सुखा कर पीस लें और थोड़ी मात्रा में शहद के साथ सुबह शाम चाट लें। खांसी ठीक हो जाएगी। तेल व खटाई से परहेज करें।

मुख रोग

इसके कोमल और हरे-ताजे पत्ते चबाने से मुंह के छाले नरम पड़ते हैं। मसूढ़े व दांत मजबूत होते हैं, मुंह की दुर्गंध मिट जाती है। पत्ते चबा कर इसका रस थोड़ी देर मुंह में रखकर इधर-उधर घुमाते रहें, फिर थूक दें। पत्तों को उबाल कर इसी पानी से कुल्ले व गरारे करने से दांत दर्द दूर होता है व मसूढ़ों की सूजन व पीड़ा नष्ट होती है।

कब्ज

पर्याप्त मात्रा में अमरूद खाने से मल सूखा और कठोर नहीं हो पाता और सरलतापूर्वक शौच हो जाने से कब्ज नहीं रहता। अमरूद काट कर सौंठ, काली मिर्च और सेंधा नमक बुरक कर खाने से स्वाद बढ़ता है और पेट का अफारा, गैस और अपच दूर होते हैं। इसे सुबह निराहार खाना चाहिए या भोजन के साथ खाना चाहिए।

विविध उपयोग

अमरूद खाने या इसके पत्तों का रस पीने से भांग का नशा उतर जाता है। बवासीर में आराम होता है। इसके पत्तों को पीस कर लुगदी बना कर बच्चों की गुदा के मुख पर रख कर बांधने से उनकी गुदाभ्रंश यानी कांच निकलने का रोग भी ठीक होता है। बच्चों को पतले दस्त बार-बार आते हों तो इसके कोमल व ताजे पत्तों व जड़ की छाल को उबाल कर काढ़ा बना कर 2-2 चम्मच सुबह-शाम पिलाने से पुराना अतिसार ठीक होता है। इसके पत्तों का काढ़ा बना कर पिलाने से उल्टी व दस्त होना बंद होता है। 

अमरूद का साबुत बीज आंत्र-पुच्छ (एपेन्डिक्स) में यदि चला जाए तो फिर बाहर नहीं निकल पाता जिससे प्राय: अपेन्डिसाइटिस होने की संभावना बन जाती है। इसलिए अमरूद खाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि इसके बीज ठीक से चबाए बिना पेट में न जाएं। इन्हें खूब अच्छी तरह चबा कर ही खाएं या इन्हें अलग करके सिर्फ गूदा ही खाएं। 

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