breast cancer awareness is prevention
breast cancer awareness is prevention

ब्रेस्ट अथवा स्तन स्त्री के व्यक्तित्व को संपूर्णता प्रदान करने के साथ-साथ मातृत्व का अहसास भी कराता है। लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ महिलाओं के लिए यही अंग मुसीबत का सबब भी बन जाता है। जागरूकता के आभाव में बहुत सी महिलाओं की मौत ब्रेस्ट कैंसर की वजह से हो जाती है। एक रिसर्च के अनुसार बीते कुछ वर्षो में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पाया गया है कि भारत में 1 लाख महिलाओं में से 13 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त हैं। एक्शन कैंसर हॉस्पिटल, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, वरिष्ठ सलाहकार, जे.बी. शर्मा के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर का पता जितनी जल्दी लगा लिया जाता है, मरीज के बचने के चांस उतने ही बढ़ जाते हैं।

 

सामान्य लक्षण

डा जे.बी. शर्मा बताते हैं कि दुर्भाग्यवश, ब्रेस्ट कैंसर के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। इसलिए व्यक्ति को नियमित मैमोग्राफी और स्वत: ब्रेस्ट परीक्षण करने की सलाह दी जाती है। घर पर भी कुछ लक्षणों को पहचानकर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

 

ब्रेस्ट में गांठ होना : 

अधिकांश महिलाओं को उनके ब्रेस्ट में गांठ महसूस होती हैं। अमूमन, ब्रेस्ट ऊतक थोड़े गंठीले होते हैं। अधिकतर मामलों में, ऐसी गांठ होना चिंता का कारण नहीं होती। यदि गांठ कठोर लगे अथवा शेष ब्रेस्ट (अथवा दूसरी ब्रेस्ट) की तुलना में कुछ अलग प्रतीत हो, अथवा उसमें कुछ बदलाव नजर आए तो यह लक्षण चिंता का विषय हो सकते हैं। ऐसे लक्षण सामने आने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये।

 

निप्पल  में परिवर्तन :

 निप्पल से फ्लूड का निकलना परेशानी का कारण बन सकता है, लेकिन यह कैंसर की ओर कम ही संकेत करता है। यदि निप्पल से बिना दबाये ही डिस्चार्ज होता है अथवा सिर्फ एक ब्रेस्ट से ही ऐसा हो रहा है और यह दूधिया होने के बजाय लाल और अस्पष्ट है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिये तथा तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये।

ब्रेस्ट की त्वचा में बदलाव :

कभी-कभार ब्रेस्ट की त्वचा गड्ढेदार हो जाती है अथवा इसमें कुछ सिकुडऩ आ जाती है। इसमें लालिमा, सूजन हो और यह अधिक गर्म लगें तो यह लक्षण भी ब्रेस्ट कैंसर के हो सकते हैं।

बांह के नीचे लिम्फ नोड : 

कुछ मामलों में, ब्रेस्ट कैंसर बांह के नीचे अथवा कॉलर बोन के पास लिम्फ नोड तक फैल जाता है। इससे उस स्थान पर गांठ अथवा सूजन हो जाती है। कई बार यह ब्रेस्ट टिश्यू में होने वाले असली ट्यूमर होने से पहले महसूस होने लगती है। इस तरह के कई मामलों में गांठ में दर्द नहीं होता। इसलिए, सलाह दी जाती है कि इन गांठों को नजरअंदाज न किया जाये।

पीठ में दर्द : 

हालांकि, यह ब्रेस्ट कैंसर के आम लक्षणों में शामिल नहीं है लेकिन कभी-कभार ब्रेस्ट कैंसर में पीठ में भी काफी दर्द होता है। ऐसा तब होता है, जब ब्रेस्ट ट्यूमर पीछे छाती की तरफ बढ़ता है अथवा कैंसर रीढ़ अथवा पसलियो में फैलता है।

सामान्यत: 

आम लक्षणों को नरजअंदाज नहीं किया जाना चाहिये, लेकिन यह भी सच है कि प्रतिवर्ष पता चलने वाले ब्रेस्ट कैंसर के हजारों मामलों में कोई गांठ नहीं पाई गई है।

परीक्षण

25 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को महीने में एक बार ब्रेस्ट के स्वत:परीक्षण की सलाह दी जाती है। जबकि 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को प्रतिवर्ष नियमित अंतराल पर मैमोग्राफी करानी चाहिये। यदि डॉक्टर को कैंसर का संदेह होता है तो अल्ट्रासाउंड कराये जाने की सलाह दी जाती है।

