जिन्दगी के तमाम उतार-चढ़ाव को देख चुकी, साफ और सही बात कहने वाली जूही का भी सेंस ऑफ ह्यूमर काफी अच्छा है। इस साल उनकी फिल्म ‘चाकू एण्ड डस्टर’ रिलीज हुई है हालांकि फिल्म ने बॉक्स आफिस पर ज्यादा बिजनेस नहीं किया किन्तु जूही अपने काम और फिल्म के कान्सेप्ट से बहुत खुश हैं। जूही से हुई एक मुलाकात मुम्बई ब्यूरों चीफ गरिमा चन्द्रा की-
1. जूही जी आपका 2015 साल कैसा रहा था और 2016 में क्या उम्मीदें हैं?
जी 2015 साल ओवर ऑल ठीक ही रहा। मैंने चॉक एण्ड डस्टर फिल्म करी। योगा सीखा , फैमिली के साथ वैकेंशन पर गई। बस एक बात का अफसोस है, मेरे म्यूजिक के गुरू जी गुजर गये। 2016 कैसा जाता है मैं कभी भी ज्यादा उम्मीद नहीं करती।
2. ‘चॉक एण्ड डस्टर’ जैसी पिक्चर करने के बाद आपकी अपनी सोच में कितनी चेन्ज आया।
इस फिल्म के बाद मेरी सोच में काफी बदलाव आया है। टीचर को मैंने कभी भी उस दृष्टि से नहीं देखा था। कभी नहीं सोचा था कि टीचर की भी अपनी एक निजि जिन्दगी होती है। उनका परिवार है सुख-दुःख हैं, वह भी एक घन्टा ट्रैवल करके स्कूल आती है इतने सारे बच्चों को पढ़ाती है, घर वापिस जाकर उन्हें फिर अपनी निजि जिन्दगी में झूझना है। आज हम इन्जिनियर, डॉक्टर, एक्टर और बिजनेस मैन बन जाते हैं लेकिन आपकी टीचर की जिन्दगी एक स्टाफ रूम और क्लास तक ही सीमित रह जाती है। दसअसल टीचिंग एक ऐसा प्रोफशन है जिसकी वजह से बाकी प्रोफशन बने हैं।
3- स्कूल के दिनों में आप किस तरह की स्टुडेन्ट थीं और आपके दोनों बच्चे पढ़ाई में में कैसे हैं?
मुझे पढ़ने में कोई खास रूचि नहीं थी, मैं तभी पढ़ती थी जब एक्जाम आते थे और मेरा रिर्पोट कार्ड हमेशा अच्छा रहता था। मुझे सिर्फ आर्ट क्लासेस अच्छी लगती थीं,जहां सिलाई-कढ़ाई सिखाया करते थे। वह चेन स्टिगं और क्रॉम स्टिच करने में वाकई मजा आता था। जब बहुत छोटी थी तो टीचर बहुत बड़ी लगती थी। जो टीचर स्वीट होतीं थीं उनसे डर लगता था और जो सीधी होती थीं उन्हें हम परेशान करते थे।
मेरे दोनों बच्चों में जानवी को हमेशा से अव्वल आने का जुनून है। वह शुरू से पढ़ाई में बहुत अच्छी है, सारे प्रोजेक्टस बहुत अच्छे से करती है। मुझे उसे पढ़ाई के लिए कुछ भी नहीं कहना पड़ता, लेकिन मेरा अर्जुन तो हैप्पी गो लकी बच्चा है उसे खेल-खेल में पढ़ना पड़ता है और मेहनत करनी पड़ती है।
आजकल बच्चों के उपर पढ़ाई का भी बहुत भार है। मुझे समझ नहीं आता कि क्या जल्दी है बच्चों के छोटे-छोटे माइण्ड में इतना ज्ञान भरने की। हां आज का बच्चा स्मार्ट है,इनटेलिजेन्ट है लेकिन पढ़ाई के साथ एक्टिविटी भी बहुत है, साथ ही माता-पिता का प्रेशर है। हम चाहते हैं कि हमारा बच्चा क्लास में भी फस्र्ट आये और होड़ में भी। स्कूल के फंक्शन में , स्टेज पर बस हमारा ही बच्चा शाइन करें, अरे यार, वह एक छोटा सा बच्चा है गधा नहीं कि उस पर सब कुछ लाद दिया।
4-क्या आपकी डॉटर भी बॉलिवुड में आयेगी ? आजकल की एक्ट्रेसस में आपको कौन सबसे अच्छी लगती हैं?
मेरी डॉटर तो अभी छोटी है, आजकल की सभी एक्ट्रेसस बहुत अच्छी है खूब बढ़िया काम कर रही हैं । दीपिका तो बहुत अच्छी एक्टिगं करती है, प्रियंका बहुत अच्छी है, श्रद्धा भी बहुत प्रामिमिंग लगती है और आलिया वह तो स्टार है बहुत ही लवली और सभी क्वालिटिस से भरपूर।
5-आपका अब तक का सबसे यादगार किरदार कौन सा रहा?
कोई फिल्म जिसका रिमेक करना चाहे?
मेरा अब तक का सबसे यादगार रोल गुलाबी गैंग, फिल्म का रहा। हांलाकि गुलाबी गैंग फिल्म फ्लाप हो गई। बाक्स आफिस पर उसे सफलता नहीं मिली लकिन वह मेरी फिल्मी कैरियर का एक बेहतरीन परफामेन्स था। जहां तक रिमेक की बात है तो मेरी किसी भी फिल्म का रिमेक ना हो तो अच्छा। रिमेक में ओरिजनल की चमक खो जाती है, ओरिजनल फिल्म की सच्चाई रिमेक में नही आ पाती। मेरे ख्याल से हमेशा नई फिल्में बनाओ रिमेक मुझे पसन्द नहीं है।

6-आप डायरेक्शन में कब आयेंगी?
(हंसकर) थोड़ी अकल आ जाये मैच्यूरिटि आ जाये तब डायरेक्शन करूंगी। असल में एक्टर होना आसान है, सेट पर जाओ डॉयलॉग सुनो और कट लो, बैक अप होने पर दिमाग का स्व्चि ऑफ करो। आराम से घर निकल जाओ। प्रोड्यूसर डायरेक्टर पर बहुत सारी जिम्मेदारियां होती हैं
7-गृहलक्ष्मी के रिडर्स के लिए मैसेज-
हमेशा अपना ख्याल रखें। योगा करें, प्राणायाम करें, मेडिटेशन करें आपका मन खुश रहेगा। सादा खाना खूब सारा पानी पिएं और हमेशा एनर्जिक फील करेगें और सबसे बड़ी बात हमेशा ग्राउण्डेड रहें अपना दिमाग मत खराब होने दें।
