दिन के अधिकतर समय बैठे रहने की जीवनशैली के अलावा मानसिक तनाव, अपर्याप्त नींद इन महामारियों के मुख्य कारण हैं और इसी वजह से नमक व चीनी की खपत भी बढ़ रही है। यह भी कह सकते हैं कि “चीनी एक तरह की नई तंबाकू है”। चीनी के अधिक सेवन के कारण ये विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं:

1. मधुमेह यानी डायबिटीज़

दरअसल चीनी से मधुमेह नहीं होता, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इनका कोई संबंध नहीं। दरअसल, शरीर में पहुंचने वाली चीनी, मीठे पेय व मधुमेह के बीच कड़ी दर कड़ी संबंध होता है| चीनी से मोटापा आता है, जो मधुमेह के जोखिम का कारक है। मोटापे के कारण शरीर में कई प्रकार के मेटाबोलिक व हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिनसे इंसुलिन का प्रतिरोध बढ़ जाता है और पेंक्रियाटिक सेल्स निष्फल होने लगते हैं। अंततया स्थिति ऐसी आ जाती है, जिससे रक्त-शर्करा को नियंत्रित करने के लिए, जितना इंसुलिन शरीर में चाहिए, उत्पादन उससे कम होने लगता है|

2. हृदय बीमारी व आघात

जो लोग अतिरिक्त चीनी व चीनी के उत्पादों का सेवन करते हैं, वे उच्च ट्रायग्लिसरॉयड व कम एचडीएल कोलेस्टेरॉल की शिकायत हो सकती है। एचडीएल अच्छा कोलेस्टेरॉल है, जो आपको हृदयाघात से रक्षा करता  है| उच्च ट्रायग्लिसरॉयड व कम एचडीएल का यह संयोजन ह्रदयाघात व हमलों की जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है|

3. यकृत की बीमारी

जब हम फ्रुक्टोस खाते हैं, तब वह यकृत में जाता है| यदि लीवर-ग्लायकोन कम है, जैसे कि दौड़ के बाद, तब फ्रुक्टोस उसकी पूर्ति के लिए उपयोग में आ जाता है| अधिकाँश व्यक्ति लंबे परिश्रम के बाद यदि फ्रुक्टोस नहीं ले रहे हैं तब उनके लिवर ग्लायकोन से भर जाते हैं| ऐसे में लिवर फ्रुक्टोस को चर्बी में बदल देता है| कुछ चर्बी शरीर से बाहर निकल जाती है, लेकिन कुछ भाग लिवर में ही रह जाता है| समय के साथ यह चरबी बढ़ती जाती है और अंत में उससे गैर-अल्कोहलिक चर्बी लिवर रोग [एनएएफएलडी] हो जाता है| यह एनएएफएलडी यकृत सिरोसिस व यकृत कैंसर में भी बदल सकता है|

4. कैंसर

आजकल पूरे विश्व में कैंसर मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है जिसकी पहचान अनियांत्रित वृद्धि व सेल्स की बहुतायत है| ऐसी वृद्धि के नियमन के लिए इंसुलिन महत्वपूर्ण हार्मोन्स है| इसलिए वैज्ञानिक मानते हैं कि इंसुलिन के स्तर के बढ़ने से [चीनी की खपत के कारण] कैसर को बढ़ावा मिलता है| इसके अतिरिक्त चीनी के सेवन के साथ संबद्ध मेटाबॉलिक समस्याओं को जलन का चालक माना जाता, जो कैंसर होने का दूसरा संभवित कारण होता है| कई अध्ययन दर्शाते हैं कि वे लोग जो बहुत अधिक चीनी खाते है, उनमें कैंसर के विकसित होने का रुझान अधिक रहता है|

5. दांतों की समस्याएं

 

 

 

 

 

अतिरिक्त चीनी में अत्यधिक केलोरीज़ होती हैं, और आवश्यक पोषक नहीं होते हैं| इस वजह से उन्हें “रिक्त” केलोरीज़ कहते हैं| चीनी में कोई प्रोटीन, आवश्यक चर्बी, विटेमिंस या खनिज नहीं होते हैं …. मात्र शुद्ध ऊर्जा होती है| जब लोग चीनी के रूप में 10-20% केलोरीज की खपत कर लेते हैं, तब वह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन जाती है और इस वजह से पोषण की कमी में योगदान मिलता है| दांतों के लिए चीनी बहुत खराब होती हैं, क्योंकि यह खराब बैक्टेरिया को आसानी से पचने वाली ऊर्जा मुंह में उपलब्ध कराती है|

6. बच्चों में अतिसक्रियता

कहा जाता है कि चीनी बच्चों में अतिशय सक्रियता की दोषी है| कुछ बच्चे ज्यादा चीनी खाने की वजह से अति सक्रिय रहते हैं| जब उन्हें चीनी मिल जाती है, जब वे वास्तव में उद्दंड हो जाते हैं| लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है| इस पर जो साहित्य उपलब्ध है, उसके तथ्यों का कोई आधार नहीं है।

7. चीनी की लत

बहुत से लोगों को चीनी की लत हो सकती है। दुष्प्रयुक्त ड्रग्स की तरह, मस्तिष्क के प्रतिफल केन्द्र में चीनी डोपामाईन जारी करती है| इससे लोगों में तृप्ति में कमी आती है और तब लोगों को इसकी लत लग जाती है, जिससे उनका खुद पर से नियंत्रण छूट जाता है। इसमें आश्चर्य नहीं है कि जो लोग अधिक चीनी का सेवन करते हैं, उनके वजन बढ़ने की आशंका अधिक होती है। यह बात उम्र के सभी समूहों पर लागू होती है।

8. अन्य मनोवैज्ञानिक व याददाश्त समस्याएं

चीनी का लेप्टिन प्रतिरोध में भी योगदान रहता है, जो वजन बढ़ने, लालसा व नींद की परेशानी आदि के लिए जावाब्देह है। यहाँ तक कि चीनी के अधिक सेवन से याददाश्त की समस्याएँ भी संबद्ध हैं।

अब हम जानते हैं कि चीनी बहुत खतरनाक है, जानें कि इसकी लत से छुटकारा कैसे प्राप्त किया जाए-

  • इस लत से छुटकारे के लिए स्वयं प्रतिबद्ध रहें।
  • चीनी के सभी प्रकारों को रोकें: रिफाइंड आटे, कृत्रिम मिठास, प्री-पैकेज्ड आहार।
  • चीनी से समृद्ध पेयों को पीना बंद करें।
  • प्रत्येक भोजन में प्रोटीन मिलाएं।
  • यदि आप कार्बोहाईड्रेट्स खा रहे हैं, तो गैर-स्टार्ची सब्जियां खाएं।
  • अपने तनाव का प्रबंधन करें।
  • अच्छी निद्रा लें।