Celebrity Death Premonition: सच में, कई बार कुछ घटनाएं इतनी रहस्यमयी होती हैं कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है। बॉलीवुड में भी कुछ ऐसे सेलेब्रिटीज़ रहे हैं जिन्हें ऐसा आभास हुआ था कि उनकी मौत निकट है।
आइए बात करते हैं कुछ ऐसे सितारों की जिनके व्यवहार या आखिरी शब्दों से लगा कि जैसे उन्हें अपनी मौत का पूर्वाभास हो गया था:
श्रीदेवी: एक रहस्य बनी बॉलीवुड की हवा हवाई गर्ल की मौत की कहानी
बॉलीवुड की पहली महिला सुपरस्टार और लाखों दिलों की धड़कन रही श्रीदेवी की मौत आज भी एक गहरी पहेली बनी हुई है। 24 फरवरी 2018 को दुबई के एक होटल के बाथटब में डूबकर हुई उनकी मौत को आधिकारिक तौर पर “एक्सीडेंटल ड्राउनिंग” बताया गया l
लेकिन इस कहानी के पीछे कई ऐसे सवाल और घटनाएं हैं जो इसे सिर्फ एक हादसा नहीं बनने देते। सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि बोनी कपूर, जो पहले श्रीदेवी को दुबई में अकेला छोड़ मुंबई लौट आए थे, आखिर अचानक दोबारा दुबई क्यों पहुंचे?
क्या यह वाकई सिर्फ एक ‘सरप्राइज़ विज़िट’ थी, या इसके पीछे कुछ और था? इसके बाद, दुबई सरकार द्वारा जारी किया गया डेथ सर्टिफिकेट पहले ‘हार्ट अटैक’ की बात करता है, फिर अचानक उसमें बदलाव कर ‘ड्राउनिंग’ बताया जाता है।
क्या यह एक चूक थी या जानबूझकर सच्चाई को छिपाने की कोशिश? एक और चौंकाने वाली बात यह थी कि श्रीदेवी का पोस्टमॉर्टम दुबई में ही करवाया गया, न कि भारत लौटने के बाद।
यह कदम कई लोगों को अजीब और संदिग्ध लगा, क्योंकि दुबई में नियम सख्त होते हैं और वहां की जांच-पड़ताल से कई छिपे हुए राज़ बाहर आ सकते थे।
वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और करीबी सूत्रों के मुताबिक, श्रीदेवी अपनी मौत से कुछ समय पहले से ही बेहद बेचैन और असुरक्षित महसूस कर रही थीं।

उन्होंने कई बार अपने करीबियों से कहा था कि उन्हें अपनी जान को खतरा महसूस हो रहा है और ऐसा लगता है जैसे कुछ गलत होने वाला है। दुबई में भी वो बार-बार यही कहती रहीं कि उनका अंत निकट है।
उनकी अचानक और रहस्यमयी मौत, बोनी कपूर की टाइमिंग, पोस्टमॉर्टम की लोकेशन और श्रीदेवी की भविष्यवाणियों जैसी बातें एक साथ मिलकर एक ऐसा रहस्य रचती हैं, जिसे आज भी पूरी तरह सुलझाया नहीं जा सका है।
क्या यह सिर्फ एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा था या कुछ और? जवाब शायद समय के साथ कहीं खो गया, लेकिन सवाल आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं।
सुशांत सिंह राजपूत: एक चमकता सितारा, जिसकी मौत अब भी रहस्य बनी हुई है
सुशांत सिंह राजपूत की मौत 14 जून 2020 को हुई, लेकिन यह सिर्फ एक हादसा नहीं था—यह एक ऐसा झटका था जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
आधिकारिक रूप से इसे आत्महत्या बताया गया, लेकिन जो लोग सुशांत को निजी तौर पर जानते थे, वे आज भी इस थ्योरी को मानने को तैयार नहीं हैं।
सुशांत ना केवल एक बेहद बुद्धिमान और संवेदनशील अभिनेता थे, बल्कि वो एक ऐसे इंसान थे जो जीवन को समझने और उसे गहराई से जीने में यकीन रखते थे।
भौतिकी, अंतरिक्ष, कविता, किताबें, और इनोवेशन—ये सब उनके जुनून थे। मौत से कुछ समय पहले तक, सुशांत के करीबी दोस्तों और साथियों ने बताया कि वो लगातार कह रहे थे, “ये लोग मुझे मार देंगे,” और “अगर एक दिन मैं मरा हुआ पाया जाऊं, तो समझना ये सुसाइड नहीं है।

उन्होंने यहां तक कि मुंबई पुलिस से भी अपनी जान को खतरे की बात कही थी, लेकिन जब मामला मीडिया में उछला, तो पुलिस ने साफ कह दिया कि उनके पास सुशांत की कोई लिखित शिकायत नहीं थी।