जागरुकता 

ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े उच्च जोखिम वाले घटकों को ध्यान में रखते हुए इस बीमारी के प्रति जागरुकता पैदा करनी चाहिए, जोकि इस बीमारी को और बढ़ावा दे सकते हैं। इन घटकों में शामिल हैं-

उम्र : 

इस बात की आशंका अधिक होती है कि 45 वर्ष की उम्र में 8 महिलाओं में से एक ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त हो। वहीं, 55 वर्ष से अधिक उम्र की 3 महिलाओं में से 2 को ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम अधिक हो।

जीवनशैली : 

अत्यधिक मोटापा, शराब और तंबाकू का नियमित सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर होने के अवसर बढ़ जाते हैं।

संतानहीन रहने पर : 

जो महिलाएं सन्तान पैदा करने में अक्षम हैं, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है।

आनुवांशिक कारक : 

सर्वविदित है कि 5-10 प्रतिशत लोग, जिनके परिवार में किसी दूसरे व्यक्ति को कैंसर हो चुका है, उन्हें भी इस बीमारी का खतरा अधिक होता है।

 

उपचार विकल्प

ब्रेस्ट कैंसर के लिए उपचार में निम्नलिखित पद्धतियां शामिल हैं-

रेडियोथेरैपी :

 इस उपचार में हानिकारक कोशिकाओं को नियंत्रित करने अथवा खत्म करने के लिए आयनाइजिंग रेडिएशन का उपयोग किया जाता है। रेडियोथेरैपी में 1.5 महीने (5 सप्ताह) का समय लगता है और इस पर लगभग 1 लाख रुपये का खर्च आता है।

कीमोथेरैपी : 

कीमोथेरैपी कैंसर उपचार की एक श्रेणी है जिसमें रासायनिक तत्वों का प्रयोग किया जाता है। इसमें कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए एक या अधिक एंटी-कैंसर दवाओं का इस्तेमाल होता है। यह शरीर के किसी अन्य हिस्से में फैली कैंसरकारी कोशिकाओं को खत्म करने में भी उपयोगी है। कीमोथेरैपी 3-4 महीनों के लिए दी जाती है और इसमें 1-2 लाख रुपये का खर्च आता है।

सर्जरी :

सर्जरी के जरिये शरीर से कैंसरकारी ऊतकों को हटा दिया जाता है। इसमें मरीज को सर्जरी के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होने में 15 दिन लगते हैं। शल्य चिकित्सा प्रक्रिया में लगभग 60-70 हजार रुपये खर्च होते हैं। उपचार के साथ कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं जो धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं। हालांकि ऐसे साइड इफेक्ट्स   को नियंत्रित करने के लिए दवाएं हैं।

 

घरेलू उपचार

घरेलू उपचार से स्वास्थ्य लाभ में आश्चर्यजनक फायदे होते हैं और बीमारी की रोकथाम में भी मदद मिलती है। 

 

हल्दी (टर्मरिक)

 हल्दी एक गुणकारी मसाला है जो स्त्रियों में स्तन कैंसर के खतरे को कम करती है। हल्दी में मौजूद कक्र्युमिन नामक तत्व स्तन कैंसर जैसे हॉर्मोन के कारण बनने वाले ट्युमरों को रोकती या विलंबित करती है।

 

विटामिन डी

आहार के पूरक के रूप में रोजाना विटामिन डी के सेवन से सामान्य और विशेषकर आनुवांशिक रूप से संवेदनशील स्त्रियों में स्तन कैंसर की रोकथाम में मदद मिल सकती है।

 

लहसुन (गार्लिक)

लहसुन में कुदरती रूप से कैंसर से लडऩे वाले कुछ तत्व मौजूद होते हैं। इससे स्तन कैंसर ठीक भले न हो, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए यह कारगर हो सकता है। लहसुन एक शानदार घरेलू उपचार है और भोजन में इसे शामिल करना स्वास्थ्य के लिए सबसे बढिय़ा होगा।

 

नीलबदरी (ब्लूबेरी)

 ब्लूबेरी में मौजूद ऐंटीऑक्सीडेंट रंगकण स्तन कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि कम करने में सहायक होते हैं। अलसी के बीज या तीसी (फ्लैक्स सीड) ओमेगा-3 तेल, ऐंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों के गुणों से भरपूर होने के कारण भोजन के साथ इसे लेना स्वास्थ्यकर होता है। अलसी के बीजों से स्तन कैंसर की कोशिकाओं का विकास कम हो सकता है।

एक्यूपंक्चर

स्तन कैंसर की उपचार प्रक्रिया में एक्यूपंक्चर को शामिल करने से न केवल साइड इफेक्ट्स को नियंत्रित करने बल्कि इन्हें रोकने में भी मदद मिलती है।