हमारे देश में हर साल 70 लाख टन खाने पीने की चीजें यूं ही बर्बाद चली जाती है। यह हालत तब है जब देश की करोड आबादी को दो जून खाना मयस्सर नहीं है। यह आंकडे यह बताने के लिए काफी हैं कि बर्बादी पर लगाम लगाना कितना आवश्यक है। बर्बादी रोकना राष्ट्रीय स्तर पर जितना जरूरी है उतना ही घरेलू रसोई खर्च बचाने के लिए भी जरूरी है। इसके लिए कोई बड़ी योजना बनाने की आवश्यकता नहीं है, बस थोड़ी सी सावधानी और कुछ बातों का खास ध्यान रखना आवश्यक है।
खरीदारी में समझदारी
खरीदारी के वक्त समझदारी इसी में है कि कोई भी ऐसी चीज घर में नहीं आनी चाहिए जो दैनिक इस्तेमाल की नहीं हो या फिर उसका उपयोग सप्ताह में कम से कम तीन बार न होता हो। देखने में आता है कि लोग ऐसी चीजें खरीदकर भूल जाते हैं। क्योंकि यह दैनिक इस्तेमाल की नहीं होतीं इसलिए दिमाग से उतर जाती हैं। कभी कुछ तलाश करते वक्त यह सामान दिखाई पड़ता है लेकिन तब तक वह उपयोग लायक नहीं बचता। इसी तरह ज्यादा मात्रा में आई चीजों का खर्च भी बेहिसाब होता है। यह मनोविज्ञान है जो चीज सामने ज्यादा दिखती है, उसमें किफायत बरतने की गुंजाइश खत्म हो जाती है।
भंडारण की उचित व्यवस्था
बेतहाशा खरीदारी के मामले में दूसरा नुकसान सब्जियों और फलों जैसी चीजों के साथ जुड़ा है। जब आप ऐसी चीजें ज्यादा खरीद कर लाती हैं तब उन्हें ज्यादा दिन रेफ्रिजरेटर में रखना पड़ता है। आपको बता दें जो सब्जियां और फल रस वाले होते हैं उन्हें रेफ्रिजरेटर में ज्यादा रखना नुकसानदायक होता है। वे जल्दी शुष्क पड़ जाती है। उनके पोषक तत्व तेजी से नष्ट हो जाते हैं।
मेन्यू निर्धारित करना
अब बात भंडारण की है। इसमें आप कितनी कुशल हैं, यह तय करेगा कि कितनी बर्बादी रोकी जा सकती है। खरीद कर लाये गए अनाज और खाने पीने की अन्य चीजों को ऐसे डिब्बों में रखा जाना चाहिए जिसमें हवा बिल्कुल नहीं लगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो चीजें बहुत जल्दी खराब हो सकती हैं और बिना इस्तेमाल के बेकार जा सकती हैं। भंडारण मौसम के अनुकूल होना चाहिए। खासतौर से बरसात के मौसम में चीजों में फफूंद लगने की समस्या ज्यादा होती है। ऐसे में रखे गए सामान को हवा में मौजूद आद्र्रता से बचाना आवश्यक होता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उचित भंडारण नहीं होने के कारण देश में हर साल लाखों टन अनाज और साग सब्जियां नष्ट हो जाती हैं।
बर्बादी पर लगाम लगाना
रोजाना पकाए जाने वाला खाना कैसा हो, इसका ध्यान रखना भी आवश्यक है। अपने खाने के मेन्यू में मौसमी सब्जियों और फलों को प्रमुखता दें। इसके कई फायदें हैं। एक तो यह कि ऐसी चीजें कम दाम पर मिल जाती हैं और दूसरा तरोताजा रहती हैं। ये मौसम के अनुकूल होती हैं लिहाजा मानव स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती हैं। इनका भंडारण भी सहज होता है। खाना पकाने की विधि और इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों की भी बर्बादी रोकने में अहम भूमिका है। चौड़े बर्तनों और कुकर का इस्तेमाल न सिर्फ ईंधन बचाने के काम आता है बल्कि इससे समय की बचत भी होती है। नान स्टिक कुकवेयर भी उपयोगी रहते हैं। इनसे तेल का खर्च घटता है और इनमें पका खाना स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। आखिर में सबसे अहम बात है इन समस्त प्रक्रियाओं के दौरान चूक की वजह से हुई बर्बादी के आकलन की। रसोई में एक रजिस्टर या नोटबुक अवश्य रखे। उसमें रोज के खर्चो के साथ यह लिखना न भूलें कि आज कौन सी वस्तु बेकार गई जिसे बचाया जा सकता था। चूक की वजह भी अवश्य दर्ज करें। इस रजिस्टर की साप्ताहिक और मासिक समीक्षा करें। आप जानकर हैरान रह जाएंगी कि आपकी लापरवाही की वजह से इतनी बर्बादी हुई है कि अगर इसे बचाया जाता तो कम से कम सप्ताह भर का रसोई खर्च निकाला जा सकता था। यह एक प्रयोग है, जिसे करके अवश्य देखें क्योंकि आपकी रसोई एक प्रयोगशाला है जहां नित नए प्रयोंगों के अवसर खुले रहते हैं। आप रसोई प्रबंधन में कितनी कुशल हैं, यह बात इससे प्रमाणित हो जाएगी। �
