आज की तेज रफ्तार और आपा-धापी भरी जिंदगी में वक्त पर खाना खा पाना भी मुमकिन नहीं रहा, आप काम में इतनी व्यस्त हैं कि अक्सर आपको लंच लेने की फुर्सत भी नहीं मिलती, ऐसी हालत में आप एक-दो बिस्कुट और एक कप चाय या कॉफी से काम चला लेती हैं, पर नतीजा? दोपहर बीतते-बीतते आपके सिर में दर्द होने लगता है, पर आप उसे नजर अंदाज करके नजदीक के किसी रेस्तरां में बैठी अपनी सहेली से मिलने चल देती हैं, वहां पहुंच कर आपको चक्कर सा आने लगता है, आपको कमजोरी महसूस होती है, अपने आप पर काबू रख कर आप संतरे के जूस का एक-दो घूंट पीती हैं, इसके बाद पूरा ग्लास पी जाती हैं आपकों थोड़ा बेहतर महसूस होता है। ब्रेड की एक दो स्लाइसें लेने के बाद आप नॉर्मल हो जाती हैं, आपको और बेहतर महसूस होता है, 15 मिनट के अंदर आपका सिरदर्द गायब हो जाता है, ऐसा एक या दो बार नहीं होता, सालों-साल चलता रहता है, आप अपने डॉक्टर के पास जाती हैं, वह आपकी जांच करके सब कुछ नॉर्मल बता देता है और आप खुश हो जाती हैं, पर आपकी तकलीफ बनी रहती है। 

आपको पता नहीं चल पाता कि आपकी इस तकलीफ की वजह आपके रक्त में पर्याप्त शक्कर का न होना है, इसे ‘हाइपोग्लीसेमिया’ कहते हैं, यह महिलाओं की आम बीमारी है, जिसका पता उन्हें अक्सर नहीं होता।

मीठी चीजें ज्यादा न खाएं

खून में शक्कर की कमी हो तो यह कमी पूरी करने के लिए आप निश्चित ही मीठी चीजें खाना चाहेंगी, पर भूलकर भी ऐसा न करें। मीठी चीजें बहुत जल्द ही रक्तवाहिनियों में अवशोषित हो जाती हैं। नतीजतन हमारा शरीर रक्त में इंसुलिन अधिक छोड़ता है। इंसुलिन रक्त में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करता है, शक्कर की मात्रा जितनी अधिक होगी, उसे नियंत्रित करने के लिए उतने ही अधिक इंसुलिन की आवश्यकता होगी और एक समय ऐसा आएगा, जब इंसुलिन की मात्रा इतनी कम हो जाएगी कि रक्त में बढ़ी हुई शक्कर की मात्रा को आप नियंत्रित नहीं कर सकेंगी, ऐसे में आप मधुमेह की शिकार हो सकती हैं। सबसे अच्छा उपाय यह है कि आप शक्कर की कमी को गेहूं के आटे की रोटी अनाज, फल और तरकारियों को खाकर पूरी करें।

रक्त में मिली शक्कर शरीर में क्या काम करती है?

हमारे शरीर को रक्त में घुली शक्कर की उसी तरह जरूरत होती है, जैसे कार को पेट्रोल की। हमारे भोजन में शामिल शक्कर और स्टार्च विघटित होकर ग्लूकोज में रूपांतरित हो जाती है, इसके बाद वह रक्तवाहिनियों द्वारा लीवर में ले जाई जाती है। लीवर रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है तथा लीवर यह काम इंसुलिन नामक हार्मोन के निर्देशन से करता है, शर्करा की कुछ मात्रा ग्लाइकोजन के रूप में लीवर में जमा हो जाती है और शेष वसा के रूप में रूपांतरित होकर पूरे शरीर में जमा हो जाती है, रक्त-प्रवाह द्वारा शर्करा मस्तिष्क में पहुंचती है और मस्तिष्क उसका उपयोग शरीर के रोजमर्रा के कामों के लिए करता है।

रक्त में शक्कर की कमी के क्या लक्षण हैं?

यदि आपने कई घंटों तक कुछ नहीं खाया है, तो शरीर के लिए जरूरी शक्कर की पूर्ति लीवर में जमा ग्लाईकोजन से होती है, यदि आप खाना न खाना अधिक समय तक जारी रखती हैं, तो आपके लीवर में जमा ग्लाईकोजन कम हो जाता है, इसके कारण एड्रेनेलिन का स्राव होता है, जिससे हाइपोग्लीसेमिया की तकलीफें शुरू हो जाती हैं। पसीना, कंपकंपाहट, सिर भारी हो जाना, चक्कर और दिल की धड़कन का बढ़ जाना, हताशा, दर्द, एकाग्रता और याददाश्त में कमी भी रक्त में शक्कर की कमी के ही संकेत हैं। रक्त में शक्कर की कमी का प्रथम लक्षण हैं- सुबह थकान महसूस होना, जो दोपहर तक कम हो जाती है।

अन्य कारण

कठिन परिश्रम से भी रक्त में शक्कर की कमी हो जाती है और उसके कारण हाइपोग्लीसेमिया में होने वाली तकलीफें आपको भी हो सकती हैं। हाइपोग्लीइसेमिया का हमला होने पर वसा-कोशों से थोड़ी ऊर्जा आपको मिल सकती है, पर इससे आपका वजन कम हो जाएगा, ऐसा नहीं है, क्योंकि जैसे ही आप खाना खा लेंगे वसा-कोश फिर से बन जाएंगे। खाली पेट शराब पीने से भी रक्त में शक्कर की मात्रा कम हो जाती हैं और लीवर जब शराब को पचाने लगता है तो रक्त की शक्कर को नियत्रिंत करने की उसकी क्षमता कम हो जाती है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि हाइपोग्लीसेमिया के लक्षण शारीरिक न होकर मनोवैज्ञानिक हो सकते हैं, जो कुछ तनाव, चिंता और हताशा के कारण प्रकट होते हैं।

कितनी खतरनाक है रक्त में शक्कर की कमी?

