रैंप पर उतरने वाला फैशन या सेलिब्रिटी जो पहनते हैं, वो अक्सर ट्रेंड बन जाता है। फैशन को लेकर अधिकतर महिलाओं की यही धारणा होती है कि जो सैलेब्स पहनते हैं या जो उन पर अच्छा लगता है, वही फैशन अपनाकर वो भी ग्लैमरस नजर आ सकती हैं। महिलाओं का फैशन को लेकर ऐसा जुनून और ग्लैमर वलर्ड
की चकाचौंध के प्रति आकर्षण को देखकर आजकल बाजार में रैप्लिका कलेक्शन यानी डिजाइनर कलेक्शन की कॉपी ज्यादा मिलने लगी है, जिसकी वजह से अब डिजाइनर कलेक्शन के नाम पर अक्सर महिलाएं ठगी जाने भी लगी हैं। ऐसा ही कुछ महीनों पहले मेरे साथ भी हुआ।समय की कमी के चलते आजकल मैं भी ऑनलाइन शॉपिंग ज्यादा करने लगी हूं। इंडिया रश नाम की ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर मैंने काजोल को व्हाइट और ब्लैक कलर की एक डिजाइनर साड़ी पहने देखा, जो उस साइट में 4000 रुपये में मिल रही थी। मुझे काफी पसंद आई और उसे देखकर मैंने भी कर दिया, लेकिन जब साड़ी का कोरियर मुझे मिला और मैंने खोलकर देखा तो वो साड़ी काजोल वाली साड़ी से काफी अलग थी। उसके फैब्रिक की क्वालिटी और वर्क भी वैसा नहीं था, जैसा ऑनलाइन दिखाया गया था। रिटर्न करने के लिए मैंने कई बार फोन किया पर कोई रिसपॉन्स नहीं मिला।
रैप्लिका कलेक्शन को लेकर तो मेरे अनुभव खराब ही रहे हैं। पिछले दिनों मैट्रो में मेरी मुलाकात एक लड़की से हुई। लंबा सफर था तो हमारी शॉपिंग को लेकर आपस में बातचीत शुरू हो गई। उसने ऑनलाइन शॉपिंग का अपना अनुभव शेयर करते हुए मुझे बताया कि टीवी के नापतौल चैनल पर देखकर उसने 4 पैडेंट के सैट का कॉम्बो ऑर्डर किया था, जिसकी पॉलिश एक महीने में ही उतरने लगी और थोड़े दिनों में ही टूट भी गया। जब वापसी के लिए फोन किया तो कहा गया कि हमारी तरफ से कोरियर ब्वॉय आएगा और एक्सचेंज करके दूसरा दे जाएगा। तब से 4 महीने हो गए हैं, अभी तक उनकी तरफ से कोई नहीं आया। जब भी फोन करती हूं तो मुझे यही जवाब मिलता है कि हो जाएगा। हमारे जैसे और भी कई लोग हैं जो कम कीमत और डिजाइनर कलेक्शन के जाल में फंस जाते हैं। इसीलिए आजकल बुटिक से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक सभी के पास डिजाइनर कलेक्शन की कॉपी मिलने लगी है। आजकल डिजाइनर्स कलेक्शन की जो कॉपी मिल रही हैं, उनमें से कुछ ही कलेक्शन कीमत के हिसाब से सही निकलते हैं। अधिकतर कपड़े तो खराब ही निकलते हैं। लोग अक्सर डिजाइनर कलेक्शन और कम कीमत लालच में आकर ठगी के जाल में फंस जाते हैं।

इस बारे में वेडिंग एशिया के दौरान मेरी बात फैशन डिजाइनर आदित्य खंडेलवाल से हुई तो उन्होंने बताया कि कि डिजाइनर कलेक्शंस के रैप्लिका का बाजार काफी बड़ा है। खास बात यह है कि इसे फैले हुए कई साल हो गए हैं लेकिन अब तक अधिकतर महिलाओं को डिजाइनर कलेक्शन और रैप्लिका कलेक्शन में फर्क नहीं पता है। उन्हें लगता है कि ऑनलाइन, वो भी डिजाइनर कलेक्शन इतना सस्ता मिल रहा है, कहीं खत्म न हो जाए, इसलिए बिना देर किये इसे तुरंत ले लेना चाहिए। देखा जाए तो डिजाइनर कलेक्शन और डिस्काउंट के नाम पर सस्ते में मिल रहे रैप्लिका कलेक्शन में काफी फर्क होता है। खासतौर पर फैब्रिक क्वालिटी, वर्क, डिजाइंस, पैटर्न और फिनिशिंग में। ऑनलाइन के अलावा आजकल बुटिक्स में भी डिजाइनर कलेक्शन की कॉपी मिल रही हैं। इन दोनों में फर्क की पहचान हो सकती है, उसके टैग और वर्क की फिनिशिंग से। रैप्लिका कलेक्शन में इस्तेमाल किए जाने वाले धागों की क्वालिटी और डिजाइन की फिनिशिंग देखकर समझ आ जाएगा कि यह रैप्लिका कलेक्शन है या असली डिजाइनर कलेक्शन। रैप्लिका कलेक्शन में अक्सर टैग में बारकोड नहीं होता है। ऑनलाइन शॉप पर अक्सर सेलिब्रिटीज़ को डिजाइनर कलेक्शन पहने ओरिजनल फोटो दिखाते हैं,लेकिन आपको मिलता है कुछ और ही, जो कहीं लिखा नहीं होता है। ऑनलाइन शॉपिंग हमेशा जाने-माने ब्रांड की वेबसाइट से ही करनी चाहिए। इसलिए कपड़े और फुटवियर की ऑनलाइन शॉपिंग की बजाए विंडो शॉपिंग ज्यादा सही रहती है। 

फोटो सौजन्य- नरगिस