Overview:क्या आप जरदोजी और जरी के बीच का अंतर जानते हैं अगर नहीं, तो आइए बताते हैं
आपकी अलमारी में भी जारी और जरदोजी के कपड़े देखने को आराम से मिल जाते होंगे, परंतु क्या आपने कभी इन्हें गौर से देखा है।
Zari-Zardozi Difference: अपने अक्सर यह सुना होगा यह जरी वाली साड़ी बहुत ज्यादा सुंदर लग रही है और यह जरदोजी एंब्रायडरी वाला लहंगा तो और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा है। किंतु कढ़ाई देखकर आपके मुंह से कभी ना कभी यह बात जरूर निकली होगी। अलमारी में भी जरी और जरदोजी के कपड़े देखने को आराम से मिल जाते होंगे, परंतु क्या आपने कभी इन्हें गौर से देखा है। क्या आप इन दोनों के बीच का अंतर बता सकते हैं। अगर नहीं तो, आज के आर्टिकल में हम आपको जरी और जरदोजी के बीच का अंतर बताते हैं।
जरी का काम क्या होता है?

जरी सिलाई एक पारंपरिक शिल्प कला होती है, जिसे पीढ़ियों से बनाया जा रहा है। जरी के काम में पैटर्न बनाने के लिए मैटेलिक धागे और विभिन्न तकनीक का उपयोग किया जाता है और उसके जरिए इसके कपड़े तैयार किए जाते हैं। जरी सोने के लिए इस्तेमाल होने वाला फारसी शब्द होता है। सोने और चांदी के धागों का इस्तेमाल आमतौर पर जरी की कढ़ाई में उन की चमक बढ़ाने के लिए किया जाता है।
जरी जिसमें इन धागों का उपयोग जटिल डिजाइन बनाने के लिए भी किया जाता है। पारंपरिक भारतीय परिधान जैसे की साड़ी और लहंगे का यह अभिन्न पहलू माना जाता है। जरी कला एक समृद्ध इतिहास और विशिष्ट सुंदरता को दर्शाती है और कपड़ों में एक रॉयल्टी भी दिखाती है।
जरदोजी का काम क्या होता है?

जरदोजी एंब्रायडरी आज से ही नहीं बल्कि दशक से भारत में चलती आ रही है, और यह देश के पड़ोसी मुल्क के साथ भी एक विरासत साझा करती है। इसे ब्राइडल गाउन से लेकर डेकोरेटिव पिलो बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ईरानियन कार्पेट था, जिसने भारत में मुगल एरा में प्रवेश किया था।
इस डिजाइन और पर्शियन ओरिजन के कारण यह एक स्टेटस सिंबल बनाती है। इसमें काफी पैटर्न को सुई और धागा से तैयार किया जाता है। इसमें आमतौर पर गोल्ड और सिल्वर का ही काम होता है, क्योंकि किसी भी कपड़े को शाही सुंदर बनाने के लिए इसी तरह का काम होता है। जरदोजी सिलाई का एक बेहतरीन नीडलवर्क तकनीकों में से एक माना जाता है।
क्या है जरी और जरदोजी का इतिहास?

जरी का काम भारत में मुगल के बाद से ही किया जा रहा है। जरी एक ऐसी तकनीक है जिसमें ऑरनेट पैटर्न बनाने के लिए कपड़ों को सोने या चांदी के धागों से गूंथकर बनाया जाता है। फैशन का सामान घरेलू सामान और यहां तक कि पवित्र कलाकृतियां भी इस तरह की कढ़ाई की तकनीक से सजाया जाता है।
जरी कढ़ाई डिजाइन बनाते समय मैटेलिक धागे का ही इस्तेमाल किया जाता है। इन धागों को कपड़े में बुनने के लिए एक आरी या टुंबर हुक्क का उपयोग किया जाता है।
जरदोजी ईरान में सनैनियन साम्राज्य से है और उसके बाद भारत में भी इसने अपने पैर पसारे हैं। अलंकृत और शानदार पैटर्न बनाने के लिए इस प्रकार की सुई का काम इसमें किया जाता है। जरदोजी प्रतिष्ठा और रॉयल्टी का प्रतीक माना जाता है और अक्सर शाही वस्त्र को सजाने के लिए ही इसका इस्तेमाल किया जाता था।

यह कशीदाकारी बनाते हुए सुई और सोने चांदी के धागों का ही उपयोग किया जाता है। उभरा हुआ रूप प्राप्त करने के लिए कढ़ाई करने वाले एक विशिष्ट पैटर्न में कपड़ों की सिलाई होती है। जरी कढ़ाई की तुलना में इसमें सुई का काम अधिक समय में होता है।
इसी के साथ दोनों में कॉस्ट का भी बड़ा अंतर होता है। अब बताइए इससे पहले इन दोनों पढ़ाई के बारे में आपको क्या पता था और क्या नहीं पता था।