रक्त में शक्कर की कमी से कमजोरी और घबराहट महसूस होती है, पर यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है। हाइपोग्लीसेमिया का एक दूसरा रूप रियेक्टिव या पोस्टप्रैन्डियल हाइपोग्लीसेमिया है, जो गंभीर समस्या है, पर यह बहुत कम मामलों में होता है। इसमें खाना खाने के बाद बहुत अधिक मात्रा में शक्कर उत्पन्न होती है तथा इसके परिणामस्वरूप भारी मात्रा में इंसुलिन पैदा हो जाता है जो रक्त में शक्कर की मात्रा कम कर देती है।

इसके कारण बच्चों में अतिसक्रियता आ सकती है और उनका व्यवहार आक्रामक हो सकता है, ऐसा माना जाता है कि शक्कर युक्त और कार्बोहाइड्रेट से युक्त खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से अपराधवृत्ति बढ़ती है।

रक्त में शक्कर की कमी का पीएमएस से संबंध?

कुछ महिलाओं को मासिक स्राव के पहले हाइपोग्लीसेमिया की तकलीऌफें महसूस होती है या बढ़ जाती है। यदि वे नियमित रूप से खाना नहीं खाती हैं तो उन्हें पीड़ा, भावनात्मक असंतुलन घबराहट, चिंता तथा आधाशीशी आदि तकलीफें भी हो सकती हैं। ये तकलीफें एड्रेनलीन पैदा होने के कारण होती हैं लेकिन यह रियेक्टिव हाइपोग्लीसेमिया से अलग होती है, क्योंकि इसमें रक्त में शक्कर की मात्रा कम नहीं होती बल्कि वह सामान्य रहती है। दरअसल होता यह है कि मासिक स्राव के पहले हार्मोनों के कम-ज्यादा होने के कारण शक्कर सहन करने की शरीर की क्षमता में अंतर आ जाता है, जिसके कारण एड्रेनलीन की मात्रा बढ़ जाती है। इसके लिए रक्त में शक्कर का स्तर बहुत नीचे जाना जरूरी नहीं है, इसलिए मासिक स्राव के समय आप 5 घंटे तक बिना कुछ खाए रह सकती हैं, इसका असर आप पर नहीं हो सकता, लेकिन यदि आप मासिक स्राव के पहले ऐसा करती हैं तो हाइपोग्लीसेमिया की तमाम तकलीफें आपको हो सकती है।

क्या रक्त में शक्कर की कमी मधुमेह का संकेत है?

कुछ मामलों में हाईपोग्लीसेमिया मधुमेह का संकेत हो सकती हैं, पर आमतौर पर मधुमेह का लक्षण रक्त में शक्कर की अधिकता ही हैं, मधुमेह के रोगी के रक्त में ग्लूकोज शर्करा की मात्रा दो-तीन घंटे में कम होकर अपने पहले के स्तर पर आ जाती है। शरीर में आवश्यक मात्रा बनाए रखने के लिए कृत्रिम रूप से इंसुलिन देने की जरूरत होती है। रक्त में शक्कर की मात्रा अधिक होने से मधुमेह की रोगी महिलाओं को फंगल फफूंदी और जीवाणु का संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है, इसका कारण यह है कि शक्कर से सूक्ष्म जीवाणुओं को फलने-फूलने का अच्छा अवसर मिल जाता है।

रक्त में शक्कर की कमी न हो, इसके लिए क्या करें?

  • थोड़ा-थोड़ा करके दिन में कई बार खाएं, दोपहर और रात के खाने के अलावा सुबह-शाम स्वास्थ्यवर्द्धक नाश्ता जरूर लें।
  • ऐसी चीजें खाएं, जिनमें कुदरती तौर पर शक्कर हो, मसलन-सूखे और ताजे फल, कड़े-छिलके के फल और अनाज।
  • धीरे-धीरे और आनंद लेकर खाएं।
  • बाहर जाएं तो पौष्टिïक नाश्ता साथ में लेकर जाएं।
  • क्रोमियम इसकी कमी से रक्त में शक्कर की मात्रा कम हो जाती है, मैग्नीशियम और विटामिन बी विटामिन सी युक्त आहार लें या फिर इनकी गोलियां लें।
  • व्यायाम करें, हफ्ते में चार बार इतना व्यायाम से शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है, जिससे रक्त में शक्कर की मात्रा नियंत्रित रहती है। 
  • अपना वजन सामान्य रखें, आपका वजन आपकी ऊंचाई के अनुपात में होना चाहिए, वजन ज्यादा होने पर रक्त में शक्कर की मात्रा का नियंत्रण कम हो जाता है।
  • बीड़ी-सिगरेट पीना छोड़ दें, धूम्रपान से इंसुलिन अधिक उत्पन्न होता है।
  • शराब पीना बंद कर दें, इससे रक्त में शक्कर की मात्रा बहुत कम हो जाती है। 

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