सुशांत की जिंदगी में एक अजीब सा अकेलापन आ गया था। एक के बाद एक बड़े बैनरों ने उन्हें अपनी फिल्मों से निकाल दिया था, कुछ बड़ी हस्तियों ने उन्हें बायकॉट कर दिया था, और जिस इंडस्ट्री को वो अपना घर मानते थे, उसी ने उन्हें धीरे-धीरे अलग कर दिया।
उनकी फिल्मों को रिलीज़ में अड़चनें आईं, और एक समय ऐसा भी आया जब सुशांत अपने फैंस से सोशल मीडिया पर विनती कर रहे थे कि “मेरी फिल्म देख लेना।
क्या एक सुपरस्टार को अपने दर्शकों से इस तरह गुहार लगानी पड़ती है? उनकी मौत के बाद मीडिया ट्रायल, ड्रग्स एंगल, और तमाम राजनीतिक पहलुओं ने इस केस को और भी उलझा दिया।
लेकिन जो बात बार-बार सामने आई, वह यह थी कि सुशांत जैसे जिंदादिल और जिज्ञासु इंसान का यूं अचानक चले जाना एक साज़िश जैसी लगता है।
आज भी उनके फैंस, परिवार और कई लोग यह मानते हैं कि सुशांत आत्महत्या नहीं कर सकते थे। सुशांत की मौत सिर्फ एक कलाकार का अंत नहीं थी—यह उन तमाम सवालों की शुरुआत थी जो आज भी जवाब की तलाश में हैं। और तब तक, जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, सुशांत की मौत एक रहस्य बनी रहेगी।
परवीन बाबी: ग्लैमर की चमक के पीछे छिपा दर्द और मौत की भविष्यवाणी
परवीन बाबी, 70-80 के दशक की सबसे ग्लैमरस और टैलेंटेड अभिनेत्रियों में से एक थीं। उनकी खूबसूरती, स्टाइल और स्क्रीन प्रेज़ेंस ने उन्हें बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस बना दिया था, लेकिन उनकी ज़िंदगी का अंत उतना ही रहस्यमयी और दर्दनाक था जितना कि उनकी लोकप्रियता चमकदार।
परवीन की निजी ज़िंदगी हमेशा विवादों और मानसिक संघर्षों से भरी रही। उनके महेश भट्ट से गहरे संबंध थे, जिन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़कर परवीन के साथ रहने का फैसला तक कर लिया था।
लेकिन इस रिश्ते की भी एक त्रासदी थी—परवीन मानसिक रूप से बेहद परेशान रहने लगी थीं। उन्हें लगातार यह महसूस होता था कि कोई उन्हें मारना चाहता है।
उन्होंने कई बार अपने करीबी लोगों से कहा कि उन्हें लगता है जैसे कोई उन्हें फॉलो कर रहा है, उनके कमरे में छिपा है, या उन्हें ज़हर देने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने यहां तक दावा किया था कि अमिताभ बच्चन उनकी जान के दुश्मन हैं और वह उन्हें मारना चाहते हैं। इस वजह से मीडिया और इंडस्ट्री के लोग उन्हें “मेंटली अनस्टेबल” कहने लगे।
एक बार तो वह बिना कपड़ों के सड़क पर दौड़ती पाई गईं, और कहा जाता है कि वो महेश भट्ट को ढूंढ रही थीं। परवीन की मानसिक स्थिति को स्किज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) बताया गया, लेकिन उनकी बातों को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया।
उनके पूर्व प्रेमी और अभिनेता कबीर बेदी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि परवीन को वास्तव में यह आभास हो गया था कि उनकी मौत करीब है।
उन्होंने बताया था कि परवीन अक्सर कहती थीं कि उन्हें एक आत्मा दिखाई देती है जो उनसे कहती है कि अब तुम्हारा समय आ गया है।
और फिर वही हुआ। 2005 में, परवीन बाबी का शव उनके मुंबई स्थित फ्लैट से तीन दिन बाद मिला, जब उनके दरवाज़े से बदबू आने लगी और किसी ने पुलिस को सूचित किया।
उनके घर में कोई नहीं था, और उन्होंने अकेलेपन और डर के साये में अपनी आखिरी सांस ली। परवीन बाबी की मौत ने न सिर्फ उनके जीवन के रहस्यों को गहराया, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज की उदासीनता और संवेदनहीनता को भी उजागर किया।
