Rajesh Khanna Aashirwad Bungalow
Rajesh Khanna Aashirwad Bungalow

Summary: राजेश खन्ना ऑफर सुनते ही गुस्से में आ गए

राजेश खन्ना ने रूमी जाफरी को जमकर फटकार लगाई और अपना बंगला नहीं बेचा...

Rajesh Khanna Aashirwad Bungalow: राजेश खन्ना को भारत का पहला सुपरस्टार कहा जाता है। कभी वे 17 सुपरहिट फिल्मों और असीमित फैन फॉलोइंग के साथ शिखर पर थे। जितनी तेजी से वह ऊपर गए, उतनी ही तेजी से नीचे भी आ गए। वक्त ऐसा भी आया जब ‘आराधना’ वाले ‘काका’ भारी कर्ज में डूब गए। उस वक्त खबरें उड़ने लगीं कि राजेश खन्ना अपना सबसे कीमती खजाना, कार्टर रोड वाला बंगला ‘आशीर्वाद’ बेचने वाले हैं। और इस बंगले को खरीदने की चाहत किसने जताई? सलमान खान के छोटे भाई सोहेल खान ने।

गौतम चिंतामणि की किताब ‘डार्क स्टार: द लोनलीनेस ऑफ बीइंग राजेश खन्ना’ में जिक्र है कि 2000 के शुरुआती सालों में राजेश खन्ना की जिंदगी में मुश्किलों के बादल मंडरा रहे थे। उन पर 1.5 करोड़ रुपए से ज्यादा टैक्स बकाया था। अफवाहें थी कि वह अब ‘आशीर्वाद’ बेच देंगे। काका का चेहरा भी परेशान नजर आता था, जिससे लोगों को ये खबर सच लगने लगी थी।

इसी दौरान लेखक और स्क्रिप्ट राइटर रूमी जाफरी को सलमान खान का फोन आया। सलमान ने कहा कि सोहेल खान ‘आशीर्वाद’ खरीदना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राजेश खन्ना चाहे जो भी कीमत मांगे, वे देंगे और टैक्स का सारा बकाया भी चुका देंगे। इसके अलावा सलमान ने राजेश खन्ना की प्रोडक्शन में मुफ्त में फिल्म करने की भी पेशकश की ताकि उनके हालात सुधर जाएं।रूमी जाफरी को लगा यह सभी के लिए परफेक्ट डील होगी। वह खुशी-खुशी यह बात लेकर काका के पास पहुंचे। लेकिन काका ने गहरी खामोशी के बाद कहा – “तू मेरा घर बिकवाना चाहता है… सड़क पर लाना चाहता है?”

रूमी ने जैसे-तैसे समझाया कि वह सिर्फ संदेशवाहक हैं, पर काका नाराज थे। उन्होंने कहा, “मैं एक दिन मर जाऊंगा, पर ‘आशीर्वाद’ हमेशा जिंदा रहेगा और जब तक ये घर है, दुनिया राजेश खन्ना को नहीं भूलेगी।” काका की नजर में उनका बंगला सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, उनकी पहचान था। वह अक्सर कहते थे, “राजा तो राजा होता है, चाहे गद्दी पर हो या निर्वासन में।” यह बंगला उनके लिए विरासत था, जिसे वह किसी भी हाल में नहीं खोना चाहते थे।

बाद में जब सोहेल खान एक बार काका से मिले और खुद को सलीम खान का बेटा बताया, तब भी काका ने उन्हें याद दिला दिया, “तूने रूमी को मेरे घर की बोली लगाने भेजा था?” यह किस्सा राजेश खन्ना की जिद, स्वाभिमान और अपने बंगले से उनके लगाव को बखूबी दिखाता है। बता दें कि कार्टर रोड पर जहां ‘आशीर्वाद’ था, वहां पहले पारसी और एंग्लो-इंडियन परिवार रहते थे। बाद में यह बंगला राजेंद्र कुमार ने खरीदा और अपनी बेटी डिंपल के नाम पर इसका नाम रखा। दिलचस्प बात यह रही कि राजेंद्र कुमार का करियर यहां आने के बाद चमका और उन्हें ‘जुबली कुमार’ कहा जाने लगा। लेकिन इसके बाद उनका करियर ढलान पर चला गया।

फिर यह बंगला 3.5 लाख रुपए में राजेश खन्ना ने खरीदा और इसका नाम बदलकर ‘आशीर्वाद’ रख दिया। लेकिन राजेंद्र कुमार की तरह, राजेश खन्ना की किस्मत भी कुछ समय बाद बदलने लगी। करियर ढलान पर गया और पैसों की तंगी ने उन्हें घेर लिया, लेकिन फिर भी उन्होंने यह बंगला कभी नहीं बेचा और आखिरी सांस तक यहीं रहे।

निर्माता जॉनी बक्शी ने बताया था कि कैसे एक बार काका अपने घर के सामने अरब सागर की लहरों को देखते हुए अखबार में ‘आशीर्वाद’ की नीलामी की खबर पढ़कर टूट चुके थे। तब उनके दोस्त विनय कुमार सिन्हा ने मदद की पेशकश की, और काका ने बस सिर हिलाकर कहा, “गल कर…” । 2012 में राजेश खन्ना का निधन हो गया और 2014 में एक उद्योगपति ने ‘आशीर्वाद’ खरीदकर उसे तोड़ दिया। इस बंगले के मलबे के साथ बॉलीवुड का एक सुनहरा युग भी खत्म हो गया।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...