भोपाल की रहने वाली ईशा सिंह को बचपन से ही एक्टर बनने का शौक था, अपनी डॉल के साथ खेल-खेल में एक्टिंग करती हुई ईशा ने इसेे ही अपना प्रोफेशन बनाने का सोच लिया।  ‘इश्क का रंग सफेद’ से उन्हें मनोरंजन की दुनिया में एंट्री मिली। अब जल्दी ही वे एक नए सीरियल और नए किरदार में नजर आने जा रही हैं।
 
इस नए सीरियल में क्या ख़ास है?
इस सीरियल ‘इश्क़ सुभान अल्लाह’ की कहानी बहुत अलग है। ये आजकल के माहौल में एकदम फिट बैठती है। आज ट्रिपल तलाक एक हॉट टॉपिक है। सभी इस पर चर्चा कर रहे हैं। मैंने भी न्यूज़ में सुना था कि ट्रिपल तलाक पर एक बिल पास हुआ है। मैं हिंदू परिवार से हूं, लेकिन मैं भोपाल में मेरी बहुत सारी फ्रेंड्ज़ मुस्लिम हैं जिनके घर मैं अक्सर जाया करती थी, तो उनके कल्चर से थोड़ा वाकिफ हूं। इस सीरियल के ज़रिए मैं और भी बहुत-कुछ नया सीख रही हूं। हां, मुझे अपनी ज़बान पर सबसे ज़्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। इसके लिए मैंने बुक खऱीदी है, पाकिस्तानी सीरियल भी देखे। मेरी मम्मी भी अच्छी उर्दू जानती हैं तो जरूरत पड़ने पर उनकी हेल्प लेती हूं। घर में भी उर्दू बोलने की कोशिश करती हूं।
 



 
 
शूटिंग के वक्त सबसे ज़्यादा मुश्किल क्या होता है?
पूरा मेकअप करने में दो घंटे लग जाते हैं, फिर ये ड्रेस, दुपट्टा और ज्वेलरी बहुत हेवी है। सीरियल में निकाह की शूटिंग चल रही है, जिसके लिए ये सब पहनना ज़रूरी है। कल एक सीन में मुझे इस ब्राइडल गेटअप के साथ रोने वाला सीन करना था, जो हेवी दुपट्टे के साथ काफी मुश्किल हो रहा था।
 
अपनी अब तक की जर्नी को कैसे देखती हैं?
जी, मैं डेस्टिनी पर बहुत ज़्यादा बिलीव  करती हूं। जैसा कि आप जानती हैं मैं भोपाल से हूं। मैंने अपना पहला शो  ‘इश्क का रंग सफेद’ का ऑडिशन भोपाल में दिया था। फिर सिलेक्ट होने पर मुंबई आ गई। फिर दूसरा सीरियल किया  ‘एक था राजा एक थी रानी’। उसके बाद थोड़ा गैप हो गया था लेकिन मुझे कोई टेंशन नहीं थी क्योंकि मेरी डेस्टिनी ही थी जो मुझे यहां लेकर आई है और देखिए मुझे कितना अच्छा शो मिला है। मेरी अपनी अब तक की जर्नी बहुत ब्यूटीफुल रही है। मैं ऊपरवाले का शुक्र अदा करती हूं कि मुझे अच्छा काम मिल रहा है, जो चार महीने का ब्रेक भी रहा तो वह मेरी मर्जी थी क्योंकि मैंने दो साल से कोई ब्रेक नहीं लिया था।
 



 
फैमिली का सपोर्ट किस तरह का है?
बिना फैमिली सपोर्ट के तो मैं कुछ कर ही नहीं सकती थी। मेरे मम्मी-पापा ने मेरे लिए बहुत समझौते किए हैं, मम्मी अपना प्ले स्कूल छोड़ कर मेरे साथ यहां मुंबई में रहती हैं। पापा भोपाल में बिल्डर हैं, वे अपना काम छोड़के नहीं आ सकते। मेरा छोटा भाई भी भोपाल में पढ़ रहा था। अभी उसने मुंबई में एडमिशन लिया है। मम्मी तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हैं, हमेशा मुझे ग्राउंडेड रहने में मदद करती हैं। पापा-मम्मी तो मेरे काम से बहुत खुश हैं, दोनों बहुत प्राउड फील करते हैं।
 
आपको विवादों से डर लगता है?
डर तो लगता है क्योंकि सीरियल में कुछ भी विवाद होने पर एक्टर को ब्लेम किया जाता है, फिर मैं एक हिंदू होकर मुस्लिम ज़ारा का किरदार निभा रही हूं। मेरी अपनी तरफ से पूरी कोशिश है कि कोई कंट्रोवर्सी ना हो।
 
आपको एक्टिंग के अलावा और क्या शौक है?
मुझे खाने का बहुत शौक है। मैं बिग टाइम फूडी हूं। वेज नॉनवेज सब खाती हूं। लखनऊ में शूट के दौरान हमने खूब खाया… गाजर का हलवा, कुल्फी, कबाब। मुझे घूमने में भी मज़ा आता है, अक्सर मैं और मम्मा पैकअप के बाद मरीन ड्राइव घूमने चले जाते हैं। मैं पेंटिंग भी कर लेती हूं।
 
गृहलक्ष्मी रीडर्ज़ के लिए कोई मैसेज?
हमें खुल कर जीने की आज़ादी है। हम क्या पहनें? क्या करें? कैसे हंसें? ये हमारा नज़रिया है। हमें अपने ऊपर किसी को पाबंदी नहीं लगाने  देना चाहिए। गृहलक्ष्मी के रीडर्स के साथ तो मेरा पुराना कनेक्शन है। मैं आपकी किटी पार्टी को कैसे भूल सकती हूं। सभी रीडर्स को मेरा प्यार।