वो एक ऐसी हस्ती थीं, जिन्हें मौत से पहले ही अपने अंत का एहसास हो गया था—पर कोई नहीं था जो उन्हें उस डर से निकाल पाता।
इरफ़ान ख़ान: एक कलाकार, जिसने मौत को भी एक अनुभव की तरह जिया
इरफ़ान ख़ान, वो नाम जिसे न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड तक में अभिनय का पर्याय माना गया। उनकी गहरी आँखें, शांत चेहरे की मासूमियत और संवादों में छिपी गहराई उन्हें भीड़ से अलग बनाती थी।
मार्च 2018 में जब इरफ़ान ने ट्विटर पर यह खुलासा किया कि उन्हें न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर है, तो पूरे देश और दुनिया में उनके फैंस स्तब्ध रह गए।
उन्होंने इलाज के लिए अमेरिका का रुख किया, और तमाम प्रार्थनाओं के बीच वे कुछ समय बाद बेहतर होकर वापस लौटे। ऐसा लगा मानो ज़िंदगी ने उन्हें एक और मौका दिया हो।
लेकिन इरफ़ान की ज़िंदगी में मौत सिर्फ एक डर नहीं थी—वो उनके लिए एक रहस्यमयी अनुभव थी, एक उत्सुकता। उनके साथी अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक इंटरव्यू में बताया कि इरफ़ान को इस बात का एहसास हो गया था कि उनका समय अब कम है।
उन्होंने यह तक कहा था कि “कितने लोगों को आती हुई मौत को इतने करीब से देखने और समझने का मौका मिलता है?” ये बातें कोई सामान्य इंसान नहीं कह सकता—यह कहने वाला इंसान मौत को भी जिज्ञासा से देखता है, भय से नहीं।
उनकी पत्नी सुतापा सिकंदर ने भी एक इंटरव्यू में बताया कि इरफ़ान अपनी मौत को लेकर ‘obsessed’ थे। उन्हें यह जानने की गहरी जिज्ञासा थी कि मरने के बाद क्या होता है।
वो इसे महज एक अंत नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत मानते थे। सुतापा के मुताबिक, इरफ़ान को ऐसा लगता था मानो उन्होंने खुद ही मौत को आमंत्रण दिया हो।

अप्रैल 2020 में, जब इरफ़ान अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे, उनके बेटे बाबिल लगातार उनके पास मौजूद थे। अंतिम दो दिनों में इरफ़ान कभी होश में रहते, कभी बेहोश हो जाते। और इन्हीं क्षणों में एक बार उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ बाबिल की ओर देखा और कहा, “मैं मरने वाला हूँ।”
यह बात एक शांत स्वीकार्यता के साथ कही गई थी, मानो वो मौत से डर नहीं रहे थे, बल्कि उसे गले लगाने को तैयार थे। और फिर दो दिन बाद, 29 अप्रैल 2020 को, इरफ़ान हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गए।
उन्होंने ना सिर्फ अपने अभिनय से, बल्कि अपने जीवन और मौत के प्रति दृष्टिकोण से भी लोगों को बहुत कुछ सिखाया।
इरफ़ान की मौत भले ही एक व्यक्तिगत क्षति थी, लेकिन उन्होंने अपने आखिरी दिनों में भी जिस तरह मृत्यु को समझा और स्वीकारा, वह उन्हें एक आम इंसान से अलग, एक दार्शनिक आत्मा बना देता है।
इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि इन बड़े सितारों—चाहे वो श्रीदेवी हों, परवीन बाबी, सुशांत सिंह राजपूत या फिर इरफ़ान ख़ान—इन सभी को अपनी मौत से पहले एक अजीब-सा आभास हो गया था।
मानो ज़िंदगी उन्हें पहले ही संकेत दे रही थी, या फिर उनका अंतर्मन ये महसूस कर चुका था कि अब उनका सफ़र पूरा होने वाला है।
किसी ने खुलकर कहा, किसी ने डर के साए में जिया, तो किसी ने मौत को एक अनुभव मानकर स्वीकार किया। लेकिन एक बात सभी में कॉमन थी—मौत का पूर्वाभास। शायद ये सितारे अपने आस-पास की ऊर्जा को, अपने अंत को हमसे पहले समझ पाए।
ये बात रोंगटे खड़े कर देती है, लेकिन साथ ही हमें यह भी सिखाती है कि मौत कोई अचानक आने वाला मेहमान नहीं होती… कई बार वो दरवाज़े पर दस्तक देती है—बस हम में से कुछ लोग उसे सुन पाते हैं।
