Summary: राहुल बोस ने बताए बचपन के किस्से

अभिनेता राहुल बोस ने हाल ही में बताया कि कैसे उनकी परवरिश ने पारंपरिक जेंडर भूमिकाओं को चुनौती दी और उन्हें संवेदनशील व जागरूक इंसान बनाया। ‘तक्षक’ से लेकर ‘बर्लिन’ तक, उनके गहरे और विविध अभिनय ने उन्हें इंडस्ट्री में खास पहचान दिलाई है।

Rahul Bose Childhood: करीब तीन दशकों से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा रहे राहुल बोस अपने बेहतरीन व अलग तरह के किरदारों के लिए पहचाने जाते हैं। राहुल ने हाल ही में कई मुद्दों पर खुलकर बात की कि कैसे वह एक ऐसे घर में पले-बढ़े जहां उनके माता-पिता ने पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को चुनौती दी। उन्होंने बताया कि इस परवरिश ने उनकी सोच को किस तरह आकार दिया और उन्हें ज्यादा जागरूक और संवेदनशील बनाया।

राहुल ने बताया कि उनके माता-पिता आम तौर पर समाज में देखी जाने वाली जेंडर स्टीरियोटाइप्स के बिल्कुल उलट थे। वे अलग तरह की सोच रखते थे। जहां उनके पिता दिखावे और प्रेजेंटेशन पर ज्यादा ध्यान देते थे, वहीं उनकी मां करियर पर फोकस करती थीं और उन चीजों की जिम्मेदारी उठाती थीं जिन्हें आमतौर पर ‘मर्दाना’ काम माना जाता है। इसी बारे में बात करते हुए राहुल ने कहा:, “मैं तो ‘वोक’ (जागरूक) उस समय से था जब ये शब्द आया भी नहीं था, क्योंकि मेरी मां ने कभी खाना नहीं पकाया, मेरे पिता खाना बनाते थे। मेरी मां ने मुझे 5 साल तक रोज थप्पड़ मारे। मैं इतना निकम्मा था कि इससे मुझे ही मदद मिली। अभी तो आप ये कह नहीं सकते लेकिन सच में मैं उस समय इतना निकम्मा था कि अगर मेरे साथ ऐसा नहीं होता तो मैं शायद ऐसा ही रहता। मेरी मां ने मुझे रग्बी खेलने और बॉक्सिंग के लिए मजबूर किया।”

अपने पिता के बारे में बताते हुए राहुल ने मजेदार बात बताई। जब राहुल ने बॉक्सिंग जैसे रफ खेलों में दिलचस्पी दिखाई तो पिता का रिएक्शन देखने लायक था। राहुल ने कहा, “मैं स्कूल में बॉक्सिंग करता था और मेरे पिता को यह देखकर धक्का लगता था। वह चाहते थे कि मैं टोपी पहनूं ताकि धूप में ज्यादा काला न हो जाऊं। वह चाहते थे कि मैं क्रिकेट खेलूं और जेंटलमैन बनूं। वह मुझे रग्बी खेलते हुए देखते थे लेकिन जब मैदान में आते थे तो कभी मैदान की ओर नहीं देखते थे।” अपने माता-पिता की भूमिकाओं ने उन्हें जो व्यक्ति बनाया, उसके बारे में राहुल ने आगे कहा, “मैं उस पिता का प्रोडक्ट हूं जो पूछता था कि शादी में क्या पहनें और उस मां का जो पूछती थी कि अपने करियर के साथ क्या करूं। यह बिल्कुल उल्टा था।”

राहुल बोस को उनके अलग और महीन अभिनय के लिए जाना जाता है। उन्होंने ‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’, ‘आई एम’, ‘बुलबुल’, ‘कालपुरुष’ जैसी फिल्मों से पहचान बनाई है। वह हाल ही में फिल्म ‘बर्लिन’ में नजर आए थे। राहुल ने कई फिल्मों में नेगेटिव रोल भी किए। ‘तक्षक’ में उनका किरदार आज भी याद किया जाता है। अजय देवगन और तब्बू की यह फिल्म उनके बेहतरीन काम में गिनी जाती है।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...